कानपुर का बिकरू गांव : नरसंहार के 2 साल बाद क्या है हाल
बिकरू। 3 जुलाई, 2020, यह वो तारीख है, जब कानपुर जिले के बिकरू गांव में आधी रात को विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए दबिश देने गई पुलिस टीम पर गोलियां बरसाई गई थीं। इस घटना में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। स्थानीय निवासी राम चंद्र (बदला हुआ नाम)ने बताया कि इस गांव के लगभग हर घर का कम से कम एक सदस्य ऐसा व्यक्ति है जो या तो जेल में है या हत्याकांड के बाद पुलिस द्वारा उसे बेरहमी से पीटा गया। उनमें से कई की नौकरी तक चली गई है। कुछ अब काम नहीं कर पा रहे हैं। इस घटना ने हर जनजीवन को झकझोर कर रख दिया है। घटना के बाद कुछ परिवार ने बिकरू छोड़ दिया।
इस गांव के रहने वाले एक निवासी विवेक कुमार भी अपने भाई, चाचा और उनके परिवारों के साथ बिकरू को छोड़कर दूसरे जिले में बस गए हैं। विवेक कुमार ने कहा कि हमें पुलिस द्वारा नियमित रूप से परेशान किया जा रहा था, क्योंकि हमारा घर विकास दुबे के घर के पास स्थित है। पुलिस ने माना कि हम उसके गिरोह का हिस्सा थे और हर दिन परिवार से किसी को पूछताछ के लिए उठाया जाता था।
3 जुलाई के नरसंहार के बाद लगभग 54 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से अधिकतर गांव से थे, और वे सभी जेल में हैं। उन्हें जमानत से वंचित कर दिया गया है। पुलिस ने इस मामले में कुल 80 मामले दर्ज किए थे। 30 आरोपियों के शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिए गए। पुलिस मुठभेड़ में मारे गए बिकरू कांड के मुख्य सरगना विकास दुबे समेत गिरोह के अन्य सदस्यों की करीब 70 करोड़ रुपये की संपत्ति प्रशासन ने जब्त कर ली।
गांव में अभी भी पुलिसबल तैनात है। स्थानीय लोग विकास दुबे के ध्वस्त किए गए आवास के पास भी नहीं जाते हैं। दो दिन पहले पुलिस ने स्याहपुर गांव से विकास दुबे की स्कॉर्पियो कार बरामद की थी। जिस प्लॉट से कार बरामद हुई, उसके मालिक से पूछताछ की जा रही है। विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे ने कहा, “हम जीवित हैं, लेकिन वास्तव में हम मर चुके हैं। मेरे ससुर और सास के पास रहने के लिए जगह नहीं है। हमारे पास जो कुछ भी था, उसे जब्त कर लिया गया है। हमारे बैंक खाते भी जब्त हो गए है, घर चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है।”