चुनावी मिशन में रणनीतियों को भेदने में जुटी भाजपा-कांग्रेस
रायपुर: छत्तीसगढ़ के चुनावी मिशन में राजनीतिक दलों की रणनीति के बीच उठापटक तेज हो गई है। राजनीतिक दल अपने चुनावी प्रबंधन के साथ रणनीतियों को अमलीजामा पहनाने की होड़ में नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विरोधी दलों की रणनीतियों को भेदने की भी तैयारी हो रही है। राज्य की 90 सीटों के समीकरणों पर सत्ताधारी दल भाजपा ने कई दौर की बैठकों के बाद अपना रोड मैप तैयार किया है। वहीं इसे निचले स्तर पर अमलीजामा पहनाने के लिए पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का स्थानीय स्तर पर बड़ा घेरा भी तैयार किया गया है। सत्ताधारी दल ने चौथी पारी के लिए राज्य में मिशन 65 के दांव के साथ शुरूआत की है। इधर विपक्ष की ओर से कांग्रेस ने भाजपा का विजय रथ रोकने इस बार आक्रामकता दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। इसके बावजूद विपक्ष को भारी मशक्कतें करनी पड़ रही है। राज्य में रमन सरकार ने बोनस की किश्त का ऐलान कर विपक्ष से बड़ा मुद्दा छीनने जोर लगाया है। हालांकि विपक्ष अभी भी इस मुद्दे को छोडऩे के मूड में नजर नहीं आ रही है। प्रदेश में धान, किसान और बोनस के साथ समर्थन मूल्य को लेकर संकल्प पत्र के वादों पर ही घेरेबंदी की कोशिशें हो रही है।
प्रदेश में रमन सरकार ने किसानों को साधते हुए बोनस का ऐलान कर नाराजगी दूर करने दांव खेला है। इसके बावजूद विपक्ष ने राज्य के 37 लाख किसानों का मुद्दा उठाकर सरकार को मुश्किलों में डाला है। राज्य सरकार की ओर से केवल 13 लाख किसानों को ही बोनस देने की तैयारी है। इधर संगठनात्मक स्तर पर भी सरकार के फैसले और योजनाओं को चुनावी मिशन से जोड़कर चौथी बार सत्ता में काबिज होने की तैयारी हो रही है। भाजपा और कांग्रेस के दांवपेंच के चलते चुनावी साल के पहले ही राज्य में घमासान तेज होता जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे के कब्जे वाली सीटों को हथियाने के लिए फार्मूला तैयार किया है। यही वजह है कि रणनीतियों को भेदने के साथ मौजूदा सीटों को बचाने की उधेड़बुन में भी राजनीतिक दलों को जूझना पड़ रहा है।