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पीएम का विपक्ष पर हमला, पढ़ाया राजीव और इंदिरा का पाठ

phpThumb_generated_thumbnail (28)दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में बार-बार के व्यवधान पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की चिंता से सहमति जताते हुए सदस्यों से देश और आम जनता के हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की गुरुवार अपील की।  

मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कई अहम विधेयक संसद में लंबित पड़े हैं और सदस्यों को यह सोचना चाहिए कि इन्हें रोककर वे देश का क्या भला कर रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक, व्हिस्ल ब्लोअर बिल, जीएसटी बिल और उपभोक्ता संरक्षण विधेयक आदि का उल्लेख किया और कहा उन्हें इन विधेयकों को रोकने का कोई कारण नजर नहीं आता। 
 
उन्होंने उम्मीद जताई कि सांसद राष्ट्रपति की सलाह जरूर मानेंगे क्योंकि वह हमारी संवैधानिक व्यवस्था के प्रमुख हैं। मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ने अभिभाषण में संसद की कार्यवाही चलाने के प्रति अपेक्षाएं व्यक्त की हैं। उनकी बातें महत्वपूर्ण हैं। 
 
उन्होंने कई वर्ष इस प्रक्रिया में बिताए हैं और हमें अपने बड़ों की सलाह माननी चाहिए। प्रधानमंत्री ने सदस्यों से कहा कि आपके मनोबल के कारण शोरशराबे के बावजूद कुछ विधेयक पारित हुए हैं लेकिन आगे नहीं बढ़ पाए हैं। लगभग डेढ़ घंटे तक चले अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने संसद में कामकाज सुचारू रूप से चलाने के बारे में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के बयानों को भी उद्धृत किया। 
 
सदन बहस के लिए होता है
मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति में अपने अभिभाषण में कहा था कि सदन बहस के लिए होता है। पिछले दिनों संसद में जो कुछ हुआ उससे देश चिंतित है। प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उद्धृत करते हुए कहा कि सदन नहीं चलता है तो सत्ता पक्ष का कम विपक्ष का ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि उसे जनता की बात रखने से रोका जाता है। कितने ही विरोधी विचार हों लेकिन वे प्रकट होने चाहिए। संसद ऐसा मंच है जहां सरकार से तीखे सवाल पूछे जाते हैं और सरकार को अपनी सफाई देनी होती है। सदन की गरिमा और मर्यादा बनी रहे तो उसकी साख बनी रहती है। 
 
उन्होंने सदस्यों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विधेयकों को पारित कराने में सहयोग करने की अपील की और एक बार फिर राजीव गांधी को उद्धृत करते हुए कहा विधेयक पारित कराना इसलिए जरूरी है कि व्यवस्था से दलालों को खत्म किया जा सके, जमीनी स्तर पर जिम्मेदारियां बांटी जा सके, प्रशासन को जवाबदेह बनाया जा सके, प्रशासन, सामाजिक न्याय और विकास में आम जनता की भूमिका बढ़ाकर लोकतंत्र की नींव मजबूत की जा सके। 
 
विपक्ष पर किया तीखा कटाक्ष
मोदी ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए विपक्ष पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार के खिलाफ रोष के कारण सदन को नहीं चलने दिया जाता बल्कि हीनता की भावना के कारण ऐसा किया जाता है। कई छोटे-छोटे विपक्षी दलों में कई होनहार और तेजस्वी सांसद हैं जिन्होंने पूरे अध्ययन के बाद सदन में कई शानदार विचार रखे हैं लेकिन पिछले दो सत्र में उनका लाभ नहीं मिल पाया। 
 
उन्हें बोलने से रोकने के लिए ऐसा सदन में व्यवधान किया जाता है ताकि वे ताकतवर न बन जायें। साथ ही उन्होंने व्यंग्य भी किया कि कुछ सांसद मनोरंजन भी करवाते हैं। 
 
मोदी ने अपने सांसदों को चुप कराया 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान सत्ता पक्ष के सांसदों को उस समय चुप कराया जब वे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अपनी सीट से उठकर बाहर की तरफ जाने पर शोरशराबा कर रहे थे। 
 मोदी जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे तो इस दौरान राहुल गांधी उठकर सदन से बाहर जाने लगे। इसे देखते ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शोरशराबा कर राहुल से रुकने और प्रधानमंत्री का भाषण सुनते रहने को कहा। 
 इस पर कांग्रेस उपाध्यक्ष ने इशारे से कहा कि क्या वह टॉयलेट भी नहीं जा सकते और फिर वह बीच से ही सीट पर लौट आए। प्रधानमंत्री ने सत्ता पक्ष के सदस्यों से कहा कि इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं है और सदस्य चुप हो गए। इसके बाद श्री गांधी बाहर गए और कुछ ही देर बाद लौट आए। 

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