बच्चा सीखने की अपार क्षमता के साथ जन्म लेता है: डॉ. अवनीश यादव
प्रेरणा माड्यूल पर आधारित 8 दिवसीय वेबिनार का द्वितीय दिवस
बाराबंकी (उमेश यादव): कोरोना महामारी के चलते बीते मार्च माह से ही सभी स्कूल कॉलेज बंद है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती बच्चों की शिक्षा को लेकर उभरकर सामने आयी। इस समस्या से निपटने के लिये बेसिक शिक्षा विभाग सहित तमाम अन्य विभागों में टेक्नालॉजी शिक्षा का नया माध्यम बना। विकास खंड देवा के शिक्षकों ने नेटवर्क सहित अन्य संसाधनों के अभाव में भी अपने मोबाइल पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों को शिक्षा देना का सफलतम प्रयास किया।
इस समय भले ही स्कूलों में छुट्टियां चल रही हो पर बेसिक शिक्षा विभाग आने वाले समय में शिक्षा की नई चुनौतियों से निपटने के साथ बेहतर गुणात्मक सुधार के लिये निरन्तर प्रयासरत है। इसी प्रयास के क्रम में ब्लाक देवा के शिक्षक गूगल मीट एप्प से जुड़कर 8 दिवसीय वेबिनार कार्यक्रम के तहत शिक्षण के नए अनुभव प्राप्त कर रहे है, 16 जून से चल रहे इस कार्यक्रम में प्रतिदिन अलग-अलग विषय के विद्वान शिक्षक अपने अनुभवों से सभी शिक्षकों को शिक्षण के बेहतर टिप्स बता रहे है साथ ही शिक्षण कार्य में आने वाली तमाम समस्याओं से निपटने की चर्चा कर नई रूप रेखा भी तैयार की जा रही है। इस वेबिनार के दूसरे दिन का कार्यक्रम बुधवार की सांयकाल 4 बजे से 5:30 तक चला।
गूगल मीट एप्प पर चल रहे इस कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत खंड शिक्षा अधिकारी आलोक कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत करके किया। उन्होंने प्रतिभागी शिक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा कि सभी शिक्षक बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सदैव तत्पर रहे।
मुख्य अतिथि श्रीमती अर्पणा गोडबोले (विभागाध्यक्ष शिक्षा संकाय लखनऊ विश्वविद्यालय) ने कहा कि शिक्षकों पर अकादमिक और गैर-अकादमिक दोनों जिम्मेदारियां होते हुए भी शिक्षक अपनी शैक्षणिक दायित्वों का बढ़-चढ़कर पालन कर रहे हैं।
आरम्भिक स्तर पर भाषा विकास
विषय विशेषज्ञ डॉ अवनीश यादव रहे। राजकीय इंटर कालेज बरेली के उप प्रधानाचार्य डॉ अवनीश यादव ने भाषा विकास के विभिन्न चरणों को क्रमबद्ध रूप में समझाते हुए कहा कि प्रत्येक बच्चा सीखने की अपार क्षमता के साथ जन्म लेता है और हर बच्चा विशिष्ट होता है। इसलिए सीखने के तरीके में भी विशिष्टता होनी चाहिए। विविधतापूर्ण अनुभव रखें जाय तो बच्चे अवश्य कुछ सीखेंगे। सामान्य गतिविधियों से उच्च कौशलात्मक गतिविधियों तक पहुंचा जाय। सुनकर, समझकर अनुक्रिया देना भाषा विकास की महत्त्वपूर्ण सीढ़ी है। ध्वनियों की सही समझ और उनमें अंतर स्पष्ट होने से ही शब्दों और वाक्यों का सही निर्माण होता है।
आरम्भिक स्तर पर गणित का विकास विषय विशेषज्ञ डॉ अम्बिकेश त्रिपाठी एसआरजी अयोध्या(SRG Ayodhya) ने कहा कि गणित से रोचक कुछ भी नहीं है।गणित विषय खेल की तरह हैं। जिसमें एक लेवेल से दूसरे लेवेल पर जाकर बच्चा खुश होता है। सीखने में क्रम का महत्व अधिक है।इसे कभी नहीं तोड़े।संख्या पूर्व अवधारणा आवश्यक है।
सत्र के समापन पर एआरपी जयहिंद वर्मा, एआरपी कमलेश कुमार वर्मा और सूर्या त्रिपाठी ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।