_ प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुए मुख्यमंत्रियों के ‘सुशासन सम्मेलन’ में हुआ प्रस्तुतीकरण
_ धामी बोले : इसे युवाओं के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम के तौर पर भी देखा जाए
_ कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने होम स्टे योजना को सराहा, दिखाई दिलचस्पी
देहरादून। वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की अध्यक्षता में आयोजित भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों (12 राज्यों के मुख्यमंत्री और दो राज्यों के उपमुख्यमंत्री) के सुशासन सम्मेलन में उत्तराखण्ड सरकार की ओर से तकरीबन आधा दर्जन योजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया, जिनमें से ‘होम स्टे कॉसेप्ट’ ने खूब तालियां बटोरी। ये धामी सरकार की वो योजना है जो पहाड़ी क्षेत्रों से स्वरोजगार के अवसर मुहैया करवाने और पलायन रोकने के मकसद से संचालित की जा रही है। प्रजन्टेशन के वक्त कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने होम स्टे योजना को अपने प्रदेश में भी लागू करने की बात कही।
प्रस्तुतीकरण के दौरान जानकारी दी गई कि राज्य में स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने, नये पर्यटन स्थलों को विकसित करने, पर्यटकों को राज्य की संस्कृति से परिचित कराने एवं पलायन को रोकने के उद्देश्य से राज्य में होम स्टे पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बताया गया कि राज्य में अब तक 3700 से अधिक होम स्टे पंजीकृत हो चुके हैं जिनके संचालकों को 14.53 करोड़ की पूंजी सहायता वितरित की जा चुकी है। इस योजना से 8000 से अधिक रोजगार का सृजन हुआ है। इसके अलावा, राज्य सरकार होम स्टे संचालकों को गांवों में पर्यटन के बुनियादी ढ़ाचे के विकास, निजी वेब-साईट पर होम स्टे प्रचारित करने, सरकारी वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन प्रचार, निःशुल्क प्रशिक्षण, ट्रैवल मार्ट में निःशुल्क भागीदारी एवं गुणवत्ता निर्धारण के लिए सरकार से ग्रेडिंग की सुविधाएं दे रही है।
दरअसल, उत्तराखंड में पर्यटन आर्थिकी का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। सामान्य परिस्थितियों में प्रतिवर्ष यहां 3.5 करोड़ के लगभग सैलानी और तीर्थयात्री आते हैं। अब जबकि राज्य में केन्द्र सरकार के ‘चारधाम रोड प्रोजेक्ट’ व अन्य योजनाओं के तहत सड़कों की स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है तो आने वाले समय में यहां पर्यटकों का दबाव बढ़ना तय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारनाथ धाम में बीते 5 नवम्बर को ऐलान कर चुके हैं कि आने वाला दशक उत्तराखण्ड का होगा। इस दौरान यहां पिछले सौ सालों से अधिक पर्यटक और तीर्थयात्री आएंगे। इसी हिसाब से उनके रहने की सुविधाएं विकसित की जानी हैं। इसके मद्देनजर प्रदेश में दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होम स्टे) योजना की शुरुआत की गई है। योजना के अंतर्गत गांवों में घरों को होम स्टे में बदलने के लिए सरकार मदद कर रही है। शर्त यही है कि होम स्टे स्वामी स्वयं वहां रहेगा और पर्यटक पेइंग गेस्ट के रूप में। अतिथियों को उत्तराखंड के व्यंजन परोसे जाएंगे और उन्हें यहां की सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित कराया जाएगा।
सम्मेलन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि होम स्टे योजना का उद्देश्य गांवों को पर्यटन से जोड़कर बेरोजगर युवाओं को आजीविका के नए अवसर प्रदान करना है। इसे युवाओं के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम के तौर पर भी देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में चल रही होम स्टे की पहल देश को नई राह दिखाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी होम स्टे योजना की सराहना की। इससे पहले तीन बार मन की बात कार्यक्रम, केदारनाथधाम और फिर देहरादून में भी वह इस योजना का जिक्र कर इसे बहुपयोगी बता चुके हैं। तब उन्होंने कहा था कि होम स्टे बनाने में उत्तराखंड देश को दिशा दिखा सकता है। ऐसे प्रयास उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाएंगे। साफ है कि होम स्टे कॉसेप्ट की सफलता देखकर अन्य राज्य भी प्रेरित होंगे और भविष्य में उत्तराखंड उनका मार्गदर्शन करेगा।