पॉक्सो एक्ट में खत्म होगा लड़का और लड़की के बीच भेद, मिल सकती है मंजूरी
पॉक्सो कानून में अब लड़के और लड़की का भेद खत्म होगा। पॉक्सो कानून में इस बदलाव संबंधी विधेयक को संसद के मानसून सत्र में मंजूरी मिलने की संभावना है। इस विधेयक में 12 साल तक के बच्चों (लड़का) के साथ रेप या कुकर्म में मौत की सजा का भी प्रावधान है। छोटे बच्चों के प्रति हो रहे अपराधों के लिए प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुएल ऑफेंसेस (पॉक्सो) में इस बदलाव पर अध्यादेश पहले ही लाया जा चुका है। देश में अब तक छोटे लड़कों के खिलाफ भी यौन अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। लिहाजा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अध्यादेश के बाद अब मानसून सत्र में आने वाले बिल में बदलाव करके लिंग समानता का प्रस्ताव किया है।
20 साल होगी न्यूनतम सजा
पॉक्सो एक्ट में संशोधन करके 16 साल से कम उम्र के बच्चों से रेप के मामले में 10 साल की न्यूनतम सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है। दुष्कर्म के मामले में सुनवाई तीन माह में और अपील छह महीने में निस्तारित करने का भी प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव में यह भी प्रावधान किया गया है कि 12 साल से कम उम्र के बालक एवं बालिका से रेप या कुकर्म के दोषी को मौत के अतिरिक्त न्यूनतम 20 साल की जेल या उम्रकैद की सजा भी दी जा सकेगी। जुर्माना इतना लगाया जाए जिससे पीड़ित का उपचार और पुनर्वास में सहायता मिले।
नाबालिगों के खिलाफ अपराध में 500 फीसदी की वृद्धि
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन क्राई (चाइल्ड राइट्स एंड यू) के मुताबिक भारत में पिछले 10 सालों में नाबालिगों के खिलाफ अपराध में 500 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है। आंकड़ों के मुताबिक बच्चों के विरुद्ध होने वाले 50 फीसदी अपराध देश के पांच राज्यों में दर्ज किए गए। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल प्रमुख हैं। एक अध्ययन के मुताबिक भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चा यौन अपराध का शिकार होता है। देश में हर घंटे 6 बच्चे गायब हो रहे हैं।