मध्य प्रदेशराज्य

रेरा अधिनियम का उद्देश्य आवंटितियों के हितों का संरक्षण

भोपाल: रेरा अधिनियम का उद्देश्य कॉलोनाइजर के साथ ही रियल स्टेट क्षेत्र में आवंटितियों के हितों का संरक्षण करना है। वर्ष 2016 तक आवंटितियों को अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए कॉलोनाइजर के विरूद्ध दीवानी एवं उपभोक्ता न्यायालयों में जाना पड़ता था। मध्यप्रदेश में रेरा नियम 2017 से लागू हुआ। इनमें वर्ष 2021 में आंशिक सुधार कर और अधिक सुसंगत बनाया गया है।

सचिव रेरा नीरज दुबे ने बताया है कि परियोजना की लागत में भूमि महत्वपूर्ण होती है, अत: भूमि की लागत एवं परियोजना स्वीकृति के लिए किये गए व्यय का लाभ कॉलोनाइजर को प्राप्त होता है। यह प्रावधान नियमों में पहले से हैं।परियोजना के नाम से खाता खोला जाना, इस अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है। आवंटितियों से प्राप्त होने वाली 70 प्रतिशत राशि इस खाते में जमा की जाती है। यह राशि इसलिए जमा की जाती है कि अगर कॉलोनाइजर समय पर परियोजना का कार्य पूरा नहीं करता है तो रेरा इस राशि का उपयोग काम पूरा कराने में कर सके।

हाल ही में भोपाल के एक बड़े कॉलोनाइजर द्वारा इस खाते में परियोजना की 70 प्रतिशत राशि जो लगभग 80 करोड़ रूपये थी, को गैर-परियोजना उद्देश्य के लिए व्यय कर दिया। रेरा ने इस प्रकरण में संबंधित कॉलोनाइजर के विरूद्ध लगभग 4 करोड़ 50 लाख रूपये का अर्थदण्ड लगाया है। साथ ही परियोजना का पंजीयन भी निरस्त किया है।

रेरा जहाँ एक और कॉलोनाइजर से नियमानुसार कार्य की अपेक्षा रखता है, वहीं दूसरी और आवंटितियों के हितों के संरक्षण का दायित्व भी निभाता है। इस वर्ष 41 प्रकरणों में कारण बताओं सूचना-पत्र जारी किए गए हैं। रेरा के इस कदम से जहाँ आवंटितियों को संरक्षण प्राप्त होगा, वहीं दोषी कॉलोनाइजर के नए परियोजनाओं में पंजीयन न करने का निर्णय लिया जा सकेगा।

Related Articles

Back to top button