नीमखेडा का नाम रोशन करने वाली महिलाएं इस बार नहीं रच पाएंगी इतिहास
चंडीगढ़ . हरियाणा दुनिया भर में मेवात की ग्राम पंचायत नीमखेडा का नाम रोशन करने वाली महिलाएं इस बार इतिहास नहीं दोहरा पाएंगी. महिलाओं को इस बार पंचायत चुनाव में शर्तों की वजह से यह मायूसी हाथ लगी है.
कई बार महिला पंच, सरपंच से सजी नीमखेडा ग्राम पंचायत में पुरुष ही पंचायत प्रतिनिधि बन पाएंगे. दरअसल महिलाएं अनपढ़ होने के कारण चुनाव नहीं लड़ पाएंगी. इस बात का मलाल हमेशा गांव की दबंग सरपंच आसुबी और अन्य 9 पंच महिलाओं को रहेगा.
आपको बता दें कि पूर्व मंत्री मरहूम अजमत खान, पूर्व मंत्री आजाद मोहमद और पुन्हाना के विधायक रहीस खान इसी गांव में पले-बढे हैं. कई बार सरपंच बन चुकी आसूबी भी इसी राजनीतिक परिवार से हैं.
शुरू में 2005 में सरपंच सहित 10 महिलाएं, नीमखेडा गांव के लोगों ने चुन कर इतिहास रचा था. इस कारनामे के बाद नीमखेडा गांव का नाम देश में ही नहीं नार्वे तक में शान से लिया गया.
मौजूदा भिवानी के सांसद धर्मबीर सिंह ,उस समय सूबे के पंचायत मंत्री थे जिनके साथ भारत सरकार के आला अधिकारी ही नहीं, नार्वे का प्रतिनिधि मंडल नीमखेडा गांव पहूंचा था.
इस पंचायत में करीब 1250 वोटर हैं. 10 वार्ड हैं. इस बार 4 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. अब फिक्र इस बात की है कि इन चार वार्डों में भी अनपढ़ता के कारण चार पंच चुनना भी भारी पड़ रहा है.
गांव के लोगों की आर्थिक स्तिथि बेहतर नहीं है. महिलाएं घरेलू कामकाज के लिए खेती का काम दिनभर करती हैं. बावजूद इसके वे गांव की भलाई के लिए समय निकालकर बैठक करती थी.
महिलाओं ने शराब, जुआ, सट्टा जैसी सामाजिक बुराइयों पर रोक लगा कर नाम कमाया था. मेवात प्रशासन से भी इस पंचायत को हर संभव मदद दी गई.
इस बार पंचायत प्रतिनिधि के लिए दसवीं पास तथा दलितों के लिए आठवी और पांचवी की योग्यता सहित अन्य शर्ते रख दी तो, गांव के लोगों को इतिहास कायम नहीं रखने की वजह से थोड़ी मायूसी हुई.
अब ग्रामीण महिलाएं ,चौधर के बजाए घरेलू कामों में हाथ बांटती दिखाई देंगी. महिलाओं ने नीमखेडा गांव में सरपंची के दौरान जो मिशाल पेश की उसे मेवात ही नहीं बल्कि नार्वे जैसे देश भी कभी नहीं भुला पाएंगे.