उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा—किसी ने आक्रमण किया तो देंगे मुँहतोड़ जवाब
नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने कभी किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन यदि कोई हम पर आक्रमण करता है तो उसे ऐसा जवाब देंगे कि वह जिंदगी भर नहीं भूल सकेगा। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के कार्यकाल के दूसरे वर्ष के भाषणों का संकलन ‘लोकतंत्र के स्वर (खंड-2)’, उसके अंग्रेजी संस्करण ‘द रिपब्लिकन एथिक (वॉल्यूम-2)’ और दोनों के ई-संस्करणों का यहाँ प्रवासी भारतीय केंद्र में विमोचन करने के बाद श्री नायडू ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि दूसरे देशों के झगड़ने का कोई कारण नहीं है। विश्व गुरु और दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत ने कभी दूसरे देशों पर आक्रमण नहीं किया।
पाकिस्तान का नाम लिये बिना उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से उकसाये जाने के बावजूद भारत ने आक्रमण नहीं किया है लेकिन, उकसाने वालों समेत सभी को यह बात समझ लेनी चाहिये कि यदि कोई हम पर आक्रमण करता है तो उसे मुँहतोड़ जवाब दिया जायेगा जिसे आक्रमण करने वाला जिंदगी भर नहीं भूल सकेगा।
श्री नायडू ने कहा कि राष्ट्रपति के भाषणों के संकलन को प्रकाशित करने का उद्देश्य उनके विचारों को आम लोगों तक पहुँचाना है। उनके भाषणों में देश की विविधता की झलक मिलती है। इनमें श्री कोविंद की स्पष्ट सोच तथा विश्लेषण क्षमता भी परिलक्षित होती है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में श्री कोविंद के 95 भाषणों को आठ वृहद श्रेणियों के तहत रखा गया है। एक श्रेणी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर भी है जिसे ‘बापू’ नाम दिया गया है। इसमें बापू के प्रति श्री कोविंद के विचारों को पेश किया गया है। शिक्षा, संस्कृति तथा नौकरशाही, संसद में भाषण और भारत नाम से भी पुस्तक में श्रेणियाँ बनायी गयी हैं। उन्होंने श्री कोविंद को ‘बहुत गंभीर विचार करने वाला व्यक्तित्व’ बताया और कहा कि ‘लोकतंत्र के स्वर (खंड-2)’ अमेजन किंडल ऐप तथा अन्य ई-प्लेटफॉर्मों पर भी उपलब्ध है।
श्री कोविंद के कार्यकाल के प्रथम वर्ष के भाषणों का संकलन ‘लोकतंत्र के स्वर (खंड-1)’ नाम से प्रकाशित हुआ था। उसका लोकार्पण भी श्री नायडू ने ही किया था।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने श्री कोविंद को आम लाेगों का राष्ट्रपति बताते हुए कहा कि गाँव के कच्चे घर से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा में वह कभी अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। उन्हें भारतीय जीवन की गहरी समझ है और सामाजिक न्याय के संघर्ष के लिए उनका जीवन प्रेरणा स्रोत रहा है। अपने अनेक भाषणों में उन्होंने जन-जन के लिए न्याय सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।