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कभी प्लैटफ़ार्म पर रह कर करता था सिविल सर्विस की तैयारी, आज बन गया IAS अफसर

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि परीक्षाओं का दौर चल रहा है। कंपटीशन का दौर इतना बढ़ गया है कि किसी भी चीज के लिए एक कड़ी टक्कर देनी पड़ती है। ऑनलाइन जितने भी वैकेंसी निकलती है उनके लिए लाखों कैंडिडेट अप्लाई करते हैं और उसमें से भी कुछ ही उसे क्वालीफाई कर पाते हैं। ऐसे में इन सब परीक्षा में से सबसे टफ सिविल की परीक्षा मानी जाती है। लेकिन क्या आप कभी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि कोई मजदूर इस आईएएस को परीक्षा क्वालीफाई कर सकता है, जिसे होनहार लोग तैयारी करते करते थक जाते है। जी हां हम जिसकी बात कर रहे है , वो दिन में मजदूरी करता था और जब वह थक जाता था, तो रेलवे प्लेटफॉर्म को ही अपना घर समझकर वहीं सो जाता था और सुबह उठते ही जी तोड़ मेहनत करता था।

अब यह कौन जानता था कि प्लेटफॉर्म पर सोने वाला यह शख्स एक दिन आईएएस की परीक्षा देकर आईएएस अफसर बन कर दिखाएगा। जी हां, जिंदगी में अगर किसी ने कुछ कर गुजरने की ठान ली तो उसे कोई भी रोक नही सकता। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे शख्स से रूबरू कराने जा रहे है, जो तमिलनाडु का रहने वाला है। इसका नाम एम शिवागुरू प्रभाकरन है। जिसने दिन रात एक कर अपनी मेहनत से सिविल की परीक्षा पास की और आईएएस ऑफिसर बन गया। आपको बता दे कि प्रभकरन ने यूपीएससी सिविल सर्विस 2017 के जब परीक्षा का परिणाम देखा तो उन्हें विश्वास ही नही हुआ। जी हां, क्योकि उन्होंने देश में 101वीं रैंक हासिल की और अधिकारी बन गए। रेलवे स्टेशन पर रात गुजारने वाले प्रभाकरन के आईएएस अफसर बनने की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है और इनकी कहानी हर उस युवा को प्रेरित करती है, जो अपने जीवन में कुछ न कुछ करना चाहते हैं।

तो चलिए आपको बताते है कि कितनी कठनाइयों से गुजर के वो यह परीक्षा पास कर सके। वैसे तो प्रभाकरन तमिलनाडु के तंजावुर जिले के पट्युकोट्टई में मेलाओत्तान्काडू गांव के रहने वाले हैं। लेकिन इनके पिता काफी ज्यादा शराबी के आदि हो चुके थे, जिसके चलते घर की सारी जिम्मेदारी प्रभाकरन के कंधों पर आ गई थी। घर के हालात बेहद खराब थे इसलिए उन्होंने 12वीं के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी। घर की जिम्मेदारी संभालनी थी, इसलिए उन्होंने नौकरी शुरू कर दी। इसके बाद 2 साल तक उन्होंने आरा मशीन में लकड़ी काटने का काम किया और इसके साथ ही खेतों में मजदूरी भी की। इन सब की तरह कई परेशानियों के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। इसके साथ ही उन्होंने साल 2008 में अपने छोटे भाई को अपने दम पर इंजीनियरिंग कराई और इसके साथ ही बहन की शादी भी करवाई।

अपनी जिम्मेदारियो को निभाने के बाद वो इंजीनियरिंग बनने के लिए चेन्नई चले गए। प्रभाकरन आईआईटी से पढ़ाई करना चाहते थे। इसकी एंट्रेंस एग्जाम पास करने के लिए उन्होंने खूब मेहनत भी की। इसके लिए उन्होंने दिन में पढ़ाई और रात में सेंट थॉमस मांउंट रेलवे स्टेशन पर सोया करते थे। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने आईआईटी में दाखिला लिया और एमटेक में टॉप रैंक हासिल कर ली। इसके बाद प्रभाकरन सिविल सर्विसेज की परीक्षा के लिए जुट गए जिसमे उन्होंने 101 रैंक हासिल किया। लेकिन आपको बता दे कि करने प्रभाकरन ने इससे पहले तीन बार कोशिश की थी। लेकिन वो चौथी बार में प्रभाकरन को सफलता हांसिल हुई और 990 उम्मीदवारों में उनका 101वीं रैंक आया।

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