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‘बसंती’ का किरदार 43 साल बाद भी महिला सशक्तीकरण का प्रतीक बना हुआ: हेमा मालिनी

नई दिल्ली: बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी ने गुरुवार को इंफोकॉम 2018 के ‘इन द स्पॉटलाइट’ सेशन में लोगों को संबोधित किया। यहां उन्होंने कहा कि ‘शोले’ फिल्म में उनका निभाया किरदार ‘बसंती’ 43 साल बाद भी महिला सशक्तीकरण का प्रतीक बना हुआ है। एक्ट्रेस ने कहा, ‘बसंती बॉलीवुड फिल्मों की पहली ऐसी महिला (किरदार) है जो तांगा चलाती है। आज की तारीख तक वह महिलाओं के सशक्तीकरण का प्रतीक बनी हुई है।

उत्तर प्रदेश के मथुरा से बीजेपी की लोकसभा सांसद हेमा मालिनी ने कहा, ‘अब मैं जब भी प्रचार के लिए जाती हूं, तो मैं वहां मौजूद महिलाओं को बताती हूं कि उनका योगदान बसंती तांगेवाली से कम नहीं है। महिलाएं कठोर परिश्रम करती हैं और आदिवासी मेहनत करते हैं, उन्हें नमन है।’ जब उनसे पूछा गया क्या वह अपने 50 साल के लंबे फिल्मी करियर में किसी अन्य भूमिका से ज्यादा लोकप्रिय है तो इस 70 वर्षीय बॉलीवुड अभिनेत्री जवाब में कहा, ‘मेरे डांस शो में आने वाले लोग मेरे डांस नंबर्स देखते हैं लेकिन जब भी मैं प्रचार के लिए निकलती हूं तो लोग मुझे इसलिए देखने आते हैं क्योंकि मैं बॉलीवुड कलाकार हूं।

मैंने कई फिल्मों में काम किया लेकिन लोगों को शोले ही याद है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यह कैरेक्टर फेमस हो गया था।’ जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने महान फिल्मकार सत्यजीत रे के साथ काम क्यों नहीं किया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे मौका ही नहीं मिला, अगर वह मुझे किसी रोल का प्रस्ताव देते तो मैं उसे स्वीकार कर लेती।’ एक अन्य सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि एफसी मेहरा की फिल्म ‘लाल पत्थर’ उनकी सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है। उन्होंने फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे अभिनेता राजकुमार के कहने पर इसमें नेगेटिव कैरेक्टर किया था। इसी तरह उन्होंने किशोर कुमार के कहने पर बांग्ला भाषा में दो गीत भी गाए।

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