न बोल सकता है न सुन सकते है यह इंटरनेशनल चैंपियनशिप में 5 मेडल जीते
एजेन्सी/ गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेन्द्र सिंह इकलौते भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने डेफलंपिक्स (मूक-बधिर लोगों के ओलंपिक) में गोल्ड मेडल जीता। 2005 व 2013 के डेफलंपिक्स में स्वर्ण पदक के साथ वे अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी 5 मेडल जीत चुके हैं।
वे इकलौते मूक-बधिर पहलवान हैं जो सामान्य पहलवानों से कुश्ती लड़ते हैं व जीतते भी हैं। 10 साल की उम्र से पहलवानी कर रहे वीरेंद्र की ट्रेनिंग मशहूर पहलवान सुशील कुमार के साथ हुई है। उनका लक्ष्य 2016 के रियो ओलंपिक में खेलना है, लेकिन बोल और सुन न पाने के कारण फेडरेशन उन्हें इजाजत नहीं दे रहा। इसके लिए उन्होंने खेल मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है।
पहलवानी की शुरुआत
बचपन में वीरेंद्र अपने घर के आंगन में बैठे हुए थे जब बाहर से आते हुए उनके रिश्तेदार ने देखा कि उन्हें पैर में दाद हुआ है। उसी का इलाज कराने वो उन्हें दिल्ली ले आए जहां से उनकी कुश्ती की शुरुआत हुई। हालांकि, वीरेंद्र बताते हैं कि उन्हें पहलवानी का शौक घर के पास वाले अखाड़े से लगा। इसी अखाड़े में उनके पिता अजित सिंह भी पहलवानी करते थे।
अब तक जीती ये चैंपियनशिप
2002 में वीरेंद्र ने दंगल लड़ने शुरू किए और फिर आगे बढ़ते-बढ़ते कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कामयाबी हासिल की। वीरेंद्र 2005 मेलबर्न डेफलंपिक्स में स्वर्ण पदक और 2009 तायपेई डेफलंपिक्स में कांस्य पदक जीत चुके हैं। इसके अलावा 2008 और 2012 वर्ल्ड डेफ रेसलिंग चैंपियनशिप (बधिरों की विश्व कुश्ती चैंपियनशिप) में भी वीरेंद्र रजत और कांस्य पदक जीत चुके हैं।