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सुप्रीम कोर्ट का नवलखा पर अपना आदेश वापस लेने से इनकार, एनआईए की गुहार ठुकरायी

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार गौतम नवलखा की नजरबंदी के अपने आदेश को वापस लेने की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की गुहार शुक्रवार को ठुकरा दी। न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील ठुकराते हुए अगले 24 घंटे के भीतर कुछ अतिरिक्त सुरक्षा के साथ 10 नवंबर के आदेश करने पर अमल करते हुए नवलखा को जेल से स्थानांतरित कर निर्धारित स्थल पर नजरबंद करने को कहा।

शीर्ष अदालत ने 10 नवंबर को नवलखा के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए नजरबंद करने की उसकी याचिका स्वीकार करते हुए शर्तों के साथ अनुमति दी थी। इस आदेश पर 48 घंटे के अंदर अमल करने को कहा था, लेकिन (एनआईए) ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई) का पुस्तकालय परिसर के अलावा सुरक्षा संबंधी दिक्कतों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से अपना 10 नवंबर के आदेश को वापस लेने गुहार लगाई थी। एनआईए का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने दावा किया कि नवलखा ने शीर्ष अदालत के समक्ष भ्रामक बयान दिया था। उसने अदालत को गुमराह किया था। वह उस जगह पर रहना चाहता था, जहां कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया एक पुस्तकालय है।

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल की सीपीआई परिसर संबंधी इस दलील पर कहा, “तो क्या, सीपीआई एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल नहीं है?” पीठ ने मौखिक तौर पर सॉलीसीटर जनरल से कहा, “राज्य की पूरी ताकत बावजूद के आप (एनआईए) एक 70 वर्षीय बीमार व्यक्ति को घर में बंद रखने में सक्षम नहीं हैं।” इस पर मेहता ने कहा कि इस अदालत को नवलखा की ओर से यह आभास दिया गया कि नजरबंदी का प्रस्तावित स्थान एक स्वतंत्र परिसर है। पीठ के फैसले पर मेहता ने कहा, “अगर इससे इस अदालत की अंतरात्मा को झटका नहीं लगता है, तो मुझे नहीं पता कि क्या होगा।” न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘नहीं, इससे हमारी अंतरात्मा को झटका नहीं लगता।’

एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि सीपीआई परिसर की पहली मंजिल भी पुस्तकालय का एक हिस्सा है, न कि एक स्वतंत्र इकाई। राजू ने कहा कि नवलखा द्वारा नजरबंदी के लिए चुनी गई जगह पर एक से अधिक निकास और परिसर में मुख्य प्रवेश द्वार के अलावा अन्य निकासों को सील करना आवश्यक है। शीर्ष अदालत ने एनआईए से सीपीआई की उस इमारत की पहली मंजिल को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करने को कहा, जहां नवलखा को 24 घंटे के भीतर स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है।

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