विश्व मधुमक्खी दिवस विशेष: पर्यावरण जैवविविधता के लिए जरूरी हैं मधुमक्खियां
नई दिल्ली: आज विश्व मधुमक्खी दिवस है यानी वर्ल्ड बी डे । आज का दिन मधुमक्खियों की भिन्न भिन्न प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में जागरूकता फैलाने का दिन है। मधुमक्खियां फूलों के रस को शहद में बदल देती हैं और उन्हें अपने छत्तों में जमा करती हैं। जंगलों से शहद एकत्र करने की परंपरा लंबे समय से लुप्त हो रही है। ऐसे में मधुमक्खी संरक्षण समय की मांग है।
इसी कड़ीं में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस पर वृहद राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन टेंट सिटी-II, एकता नगर, नर्मदा, गुजरात में कर रहा है। इसका शुभारंभ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर कर रहे हैं । इस अवसर पर वह 5 राज्यों में 7 जगह स्थापित की गई हनी टेस्टिंग लैब एंड प्रोसेसिंग यूनिट का उद्घाटन भी कर रहे हैं।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देते हुए देश के छोटे किसानों को अधिकाधिक लाभ पहुंचाना है, जिनकी प्रगति के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है।
जो भी फल-सब्जियां अनाज हम आप खाते हैं उन्हें उगाने के लिए मिट्टी पानी और धूप ही काफी नहीं होता इसके अलावा भी एक और प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, और वह है परागण यानी पोलीनेशन। विश्व की 30% फसलें परागण पर निर्भर हैं, और लगभग 90% पेड़ और पौधे बढ़ने और फल और बीज उत्पन्न के लिए परागण का इस्तेमाल करते हैं, मधुमक्खियां इस परागण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती है, यह दुख और चिंता का विषय है कि प्रदूषण और मानवीय गतिविधियों के कारण मधुमक्खियों की संख्या कम होती जा रही है, जिससे फसलों और जंगलों को नुकसान हो रहा है।
मधुमक्खियों के रहने की जगह नष्ट होती जा रही है, और पेड़ पौधों पर रासायनिक कीटनाशक छिड़कने से मधुमक्खियां खत्म होती जा रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अब केंद्र सरकार मधुमक्खी संरक्षण को एक नई ऊर्जा, एक नई गति देने के मिशन से जुड़कर काम कर रही है।