नई दिल्ली : नए साल 2023 का प्रारंभ 01 जनवरी दिन रविवार से होने वाला है. पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को नए साल की पहली पूर्णिमा होगी. यह पौष पूर्णिमा कहलाएगी. पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपने संपूर्ण 16 कलाओं से युक्त होकर धरती पर चांदनी बिखेरता है. ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है. पूर्णिमा की रात चंद्रमा और माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व है. ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं कि पौष पूर्णिमा कब है और इस रात चंद्रमा और माता लक्ष्मी की पूजा का क्या महत्व है?
पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 06 जनवरी दिन शुक्रवार को 02 बजकर 14 एएम से शुरू हो रही है. यह तिथि अगले दिन 07 जनवरी शनिवार को प्रात: 04 बजकर 37 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि और चंद्रमा की पूर्णिमा की रात का ध्यान करते हुए पौष पूर्णिमा 06 जनवरी 2023 को है. इस दिन व्रत, स्नान, दान और पूजा पाठ किया जाएगा.
पौष पूर्णिमा 2023 चंद्रोदय समय
06 जनवरी को पौष पूर्णिमा की शाम चंद्रमा का उदय ठीक 05 बजे होगा. पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा की चांद के अस्त होने का समय प्राप्त नहीं है.
साल 2023 की पहली पूर्णिमा यानि पौष पूर्णिमा सवार्थ सिद्धि योग में है. इस योग में आप जो भी शुभ कार्य करेंगे, वह पूर्ण और सफल होगा. उसकी सिद्धि होगी. इस तिथि में सर्वार्थ सिद्धि योग 07 जनवरी को 12 बजकर 14 एएम से सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक है. इसके अलावा पौष पूर्णिमा के दिन सुबह 08 बजकर 11 मिनट तक ब्रह्म योग बना हुआ है और उसके बाद से इंद्र योग रहेगा.
पौष पूर्णिमा पर भद्रा
06 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया है. पौष पूर्णिमा की सुबह 07 बजकर 15 मिनट से भद्रा लग रही है, जो दोपहर 03 बजकर 24 मिनट तक रहेगी. भद्रा में कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं.
पौष पूर्णिमा पर चंद्रमा और लक्ष्मी पूजा
पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है. इस दान पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनते हैं, जिससे जीवन में सुख और शांति आती है.
पौष पूर्णिमा की रात चंद्रमा और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है. चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में व्याप्त चंद्र दोष दूर होता है.