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जैव-विविधता पर मिलकर काम करेंगे उत्तराखंड और यूरोपीय देश स्लोवेनिया

दस्तक टाइम्स, देहरादून। उत्तराखंड ने जैव विविधता के क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उत्तराखंड अब यूरोपीय देश स्लोवेनिया के साथ मिलकर जैव विविधता के संरक्षण में काम करेगा। खास बात ये भी है कि उत्तराखंड व स्लोवेनिया ने अपने-अपने वर्ल्ड हैरिटेज को एक-दूसरे का सिस्टर पार्क घोषित किया है। इससे दोनों देश एक दूसरे के वर्ल्ड हैरिटेज के संरक्षण व पर्यटन को प्रोत्साहन भी देंगे। इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दी है।

एमओयू में क्या है खास ? क्या होंगे लाभ ?

 सीएम धामी ने बताया कि स्लोवेनिया की राजधानी में लुबलियाना में उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) डॉ. समीर सिन्हा ने स्लोवेनिया के अधिकारी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत उत्तराखंड की फूलों की घाटी और स्लोवेनिया के ट्रिग्लाव नेशनल पार्क को एक-दूसरे का सिस्टर पार्क घोषित किया गया है। दोनों ही नेशनल पार्कों का प्रशासन व वैज्ञानिक एक-दूसरे के पार्क में जैव-विविधता व वन्यजीवों के संरक्षण व प्रबंधन में सहयोग करेंगे। इसके अलावा उत्तराखंड व स्लोवेनिया एक-दूसरे के पार्क में पर्यटन को प्रोत्साहन देने पर भी सहमत हुए हैं। इससे फूलों की घाटी को यूरोपीय देशों में विशेष पहचान मिलेगी और यहां पर्यटन को गति मिलेगी। इस तरह की पहल उत्तराखंड में पहली बार की गई है।

उत्तराखंड व स्लोवेनिया में क्या है समानता ?

बता दें कि उत्तराखंड में यूनेस्को द्वारा घोषित दो वर्ल्ड हैरिटेज हैं, जिनमें चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी व नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व हैं।

फूलों की घाटी नेशनल पार्क की स्थापना 1982 में हुई थी। जबकि, ट्रिग्लाव नेशनल पार्क स्लोवेनिया का एकमात्र नेशनल पार्क है, जिसकी स्थापना वर्ष 1982 को हुई थी। यह स्लोवेनिया की सबसे ऊंची चोटी ट्रिग्लाव शिखर (2863.6 मीटर) तक फैला है। फूलों की घाटी व ट्रिग्वाल पार्क दोनों की भौगोलिक स्थिति पर्वतीय है, इसलिए दोनों धरोहरों में जैव-विविधता व पर्यावरणीय दशाएं मिलती-जुलती हैं। ऐसे में उत्तराखंड व स्लोवेनिया एक साथ मिलकर जैव-विविधता के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, जो दोनों के हित में होगा।

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