मथुरा में प्लॉट पर कब्जे को लेकर सगे भाइयों की गोली मारकर हत्या, तीसरा भाई घायल
मथुरा के शेरगढ़ के पैगांव में प्लॉट को लेकर हुए विवाद में जमकर लाठी-डंडे और गोलियां चलीं। इसमें सगे भाइयों की मौत हो गई, जबकि एक भाई घायल हो गया। आरोप पड़ोस के परिवार के लोगों पर ही लगा है। सूचना पर काफी देर बाद पहुंची शेरगढ़ पुलिस से पहले ही हमलावर भाग खड़े हुए। पुलिस हमलावरों की तलाश में जुटी थी।
थाना शेरगढ़ के पैगांव निवासी रतन सिंह और सुखवीर में गांव में प्लॉट को लेकर बुधवार को विवाद हो गया। पहले तो दोनों पक्षों में मुंह बात होती रही, फिर लाठी डंडे निकल आए। लाठी डंडे चलने लगे तो इसी बीच गोलियां भी चलने लगी। गोली रतन सिंह और राजेश सिंह(सगे भाई) को पेट में लगी। सिर में चोट लगने से तीसरा भाई रन सिंह भी घायल हो गया। गांव में माहौल गरमा गया। सूचना पर शेरगढ़ पुलिस के काफी देर बाद पहुंची। इससे पहले ही हमलावर भाग खड़े हुए। एसपी देहात श्रीशचंद ने बताया कि सगे भाई रतन सिंह और राजेश सिंह के पेट में गोली लगने से मौत हुई है। प्लॉट को लेकर सुखवीर से झगड़ा शुरू हुआ था। दोनों पारिवारिक हैं। हालांकि हमलावरों की तलाश की जा रही है। तहरीर मिलने पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
जब कमजोर हाथों में थानों की कमान दी जाएगी तो ऐसी वारदातें होना तो लाजमी ही है। ऐसा कुछ बुधवार को शेरगढ़ के पैगांव में हुआ। अगर शेरगढ़ पुलिस थोड़ी भी गंभीर होती तो बुधवार को गोलीकांड कतई नहीं होता। कारण थाना प्रभारी की अनुभवहीनता साफ दिखाई दी। साथ ही एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर की अनुभवहीनों के हाथों में भी थानों की कमान देना भी इसमें साफ हीलाहवाली दिख रही है। अगर अनुभवशाली थाने का प्रभारी होता तो इस बड़ी वारदात को टाला जा सकता था। बस अब तो केवल पुलिस कोरम पूरा करने के साथ ही लीपापोती में जरूर जुट गई है। यही हाल रहा तो जनपद में अनुभवहीनों के हाथों में थानों की कमान देना एसएसपी के संग शासन को भी शर्मसार कर सकता है।
गोलीकांड से पैगांव में काफी दहशत है। माहौल गरमाने से एहतियात के लिए पुलिसबल तैनात किया गया है। पुलिस और पीएसी के जवान गांव में तैनात किए गए हैं। पल पल की गतिविधियों पर एसपी देहात श्रीशचंद नजरें गढ़ाए हुए हैं।