नई दिल्ली: राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी बिल पेश कर दिया. इसे पेश करते समय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संसद में जीएसटी को 2006 में पहली बार रखा गया था. राज्यों की वित्त मंत्रियों की कमेटी ने अपने सुझाव दिए. सिलेक्ट कमेटी के कुछ सुझावों को शामिल किया गया है. पूरे देश में एक टैक्स सिस्टम होगा. जीएसटी से भारत एक समान मार्केट में बदल जाएगा, सभी पार्टियों से बात की गई, कई तरह के सुझाव दिए गए. सहमति बनाने की पूरी कोशिश की गई. जीएसटी से पूरे देश में बड़ा बदलाव आएगा।
कांग्रेस ने जीएसटी का कभी विरोध नहीं किया : चिदंबरम
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माना कि यूपीए के समय पहली बार बिल आया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जीएसटी के आइडिया का कभी विरोध नहीं किया। 2014 में भी बिल का विरोध किया गया था। हमने विपक्ष का साथ लेकर पास कराने की पूरी कोशिश की। यहां तक पहुंचने में 11 साल लगे। सरकार विपक्ष की मदद के बिना पास कराने की कोशिश में थी।
चिदंबरम ने कहा कि अगर वित्त मंत्री जेटली इसे अच्छी तरह से देखें , वे पायेंगे कि इसमें ढीली-ढाली ड्राफ्टिंग है। उन्होंने कहा कि जो प्रावधान पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रखे वे सबसे बेहतर थे।
चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी बिल की आत्मा यही है कि उसमें टैक्स की दर क्या रहेगी। उन्होंने कहा कि हर वित्त मंत्री राजस्व को बढ़ाने के दबाव में रहता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अप्रत्यक्ष कर अमीर और गरीब, दोनों को प्रभावित करते हैं। ऊंची आय वाले देशों में अदा किए जाने वाले अप्रत्यक्ष टैक्स का औसत 16.4 फीसदी है, जबकि भारत जैसे विकासशील देशों में यह 14.1 फीसदी है। प्रत्यक्ष कर का कलेक्शन हमेशा अप्रत्यक्ष कर के कलेक्शन से अधिक होना चाहिए।
उनके बाद बीजेपी के भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि भारत के विकास में राज्यों को मिलकर काम करना होगा, और जीएसटी के ज़रिये हम भारत को ‘एक समान बाज़ार’ के रूप में पेश कर पाएंगे. इसके बाद हम 29 अलग-अलग बाज़ारों से एक बाज़ार में तब्दील हो जाएंगे, जो हमारी ताकत होगा. हमारे बिल में आम आदमी द्वारा दिए जाने वाले टैक्स को सरल कर दिया गया है.
राजस्थान से बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा, भारत में टैक्स चोरी इसीलिए होती है, क्योंकि हमारी टैक्स व्यवस्था काफी जटिल है. उन्होंने बताया कि राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले एक फीसदी अतिरिक्त कर को बिल में खत्म कर दिए जाने का मुआवज़ा केंद्र सरकार देगी.
यादव के मुताबिक, जीएसटी बिल के ज़रिये होने जा रहा यह वित्तीय बदलाव बारतीय अर्थव्यवस्ता को शक्तिशाली बनाएगा, और देश के सभी आर्थिक वर्गों के लोगों को न्याय प्रदान करेगा.
उनके बाद समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि उनकी पार्टी नहीं चाहते हुए भी जीएसटी बिल का समर्थन कर रही है, क्योंकि वे नहीं चाहते कि लोग उन्हें भारत के आर्थिक विकास की राह का रोड़ा समझें. उन्होंने कहा कि सरकार टैक्स की अधिकतम सीमा को निश्चित कर दिया जाना इसिलिए स्वीकार नहीं कर रही है, क्योंकि उसका इरादा टैक्स की दर को बढ़ाने का है.
जीएसटी बिल पर चर्चा के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने कहा, क्या हम चाहते हैं कि केंद्र के पास राज्य भीख का कटोरा लेकर जाएं. देश का संघीय ढांचा खत्म नहीं होना चाहिए. हमारे संविधान की संप्रूभता लोग हैं. तो अगर लोकसभा से पारित बिल अगर राज्यसभा में लोगों के पक्ष में नहीं पाया गया, तो हम इसके खिलाफ हैं.
वहीं जीएसटी पर गठित राज्यसभा की प्रवर समिति में बीएसपी के प्रतिनिधि रहे सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, ‘वस्तु एवं सेवा कर को बड़ी शक्तियां दी गई हैं। इसमें कानून में बदलाव करने की राज्य की शक्तियां छीन ली गई हैं, जिससे लोग प्रभावित होंगे.’
बीएसपी ने जीएसटी विधेयक को धन विधेयक की जगह वित्त विधेयक के तौर पर लाने के कांग्रेस की मांग का समर्थन किया, ताकि संसद के दोनों सदनों में इस पर चर्चा की जा सके. हालांकि इसके साथ ही मिश्रा ने कहा, हम उन 90% लोगों का साथ देने के लिए इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, जिन्हें उम्मीद है कि इस विधेयक से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.
गौरतलब है कि बिल को सरल और सीधी भाषा में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) बिल कहा जा रहा है वह असल में जीसएसटी बिल नहीं है बल्कि एक संविधान संशोधन बिल है, जो असल में जीएसटी बिल का रास्ता साफ करेगा.
चूंकि यह संविधान संशोधन कानून है इसलिये संसद से पास होने के बाद इस कानून को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना ज़रूरी है. इसके बाद ही केंद्र असल जीएसटी कानून लागू करा पाएगा.
बुधवार को इस संविधान संशोधन बिल की मदद से केंद्र सरकार टैक्स से जुड़े कानूनों को बनाने के अधिकार को समवर्ती अधिकारों की सूची में ला रही है यानी केंद्र एक ऐसा कानून बना सकता है जिसे बनाने का अधिकार अब तक उसके पास नहीं था और राज्यों और केंद्र के बीच अधिकारों का बंटवारा था. मिसाल के तौर पर सेल्स टैक्स की दर – जिसे तय करना राज्य सरकार का अधिकार है – अब केंद्र सरकार उसे तय करेगी.
क्योंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है इसलिए सरकार को सदन में कम से कम दो तिहाई बहुमत चाहिए. बहुमत का यह आंकड़ा सदन में सांसदों की कुल संख्या के आधे से कम नहीं होना चाहिए. इसका अर्थ यह भी है कि बिल के पास होते वक्त सदन में कोई हंगामा या शोर-शराबा की स्थिति न हो.
जीएसटी कानून लागू होने से राज्यों और केंद्र की ओर से लगाये जाने वाले कई अप्रत्यक्ष टैक्स खत्म हो जाएंगे और करों में एक समानता रहेगी. अभी तमाम टैक्सों की वजह से किसी भी प्रोडक्ट पर कुल 25 प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ता है, लेकिन अब जीएसटी आने के बाद प्रभावी टैक्स को 18-22% तक सीमित करने की बात है. कांग्रेस की प्रमुख मांगों में से एक है कि जीएसटी की दर को 18% पर सीमित किया जाए. औद्योगिक रूप से विकसित तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को जीएसटी बिल के पास होने के बाद घाटा उठाना पड़ेगा जिसकी भरपाई के लिये फिलहाल केंद्र ने भरोसा दिया है.
जीएसटी बिल के पास होने से हाइवे पर दिखने वाली तमाम चुंगियां खत्म हो जाएंगी लेकिन इससे महंगाई भी बढ़ेगी. इसलिए टैक्स के ढांचे में यह क्रांतिकारी बदलाव राजनीतिक रूप से मोदी सरकार के लिए परीक्षा भी है. खासकर अगले साल होने वाले पंजाब, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे महत्वपूर्ण चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार के लिए महंगाई एक बड़ा सिरदर्द रहेगा. इसी मुश्किल को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार ने अभी पेट्रोलियम पदार्थों को इस बिल से बाहर किया है ताकि महंगाई पर काबू रखा जा सके.
इस कानून में सबसे बड़ी अड़चन उत्पादन करने वाले राज्यों को होने वाला नुकसान रहा है. राज्यों को मनाने के लिये ही सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल के साथ शराब – जिससे काफी राजस्व इकट्ठा होता है- को इस बिल की परिधि से फिलहाल बाहर रखा है. राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी बिल में प्रावधान लाया गया है.
जीएसटी कानून बनने की प्रक्रिया को इस मकाम तक पहुंचने में करीब 10 साल लगे हैं. वित्तमंत्री कहते रहे हैं कि इस बिल के लागू होने से जीडीपी में एक से दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है. जानकार कहते हैं कि पहले कुछ वक्त में महंगाई भले ही दिखे लेकिन लंबी दौड़ में जीएसटी एक बड़ा कर सुधार कानून साबित होगा जो काले धन को काबू करने में मदद करेगा.
जीएसटी क्या है?
वस्तु और सेवाओं से जुड़ा टैक्स
पूरे देश भर में एक ही दर लागू
अलग-अलग करों से छुटकारा
राज्यों को मिलेगा टैक्स में हिस्सा
शुरुआती सालों में राज्यों को छूट
करों के वसूली में आसानी
जीडीपी बढ़ने की संभावना
कारोबार में होगी सुविधा
आर्थिक सुधारों के लिए ज़रूरी
आज़ादी के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार
यूपीए सरकार का बड़ा एजेंडा
GST कहां से कहां तक?
2000 : वाजपेयी सरकार ने कमेटी बनाई
2004 : केलकर टास्क फोर्स GST का सुझाव दिया
2006 : चिदंबरम ने अप्रैल,2010 से लागू का प्रस्ताव रखा
केंद्र और राज्य के बीच टैक्स की साझेदारी
2010 : प्रणब दा ने अप्रैल 2011 से लागू करने का ऐलान किया
यूपीए सरकार टैक्स सुधार लागू करने में नाकाम
2011 : 115वां संविधान संशोधन विधेयक पेश
विधेयक स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया
2013 : संसद में स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पेश
यूपीए सरकार पास कराने में नाकाम रही
गुजरात समेत बीजेपी राज्यों का विरोध
2014 : सत्ता में आई बीजेपी ने जोर लगाया
122वां संविधान संशोधन बिल पेश हुआ
कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग
2015 : जेटली का अप्रैल,2016 से लागू करने का ऐलान