संघ ने कई उज्ज्वल परम्पराओं को स्थापित किया : अमित शाह
राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 05 सरसंघचालकों पर आधारित पुस्तकों का किया गया लोकार्पण
लखनऊ: प्रदेश के राज्यपालराम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में आज यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 05 सरसंघचालकों पर आधारित पुस्तकों का लोकार्पण सांसद अमित शाह द्वारा किया गया। यह पुस्तकें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक एवं प्रथम सरसंघचालक डाॅ0 केशवराव हेडगेवार, द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवरकर ‘श्रीगुरुजी’, तृतीय सरसंघचालक श्री बालासाहब देवरस, चतुर्थ सरसंघचालक प्रो0 राजेन्द्र सिंह ‘रज्जू भैया’ तथा पांचवे सरसंघचालक श्री सुदर्शन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित हैं। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों पर आधारित पुस्तकों का लोकार्पण दीपावली के तोहफे के समान है। इन पुस्तकों के पाठकों को विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन के प्रारम्भ होने से लेकर वर्तमान समय तक की प्रगति और उत्थान की जानकारी मिलेगी।
कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन पुस्तकों के प्रकाशन से न केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास के बारे में प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध होगी, बल्कि संघ के विषय में प्रचलित भ्रान्त धारणाओं का निवारण भी होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष 1925 से लगातार तमाम सम-विषम परिस्थितियों के बावजूद स्वतः स्फूर्त भाव से देश के प्राचीन आदर्शों, मूल्यों आदि को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। योगी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यक्तिवादी, परिवारवादी और किसी धर्म विशेष के प्रति आग्रही न बनने की सीख देता है और एक ही धर्म, राष्ट्रधर्म के पालन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। विश्व में कोई भी अन्य स्वयंसेवी संगठन ऐसा नहीं है, जो बिना किसी सरकारी सहयोग के इतने प्रभावी ढंग से आगे बढ़ा हो। आज इस संस्था के अनेक संगठन और सेवा प्रकल्प देश और समाज को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सांसद अमित शाह ने कहा कि पांचों पूर्व सरसंघचालकों के जीवन चरित्र का लोकार्पण हम सभी के लिए सौभाग्य का दिन है। वर्ष 1925 से लेकर वर्ष 2017 की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यात्रा अनेक उतार-चढ़ाव से भरी हुई है। अभी तक संघ पर 03 बार प्रतिबन्ध लग चुका है। अपनी यात्रा में जितनी कठिनाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामने आयी है, उतनी किसी अन्य संगठन को नहीं देखनी पड़ी। श्री शाह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कभी भी व्यक्ति का महत्व नहीं रहा। यह परम्परा अभी भी कायम है। संघ से निकले अनेक स्वयंसेवक आज विभिन्न क्षेत्रों में समाज का नेतृत्व कर रहे हैं। संघ ने कई उज्ज्वल परम्पराओं को स्थापित किया है। विश्व की यह अद्वितीय संस्था है, जिसमें चन्दा नहीं लिया जाता। संघ द्वारा स्वयंसेवकों के मजबूत शरीर और दृढ़ मन पर बल दिया जाता है, क्योंकि बिना मजबूत शरीर के मन दृढ़ नहीं हो सकता। बिना दृढ़ मन के आत्मा सुदृढ़ नहीं हो सकती और राष्ट्र सेवा के लिए शरीर, मन और आत्मा तीनों का सुदृढ़ होना आवश्यक है।