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UP: अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में वसीम रिजवी, CM योगी के बाद अब महंतों से करेंगे मुलाकात

लखनऊ. अयोध्या विवाद को आपसी समझौते से निपटाने को लेकर उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी रविवार को अयोध्या का दौरा करेंगे। यहां वो हिन्दू संतों से मुलाकात करेंगे। यूपी शिया वक्फ बोर्ड के प्रवक्ता आदिब रजा ने जानकारी देते हुए कहा- ” वसीम रिजवी रविवार को दोपहर करीब 1 बजे हनुमान मन्दिर, महोल्ला बेनीगंज एलआईसी बिल्डिंग के सामने महंत धर्मदास और उसके बाद महंत सुरेशदास से मुलाकात करेंगे। UP: अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में वसीम रिजवी, CM योगी के बाद अब महंतों से करेंगे मुलाकात

कई महंतों से करेंगे मुलाकात

उन्होंने बताया- “वसीम रिजवी अयोध्या में कई महंतों से मुलाकात कर बातचीत करेंगे।” आपको बता दें की वसीम रिजवी अयोध्या मुद्दे को लेकर सीएम योगी से भी मुलाकात कर चुके हैं।

राम मंदिर को लेकर की थी मुलाकात

 -शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। 20 मिनट के मुलाकात के बाद रिजवी ने मीडिया से कहा, ”मैंने राम मंदिर बनाने को लेकर मुलाकात की है। जिस स्थान पर मंदिर है, वहां मंदिर ही बनेगा। मस्जिद किसी मंदिर को गिराकर नहीं बनाई जा सकती, इसलिए उसे अयोध्या से बाहर या दूर किसी मुस्लिम क्षेत्र में बनाने पर हमने बात की है।

-रिजवी ने कहा, ”मैं सभी पक्षकारों से बात कर रहा हूं। सभी ने करीब-करीब मंदिर पर सहमति दे दी है। कुछ मुद्दों पर बात होनी बाकी है। उनको भी पूरा कर लिया जाएगा।”

-”राम मंदिर पर कोई विवाद नहीं होगा। मंदिर जहां है वहीं बनेगा, किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। हम बात करके जल्द ही मुद्दे को सुलझा लेंगे।”

-”मस्जिद अयोध्या से दूर बनाने पर बात हो रही है। ऐसी किसी जगह को तलाशा जाएगा, जो मुस्लिम बस्ती हो।”

-”मंदिर-मस्जिद मसले पर सीएम योगी से मुलाकात हुई है। हमारी बातचीत काफी सकारात्मक रही।”

पक्षकारों ने जताई थी नाराजगी

-शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी की सीएम योगी से मुलाकात के बाद कई पक्षकारों ने नाराजगी जताई थी। एक मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने अपनी बात रखते हुए कहा था- “घोटालेबाज वसीम रिजवी की औकात ही नहीं वह इस विवाद में अपनी बात रखेंगे।”

-उन्होंने कहा कि वह अपनी राजनीती चमकाने के लिए यह सब हथकंडे अपना रहा हैं। वह जानते हैं कि भाजपा की सरकार है। ऐसे में उसे खुश कर वह जांच से बचना चाहते हैं।

-हाजी महबूब ने कहा कि अगर वह वास्तव में कोई बेहतर पहल करना चाहते हैं तो फिर उन्हें हम लोगों से भी बात करनी चाहिए। लेकिन उन्होंने अभी तक न हमसे न ही हमारे वकीलों से ही कोई बात की है। ऐसे में उनकी बात को हम क्यों महत्व दें।

सितम्बर में की थी हिन्दू पक्षकारों से मुलाकात

-सितम्बर में वसीम रिजवी ने अयोध्या का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने पक्षकार दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास से मुलाकात की थी। तब वसीम रिजवी ने कहा था यह पहले चरण की मुलाकात है। महंत सुरेश दास ने तब कहा था कि शिया वक्फ बोर्ड का प्रस्ताव स्वागत योग्य है।

-महंत ने कहा कि यदि मुस्लिम पक्ष मंदिर निर्माण में और हिन्दू पक्ष मस्जिद निर्माण में सहायक बने तो इस विवाद का जल्द समाधान हो सकता है।

1949 से चल रहा है विवाद

-बता दें, 1949 में विवादित ढांचे में रामलला की मूर्ति सामने आने के बाद विवाद शुरू हुआ। तब सरकार ने इस जगह को विवादित घोषित कर दिया और इस जगह ताला लगा दिया गया था।
-शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में रिस्पॉन्डेंट (प्रतिवादी) नंबर 24 है। बोर्ड ने पहली बार सुप्रीम कोर्ट में ही एफिडेविट दायर किया है। 68 साल पुराने इस मसले को सुलझाने के लिए शिया वक्फ बोर्ड के अलावा सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुब्रमण्यम स्वामी भी रास्ता सुझा चुके हैं।

अब तक ये 4 फॉर्मूले सामने आए…

1) इलाहाबाद हाईकोर्ट

30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।

ये तीन पक्ष

– निर्मोही अखाड़ा: विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह।

– रामलला विराजमान: एक-तिहाई हिस्सा यानी रामलला की मूर्ति वाली जगह।

– सुन्नी वक्फ बोर्ड: विवादित जमीन का बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा।

2) सुप्रीम कोर्ट

– मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “राम मंदिर विवाद का कोर्ट के बाहर निपटारा होना चाहिए। इस पर सभी संबंधित पक्ष मिलकर बैठें और आम राय बनाएं। बातचीत नाकाम रहती है तो हम दखल देंगे।”

3) सुब्रमण्यम स्वामी

मार्च में सुप्रीम कोर्ट के स्टैंड पर दिए बयान में स्वामी ने कहा था, “मंदिर और मस्जिद दोनों बननी चाहिए। मसला हल होना चाहिए। मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बनना चाहिए। जबकि मंदिर वहीं बनना चाहिए, जहां अभी वो है। राम जन्मभूमि तो पूरी तरह राम मंदिर के लिए ही है। हम राम का जन्मस्थल तो नहीं बदल सकते। सऊदी अरब और मुस्लिम देशों में मस्जिद का मतलब होता है, वो जगह यहां नमाज अदा की जाए और ये काम कहीं भी हो सकता है।”

4) शिया वक्फ बोर्ड

8 अगस्त 2017 को शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, “अयोध्या में मस्जिद विवादित जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाई जा सकती है। बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की है लिहाजा वो ही ऐसी संस्था है, जो इस विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत कर सकती है। विवाद के हल के लिए बोर्ड को कमेटी बनाने के लिए वक्त चाहिए।”

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