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भारत समेत दुनिया के ये 17 देश भी कर रहे गंभीर जल संकट का सामना, भारत 13वें स्थान पर

वाशिंगटन । भारत समेत दुनिया के 17 देश इस समय गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। अगर इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो जल्द ही इन देशों में पानी की एक बूंद भी नहीं बचेगी। द वल्र्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआइ) ने अपनी एक रिपोर्ट में इस खतरे के प्रति आगाह किया है। डब्ल्यूआरआइ ने पानी की कमी, बाढ़ और सूखे के खतरे के आधार पर 189 देशों व उनके प्रांतों को अपनी सूची में अलग-अलग स्थान पर रखा है। जल संकट के मामले में भारत 13वें स्थान पर है।

भारत के लिए इस मोर्चे पर चुनौती बड़ी है क्योंकि उसकी आबादी जल संकट का सामना कर रहे अन्य 16 देशों से तीन गुना ज्यादा है। रिपोर्ट में जल संकट की पहचान के लिए 13 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया। इनमें भूजल भंडार और उसमें आ रही कमी भी शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी भारत में भू-जलस्तर की कमी गंभीर संकट है। भारत के जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व सचिव और डब्ल्यूआरआइ इंडिया के सदस्य शशि शेखर ने कहा, ‘हाल में चेन्नई के जल संकट ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। इसके अलावा भी भारत के कई हिस्सों में पानी की कमी की समस्या लगातार बढ़ रही है।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत वर्षा जल, भूजल और नदियों में मौजूद जल के आंकड़ों के आधार पर सटीक रणनीति बनाकर जल संकट से निपट सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जलसंकट से जूझ रहे 17 में से 12 देश पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के हैं। इन सभी देशों में भूजल और नदियों में मौजूद जल का 80 फीसद हिस्सा कृषि, उद्योग और नगर निगमों द्वारा इस्तेमाल में लाया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रहे जल संकट को गंभीर खतरा बताया गया है। डब्ल्यूआरआइ अध्यक्ष एंड्रयू स्टीर ने कहा कि पानी की कमी होना सबसे बड़ा संकट है, जिसके बारे में आज कोई भी बात नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल संकट के कारण ही आज खाद्य असुरक्षा, संघर्ष, पलायन और वित्तीय अस्थिरता पैदा हो रही है। स्टीर ने कहा कि नई पीढ़ी के लोग इस समस्या का समाधान खोज रहे हैं पर यह काफी नहीं है। यदि समय रहते हमने ठोस कदम नहीं उठाए तो यह मानव जाति को यह महंगा पड़ सकता है।

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