नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 18 साल से ऊपर का हर व्यक्ति बिना किसी शुल्क के कोरोना रोधी वैक्सीन लेने का अधिकारी है, फिर वह चाहे कोई गरीब हो या अरबपति। इसके साथ ही केंद्र ने यह भरोसा भी दिलाया कि देश में हर किसी को सुरक्षित और प्रभावशाली टीका उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गत 31 मई को कोरोना प्रबंधन के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से कई सवाल किए थे। इनका जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 375 पेज का हलफनामा दायर कर बताया है कि कोविड-19 वैक्सीन गाइडलाइंस में संशोधन किया गया है। इसके तहत केंद्र सरकार 21 जून से वैक्सीन की खरीद कर रही है और ये 18 से 44 साल के सभी व्यक्तियों को मुफ्त टीका उपलब्ध कराने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की वैक्सीन नीति को लेकर तमाम सवाल उठाए थे और इसे प्रथम दृष्ट्या मनमानी और अतार्किक बता दिया था। इतना ही नहीं, कोर्ट ने केंद्र से यह जानकारी भी मांगी थी कि वैक्सीन के लिए अब तक निर्धारित की गई 35 हजार करोड़ रुपये की राशि कैसे खर्च की गई।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि जो लोग टीके के लिए भुगतान कर सकते हैं और स्वैच्छिक रूप से ऐसा करना चाहते हैं उन्हें निजी अस्पतालों के टीकाकरण केंद्रों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि सार्वजनिक संसाधनों पर भार कुछ कम किया जा सके।