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दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा, सरकारी वकीलों का वेतन बढ़ाने में देरी क्यों?

105541-delhi-high-courtदस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा है कि दिल्ली के सरकारी वकीलों का वेतन बढ़ाने से जुड़े उसके निर्देश का पालन करने में देरी क्यों हो रही है? अदालत की ओर से 9 सितंबर 2015 को जारी किए गए निर्देश का पालन न करने पर गृह सचिव के खिलाफ दर्ज अवमानना की याचिका पर जवाब मांगते हुए न्यायाधीश जे.आर. मिधा ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए पूछा, ‘केंद्र सरकार इसे लागू क्यों नहीं कर रही? देरी क्यों हो रही है?’ 

 

न्यायाधीश ने निर्देश दिए कि सुनवाई की अगली तारीख 19 अप्रैल को एक स्थिति रिपोर्ट को संबंधित मूल दस्तावेजों के साथ उपलब्ध करवाया जाए। उन्होंने कहा, ‘रिट याचिका (आपराधिक) 1549:2009 पर इस अदालत द्वारा 9 सितंबर 2015 को जारी किए गए आदेश का अनुपालन, यदि अब तक नहीं किया गया है तो प्रतिवादी एक (केंद्र) को सुनवाई की अगली तारीख से पहले इसका अनुपालन सुनिश्चित करना है।’ 

अदालत ने अपने सितंबर 2015 के आदेश में निर्देश दिया था कि दिल्ली के सरकारी वकीलों के वेतनमान को बढ़ाने के दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल के फैसले को बिना किसी देरी के लागू किया जाए। दिल्ली प्रॉसीक्यूटर्स वेल्फेयर असोसिएशन की ओर से दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया कि अदालत के आदेश के पालन में केंद्र और शहर की सरकार की ओर से ‘जानबूझकर अवज्ञा’ की जा रही है।

इसी बीच, वकीलों की संस्था की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि वह अदालत के सितंबर 2015 के आदेश के त्वरित पालन का मुद्दा केंद्र सरकार के साथ भी उठाएंगे। वकील आशीष दीक्षित की ओर से दायर याचिका में एसोसिएशन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने वकीलों को इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करवाने का जो आश्वासन दिया था, वह भी पूरा नहीं किया गया है। 

याचिका में कहा गया, ‘मंत्रिमंडल के एक सितंबर 2015 के फैसले को लागू करने के लिए इस अदालत की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बावजूद प्रतिवादियों (केंद्र और दिल्ली सरकार) ने अब तक निर्देशों का पालन नहीं किया है। याचिका में कहा गया, ‘प्रतिवादी एक (केंद्र) और प्रतिवादी दो (दिल्ली सरकार) ने इस अदालत के महत्व का उल्लंघन करने वाले रवैये का प्रदर्शन किया है। प्रतिवादियों ने जानबूझकर इस अदालत के निर्देश नहीं माने।’

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