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टीचर्स और स्टाफ के लिए वैक्सीन लगवाना हुआ अनिवार्य, नहीं माने तो हो जाएगी ‘छुट्टी’

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के लगातार कम होते मामलों के बीच राजधानी दिल्ली में सामान्य गतिविधियां भी बढ़ गई हैं। इसी क्रम में बुधवार को नर्सरी से 8वीं तक के स्कूल खोलने का ऐलान किया गया। कोरोना संकट के जल्द छुटकारा पाने के लिए राजधानी में युद्ध स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन अभी भी कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने कोविड वैक्सीन की पहली डोज भी नहीं ली है। शिक्षा निदेशालय ने अब ऐसे शिक्षकों पर नकेल कसी है जिन्होंने अभी तक वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली।

शिक्षा निदेशालय ने संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जिन शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों को टीका नहीं लगाया गया है, उन्हें 15 अक्टूबर तक टीका लगाया जाना चाहिए। अगर फिर भी उन्होंने टीका नहीं लगवाया तो उन्हें स्कूल में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उनकी अनुपस्थिति को ‘छुट्टी’ माना जाएगा। जिसके लिए उनकी सैलरी से पैसे भी काटे जा सकते हैं। स्कूल शिक्षकों और स्टाफ के लिए वैक्सीनेशन अनिवार्य करने वाला दिल्ली पहला केंद्र शासित प्रदेश है, अभी अन्य राज्यों में भी ऐसा निर्देश नहीं दिया गया है।

कक्षा 9वीं से 12वीं तक के स्कूल को खुले आज एक महीना पूरा हो गया है, ऐसे में बच्चों, शिक्षकों और स्टाफ का मिलना भी सामान्य बात है। 18 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को भी कोविड वैक्सीन की डोज लगाने के निर्देश दिए गए थे। अब स्कूल स्टाफ और टीचर्स के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इस बीच दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने चरणबद्ध तरीके से 1 नवंबर से फिर से नर्सरी से कक्षा 8 तक के स्कूलों को फिर से खोलने का ऐलान किया है। डीडीएमए की तरफ से बुधवार को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूलों को फिर से खोलने को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया।

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