ज्ञान भंडार

इस बार जन्माष्टमी पर बन रहा है खास संयोग, ऐसे करें पूजा, पूरी होगी कामना

नई दिल्ली- भाद्रपद मास में भगवान कृष्ण गणपति की आराधना होती है. इस बार सोमवार यानी 30 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी है. इस दिन बाल गोपाल की आराधना की जाती है. भगवान कृष्ण के भक्त दिन भर उपवास रखते हैं रात 12 बजे पूजा आराधना करके प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस भार भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य की मानें तो 3228 ईसवी वर्ष पूर्व भगवान ने धरती पर अवतार लिया था. वहीं, 3102 ईसवी वर्ष पूर्व कन्हैया धरती से चले गए थे. कान्हा इस धरती पर 125 साल छह महीने छह दिन रहे थे.

भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त को रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट पर होगा. अष्टमी तिथि 30 अगस्त को रात में 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि को मानते हुए जन्माष्टमी 30 अगस्त को होगी.

ज्योतिषाचार्य की मानें तो जन्माष्टमी के दिन अष्टमी रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं, इसे जयंती योग मानते हैं इसलिए ये संयोग बेहतर है. द्वापरयुग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था तो जंयती योग था. इसलिए इस बार की जन्माष्टमी खास है.

ऐसे करे पूजा

-जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें. सूर्य को जल चढ़ाए. इष्ट देवता को नमन करें. फिर उपवास धारण करें.

-व्रत का संकल्प लेते हुए पूरे दिन उपवास रखे भगवान कृष्ण का स्मरण करते रहें. मन को शांत रखें. कलह से दूर रहें.

-इसके बाद आप भगवान कृष्ण की प्रतिमा या फिर चित्र लेकर उसे सजाए. उनके आगमन की तैयारी करें. बाल गोपाल के मंदिर को सजाए. भजन कीर्तन करते रहें. ‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः। वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः। इस मंत्र को भी आप जपते रह सकते हैं.

-भगवान का भोग बना ले. मिठाई, फल, दूध-दही , मक्खन, पंजीरी आदि बनाकर पूजा स्थल के पास रखें.

-इसके बाद रात में एक बार फिर से आप नहा कर स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा के लिए तैयार हो जाए. पूजा स्थल को पवित्र करें.

-पंचामृत से बाल गोपाल को स्नान कराए. वस्त्र धारण कराए. तिलक लगाए. पुष्प चढ़ाए. दीपक धूप दिखाए. इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें. भोग में तुलसी पत्र डाले. तुलसी भगवान विष्णु को बहुत पसंद है. इसलिए भोग में तुलसी पत्र डाले. लेकिन याद रखें भोग लगाते वक्त तुलसी का पत्ता डाले. उससे पहले नहीं.

-इसके बाद ठाकुर जी के नाम का हवन करे आरती करें. शंख बजाकर पूजा समाप्त करें. इसके साथ ही प्रार्थना करें. फिर प्रसाद परिवार के साथ आप ग्रहण करें.

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