दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ नई दिल्ली/पटना. दो दिन के लिए दिल्ली आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहला दिन उत्तरप्रदेश चुनाव में भाजपा को हराने की रणनीति बनाने में गुजारा, तो दूसरे दिन यानी गुरुवार को तीन केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर बिहार का हक मांगा। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित पैकेज के अनुसार रुपए देने की मांग की।
8282 करोड़ रुपए तत्काल भुगतान करने की मांग
नीतीश ने इस बारे में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की प्रति जेटली को भी सौंपी। इसमें बीआरजीएफ के 8282 करोड़ रुपए तत्काल भुगतान करने की बात है। शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने बिहार के किसी शहर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल न करने पर नाराजगी जताई। गृह मंत्री राजनाथ सिंह से उनका आग्रह रहा कि वे झारखंड के पास बिहार के बकाए 1952 करोड़ का भुगतान कराएं। यह बकाया पेंशन मद का है।
राजनाथ से कहा- झारखंड के पास पेंशन का हमारा 1952 करोड़ रुपए बकाया, जल्द दिलाएं
मुख्यमंत्री ने राजनाथ से कहा कि वे झारखंड पर बिहार का बकाया 1952 करोड़ रुपए देने के लिए दबाव बनाएं। यह राज्य विभाजन के चलते पेंशन के मद में झारखंड पर देनदारी है। न्यायालय ने भी इसे देने को कहा है। पर झारखंड सरकार आनाकानी कर रही है।
वेंकैया से नीतीश ने कहा- राज्यों की राजधानी को जरूर बनाएं स्मार्ट सिटी
वेंकैया नायडू से मुलाकात के बाद नीतीश मीडिया से मुखातिब थे। बोले-बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों के एक भी शहर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल नहीं करने से क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ेगा। इसका चयन अधिक पारदर्शी बने। इसका मौजूदा मापदंड बिहार जैसे राज्यों के अनुकूल नहीं है। बिहार में शहरी आबादी सिर्फ 11 फीसदी है। कम से कम सभी राज्यों की राजधानी स्मार्ट सिटी बने। पांच साल में 100 करोड़ रुपए से कुछ नहीं होगा। इसे बढ़ाया जाए। ग्रामीण क्षेत्र के शौचालय की तरह शहरों के शौचालय निर्माण के लिए भी 12 हजार रुपए मिले। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए और रुपए दिए जाएं। सूत्रों के अनुसार नायडू ने नीतीश की इन सलाहों पर अमल करने का भरोसा दिया।
वित्त मंत्री जेटली से बोले- दो किस्तों में दें विशेष योजना के 8282 करोड़ रुपए
नीतीश ने अरुण जेटली से कहा-12वीं पंचवर्षीय योजना में विशेष योजना के 8282 करोड़ रुपए दो किस्तों में फौरन दिलाएं। कम और समय पर रुपए नहीं देने का यह रवैया मुनासिब नहीं है।