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छठ घाट पर दी गई शहीद को श्रद्धांजलि

बेगूसराय: धरती पर जन्म लेने वाले सभी लोगों का एक ना एक दिन जाना निश्चित है, लेकिन कुछ लोग जब जाते हैं तो उन्हें भुलाना मुश्किल हो जाता है और बार-बार लोग उस सपूत को याद करते हैं।

ऐसी ही कहानी है भारत माता की रक्षा करते हुए जम्मू कश्मीर के पाकिस्तानी सीमा पर मात्र 23 वर्ष की उम्र में शहीद हुए बेगूसराय के लाल शहीद लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार की। ऋषि कुमार की शहादत के बाद उन्हें लगातार याद किया जा रहा है। लेकिन छठ के मौके पर बेगूसराय में जिस तरह से उन्हें हजारों लोगों ने याद किया है। यह ना केवल अपने लाल, बल्कि देश के लिए सर्वोच्च शहादत देने वाले को मिलने वाले प्यार को भी प्रदर्शित करता है। अभी तमाम लोग छठ की खुमारी में डूबे हुए हैं, इस बीच बुधवार की रात बेगूसराय में हजारों लोगों ने दीप जलाकर शहीद लेफ्टिनेंट ऋषि को नमन किया है। छठ से पहले साईं की रसोई टीम ने जहां पोखर के किनारे ऋषि की याद में उन्हीं का पेंटिंग बनवाया तो दूसरी ओर बुधवार की रात जिला मुख्यालय के विष्णु पोखर की मुहाने पर शहीद लेफ्टिनेंट की तस्वीर को आकर्षक तरीके से सजाकर ना सिर्फ तिरंगामय कर दिया गया, बल्कि भावभीनी श्रद्धांजलि देने के लिए अद्भुत रंगोली भी बनाई गई।

छठ के लिए जब श्रद्धालु विष्णु पोखर पहुंचे तो वहां शहीद ऋषि का चित्र देखकर अचंभित हो गए तथा सभी लोगों ने सूर्य देव की पूजा करने के साथ-साथ शहीद ऋषि के आत्मा को शांति तथा देश के दुश्मनों को सबक सिखाने का भी गुहार लगाया। दूसरी ओर कर्पूरी स्थान मंदिर स्थित दुर्गा मंदिर के प्रांगण में बेगूसराय के धरती पुत्र, शहादत के प्रणेता लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार की चीरस्मर्णीय वीर गाथा को एक अविस्मरणीय श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान करीब दो घंटे तक शहर के आम नागरिक से लेकर गणमान्य लोगों ने एक दीप जलाकर अमर शहीद के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सर्वोच्च शहादत को नमन किया। बेगूसराय सेवा समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम के संयोजक मुकेश कुमार जैन ने कहा कि ऋषि ने साबित किया कि हां मैं इस देश का वासी हूं, इस माटी का कर्ज चुकाऊंगा, जीने की दम रखता हूं, तो इसके लिए मर कर भी दिखलाऊंगा। वीरों की धरती बेगूसराय को फिर से गौरवान्वित होने का विलक्षण पल मिला है। हमारे धरती पुत्र लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार ने शहादत की इसी परंपरा पर स्वयं को बलिदान कर हमें नतमस्तक किया है। हम सभी ने महापर्व छठ के मौके पर अपने उदीयमान सूर्य को एक दीप जलाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया।

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