मोदी की सफलता के राज खोलती नई किताब, क्या हैं पार्टी-निर्माण में मोदी की कारगर रणनीतियां?
नई दिल्ली। सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2019 में बड़ी जीत दर्ज की। यह जनादेश पिछले यानी 2014 के जनादेश से भी बड़ा था। 2014 की जीत को संयोग मानने वालों को 2019 में करारा जवाब मिला। दरअसल, ‘मोदी’ नाम का करिश्मा 2001 से ही अपनी छाप छोड़ रहा था। हिंदुत्व की विचारधारा के साथ आर्थिक विकास और कुशल शासन का मोदी ने ऐसा फॉर्मूला तैयार किया, जिसकी काट किसी के पास नहीं है। कई टिप्पणीकारों का मानना है कि यह फॉर्मूला ही मोदी की अभूतपूर्व लोकप्रियता का राज है। अन्य लोगों ने उनके व्यक्तिगत गुणों – जैसे कड़ी मेहनत, भाषण क्षमता और उनके करिश्मे को भी महत्वपूर्ण माना।
वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह की एक नई किताब, ‘द आर्किटेक्ट ऑफ द न्यू बीजेपी : हाउ नरेंद्र मोदी ट्रांसफॉम्र्ड द पार्टी’ एक नई परिकल्पना को आगे बढ़ाती है। किताब बताती है कि 1980 के दशक के अंत में जब मोदीको आरएसएस से भाजपा में भेजा गया था, उसी समय से उन्होंने पार्टी के जनाधार को मजबूत करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया और यही कारण है कि भाजपा लोगों पर अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रही है। उन क्षेत्रों में भी भाजपा ने अपनी पैठ बनाई है, जहां उसका नामों निशान तक नही था। संगठन विस्तार की इस प्रक्रिया में मोदी ने पूर्ववर्ती जनसंघ के पारंपरिक ‘संगठनवादी’ मॉडल पर आधारित कुछ असामान्य नई रणनीतियों को आजमाया।
अमेरिकी पॉलिटिकल साइंटिस्ट मायरोन वेनर ने ‘पार्टी बिल्डिंग इन ए न्यू नेशन : द इंडियन नेशनल कांग्रेस’ (1967) में सबसे पहले समकालीन राजनीति में ‘पार्टी-बिल्डिंग’ के महत्व को रेखांकित किया। उनका तर्क था कि पार्टी का निर्माण एक कला है और इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता, क्योंकि अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि यह कोई जैविक प्रक्रिया है जो अपने आप होती रहती है। यही तर्क मोदी और भाजपा के मामले में भी समान रूप से लागू होता है।
अजय सिंह इस समय भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव के रूप में कार्यरत हैं। भारत के राजनीतिक क्षितिज पर मोदी के उत्थान का, एक पत्रकार के नाते विशलेषण करते हुए अजय सिंह कई अनदेखे बिंदुओं की तरफ भी ध्यान खींचते हैं। वे मानते हैं कि विचारधारा और करिश्माई नेतृत्व ने मोदी को चरम पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन वे इससे भी अधिक महत्वपूर्ण, मोदी की पार्टी-निर्माण की नई तकनीकों के सफल प्रयोग को मानते हैं। मोदी ने अपने शुरुआती वर्षो में सुर्खियों से दूर इस लाइन पर चुपचाप काम किया और इसलिए कम ही लोग इसके बारे में जानते हैं।
सिंह विश्लेषण करते हैं कि मोदी और उनके मिशन के इस कम-ज्ञात पक्ष के कई अध्याय हैं, जो 1979 में गुजरात के मच्छू बांध टूटने से उपजीआपदा के बाद राहत कार्य से शुरू होते हैं। दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ वाल्टर एंडरसन ने इस पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है, “अजय सिंह ने एक महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी है, जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी के रूप में बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावशाली संगठनात्मक कौशल का विश्लेषण करती है। इस प्रक्रिया में उनका स्वयं का करियर भी आगे बढ़ा और प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा”।
आरएसएस के बारे में अपने अध्ययन, ‘द ब्रदरहुड इन सैफरन’ के सह-लेखक एंडरसन ने इस साल की शुरुआत में हुए राज्य चुनावों के परिणामों को नजदीक से देखा और लिखा, “इन राज्यों में भाजपा का चुनावी प्रदर्शन अजय सिंह की बात की पुष्टि करता है कि मोदी में पार्टी संगठन को एक इंटरफेस के रूप में सफलतापूर्वक उपयोग करने की क्षमता है। इसमें एक तरफ आम जनता है और उनकी उम्मीदें हैं तो दूसरी तरफ सरकार और नौकरशाही है। लेखक ने इस किताब के अधिकांश भाग में इस बात का विश्लेषण किया है कि मोदी काल के बाद भी उनके बनाए सिस्टम के जीवित रहने की संभावना है।”
साउथ एशिया स्टडीज, स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज, जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, यूएसए के पूर्व प्रमुख एंडरसन का मानना है कि इस तरह के काम के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान ही काफी नहीं है। संगठन की गहरी अंतर्दृष्टि के लिए इसके प्रमुख नेताओं, अधिकारियों, कार्यकर्ताओं के साथ वर्षो की बातचीत जरूरी होती है। सिंह इस कार्य के लिए आदर्श स्थिति में हैं, क्योंकि पिछले तीन दशकों में वे कई प्रमुख समाचारपत्रों, टीवी समाचार नेटवर्क और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए भाजपा की गतिविधियों को कवर कर रहे थे।
यह एक ‘रिपोर्टर की डायरी’ मात्र नहीं है। इसमें व्यापक स्रोतों का सैद्धांतिक विश्लेषण किया गया है। समापन अध्याय में पार्टी की उत्पत्ति का एक भव्य अवलोकन प्रस्तुत किया गया है, पार्टी की यात्रा के उथल पुथल वाले मध्य चरण की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए पार्टी के पिछले कुछ दशकों का बहुत गहराई से विश्लेषण हुआ है।
विश्लेषण को आगे बढ़ाते हुए लेखक भाजपा के संभावित भविष्य को भी देखते हैं। लेखक अजय सिंह का निष्कर्ष है, “भाजपा ने एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में कांग्रेस द्वारा पैदा किए गए राजनीतिक शून्य को सफलतापूर्वक पाट दिया है। जहां कांग्रेस ने अपने विशाल संगठनात्मक ढांचे को ध्वस्त कर प्रभावहीन बना दिया, वहीं मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि संगठन, सरकार के लिए एक राजनीतिक बाधा नबने। उन्होंने सरकार और संगठन के बीच एक अनोखा सामंजस्य स्थापित किया है, जो पहले कभी नहीं देखा गया था। राजनीतिक परि²श्य से मोदी के जाने के बाद भी, राजनीतिक अस्थिरता की गुंजाइश कम है, क्योंकि वह एक ऐस मजबूत राजनीतिक ढांचा अपने पीछे छोड़ जाएंगे जो समय के साथ नए नेता और कार्यकर्ता पैदा करता रहेगा।”