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मुश्किल हो जाएगी विशुद्ध विकेटकीपर बल्लेबाजों की वापसी की राह : किरमानी

लखनऊ। भारतीय टीम में महेंद्र सिंह धोनी के सन्यांस की अटकलों व मैदान से दूरी के बीच,  विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत की खराब फॉर्म जारी हैं जिससे उनका टीम में स्थान भी पक्का नहीं है। इस बारे में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मशहूर विकेटकीपर सैयद किरमानी की माने तो ऋषभ पंत की प्रतिभा को और निखारने की जरूरत है और इसके लिए घरेलू क्रिकेट मैचों में हिस्सा लेना चाहिए। लखनऊ के शिया कॉलेज की 100वीं वर्षगांठ पर आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के बाद किरमानी ने लगे हाथ यह भी सलाह दे डाली कि राहुल मौलिक तौर पर विकेटकीपर नहीं है।
अगर उनका पूर्णकालिक विकेटकीपर के तौर पर इस्तेमाल किया गया तो विशुद्ध विकेटकीपर बल्लेबाजों की राष्ट्रीय टीम में वापसी बेहद मुश्किल हो जाएगी। यह खतरनाक होगा। उन्होंने कहा कि टीम को ऐसा विकेटकीपर चाहिए जो बल्लेबाजी भी कर सके, ऐसा तो नहीं होना चाहिए कि बल्लेबाज पर विकेटकीपिंग का बोझ डाल दिया जाए। किरमानी के अनुसार विकेटकीपिंग एक विशेष कला है और उसमें पारंगत खिलाड़ी को ही विकेटकीपर के तौर पर टीम में जगह मिलनी चाहिए।

उन्होंने इस पर भी चिंता जताई कि देश में कोचिंग में विकेटकीपिंग को उतना महत्व नहीं मिलता है। इस पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है क्योंकि क्रिकेट का बेहद अहम विभाग विकेटकीपिंग होता है। हालांकि किरमानी ने ऋषभ पंत की तारीफ करते हुए कहा कि पंत को इंटरनेशनल लेवल पर अच्छे प्रदर्शन के लिए अभी घरेलू क्रिकेट मैचों में खेलना चाहिए। वह कापफी प्रतिभाशाली हैं लेकिन ज्यादा से ज्यादा घरेलू क्रिकेट खेलने से उनकी प्रतिभा में निखार होगा।
किरमानी ने इस बारे में लोकेश राहुल का उदाहरण दिया कि जब वह खराब फार्म से जूझ रहे थे जिसके बाद उन्होंने घरेलू क्रिकेट सर्किट में हिस्सा लेना शुरू किया। इसक बाद उन्होंने कई रणजी ट्रॉफी मैचों व अन्य घरेलू टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया जिससे उनका टीम इंडिया में वापसी का रास्ता खुला। किरमानी ने अपने बारे में बताया कि 1971 से 1975 तक उन्होंने घरेलू क्रिकेट में खुद को निखारा और उसके बाद वे राष्ट्रीय टीम में फारुख इंजीनियर का स्थान ले सके।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोडनी मार्श, एलन नॉट और वसीम बारी जैसे महान विकेटकीपरों से काफी सीखा। उन्होंने कहा कि अंडर-19 क्रिकेट से किसी खिलाड़ी को अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उतारने से ऐसी समस्या होती है क्योंकि हर कोई सचिन तेंदुलकर नहीं होता। वैसे भी अंडर-19 और अंतरराष्ट्रीय स्तर में बहुत फर्क होता है।

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