सबरीमाला टेम्पल में महिलाओं के प्रवेश का पूरे केरल में विरोध हो रहा है। महिलाओं के प्रवेश के बाद मंदिर के कपाट बंद किए गए थे और शुद्धिकरण किया गया था, संसद में भी इस प्रकरण की गूंज सुनाई दे रही है।
केरल: केरल के सुप्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सदियों से चली आ रही प्रथा आखिरकार नए साल के पहले बुधवार को टूट ही गई। सबरीमाला में बुधवार को 40 वर्ष से कम उम्र की दो महिलाओं के दर्शन करने के बाद से राज्य में जमकर बवाल शुरू हो गया। 2 महिलाओं के दर्शन करने के खिलाफ गुरुवार को कई हिंदूवादी संगठनों ने राज्यभर में बंद का आह्वान किया तो कांग्रेस सांसदों ने सबरीमाला मंदिर में 2 श्रद्धालुओं के मंदिर में प्रवेश करने पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया। जबकि प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों के हमले के विरोध में पत्रकार संगठन ने राज्य की राजधानी में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मीडिया पर भी हमला किया।
इस दौरान वहां 3 लोगों को चाकू मारा गया, इनमें बीजेपी कार्यकर्ता भी शामिल था। सबरीमाला में बुधवार तड़के 2 महिलाओं की एंट्री के बाद राज्य में कई जगहों पर काफी प्रदर्शन हुआ था, इसी प्रदर्शन के दौरान घायल हुए 55 वर्षीय चंदन उन्नीथन की मौत हो गई। विरोध-प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों पर भी हमला किया गया जिसमें कई मीडियाकर्मी घायल हो गए, इसके विरोध में पत्रकारों के संगठन ने राजधानी तिरुवनन्तपुरम में प्रदर्शन कर विरोध जताया। गुरुवार को राज्यभर में हुए प्रदर्शन के दौरान 266 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि कई संगठनों की ओर से बुलाए गए बंद के दौरान हमले के लिए जिम्मेदार 334 लोगों को पूछताछ के लिए पकड़ा गया है।
हिंसात्मक प्रदर्शन
गुरुवार को सबरीमाला में प्रदर्शन कर रहे 5 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, इन पर महिला पुलिसकर्मी पर हमला करने का आरोप था। जबकि दो सीपीआईएम के कार्यकर्ताओं को भी कस्टडी में लिया गया। आज राज्यव्यापी बंद बुलाया गया है। केरल के कोझिकोड में भी प्रदर्शनकारियों ने दुकानदारों पर हमला किया। पुलिस की भारी मौजूदगी के बावजूद प्रदर्शनकारी रुकने का नाम नहीं ले रहे और दुकानों को जबरन बंद करवा रहे हैं।
‘केरल को वार जोन बना रहा संघ’
राज्य में हो रहे प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को निशाने पर लिया। विजयन ने कहा कि संघ परिवार इस क्षेत्र को वॉर जोन बनाकर रखा हुआ है, सरकार इस प्रकार के प्रदर्शन बंद करना चाहती है। हम सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने का फैसला कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदर्शन में 7 पुलिस वाहनों, 79 सरकारी बसों और 39 पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बीजेपी, आरएसएस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उनके द्वारा की गई हिंसा से सख्ती से निपटा जाएगा। दोनों महिलाएं सबरीमला में ‘ऊपर से नहीं उतरीं’, बल्कि वे सामान्य भक्तों की तरह ही गई थीं और अन्य श्रद्धालुओं ने उनका विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने वाली कनकदुर्गा और बिंदू ने मंदिर जाने के लिए सुरक्षा मांगी थी जिसके बाद उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई। वे ऊपर से नहीं उतरी थीं। वे सामान्य भक्तों की तरह ही मंदिर गईं। अन्य श्रद्धालुओं ने उनका विरोध नहीं किया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हड़ताल करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ हड़ताल करने जैसा है। शुद्धिकरण के लिए मंदिर को बंद करने के मुख्य पुजारी के कदम की कड़ी आलोचना करते हुए, विजयन ने कहा कि यह शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ था। प्रदर्शन के दौरान मारे गए चंदन उन्नीथन, ‘सबरीमाला कर्म समिति’ का कार्यकर्ता था, जो कि महिलाओं के मंदिर में घुसने का विरोध कर रहा था। बुधवार को वहां हुई CPIM-BJP के कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में वह घायल हुए जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। देर रात ही उनकी मौत हो गई। आज कई हिंदूवादी संगठनों ने राज्यभर में बंद का आह्वान किया है। सुबह से लेकर शाम तक की यह हड़ताल विभिन्न हिंदुत्ववादी समूहों के एक संयुक्त संगठन ‘सबरीमला कर्म समिति’ द्वारा बुलाई गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल 28 सितंबर के फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहा है।
भगवान अयप्पा के इस मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं की एंट्री पर रोक थी। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस परंपरा को खत्म किया था, जिसका भारतीय जनता पार्टी और अन्य हिंदू संगठनों ने काफी विरोध किया था। गौरतलब है कि बुधवार को राज्य सचिवालय के बाहर करीब 5 घंटे तक संघर्ष चला, जिसमें माकपा-भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच पत्थरबाजी हुई। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने भी बिंदू और कनक दुर्गा नाम की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश और दर्शन करने की पुष्टि की, इन महिलाओं ने सुबह-सुबह 3.30 बजे दर्शन किए, लेकिन जैसे ही ये खबर फैली तो हंगामा मच गया। महिलाओं के दर्शन करने के बाद मंदिर की शुद्धि की गई और बाद में दोबारा मंदिर के कपाट खोले गए।
महिलाओं ने बनाई 620 KM. लंबी मानव श्रृंखला
काले परिधान पहने और चेहरों को ढकी महिलाओं ने तड़के तीन बजकर 38 मिनट पर मंदिर में प्रवेश किया। इससे एक ही दिन पहले केरल में राष्ट्रीय राजमार्गों पर करीब 35 लाख महिलाएं लैंगिक समानता बरकरार रखने की सरकारी पहल के तहत कासरगोड के उत्तरी छोर से तिरूवनंतपुरम के दक्षिणी छोर तक 620 किलोमीटर की मानव श्रृंखला बनाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुईं थीं।