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बैटल रोप से पाएं एक्‍ट्रेस जैसी फ‍िटनेस और स्‍मार्टनेस

वर्कआउट करने का चलन

आजकल युवाओं में सलेब्रिटीज के विडियोज देखकर वर्कआउट करने का चलन बढ़ रहा है। हाल ही में करीना कपूर खान और सोनाक्षी सिन्हा जैसी अभिनेत्रियों के कुछ विडियोज यू ट्यूब पर ट्रेंड कर रहे थे, जिनमें वे बैटल रोप एक्सरसाइज करती नजर आ रही थीं। उन्हें देखने के बाद से लड़कियां इसमें काफी रुचि ले रही हैं।

बैटल रोप से पाएं एक्‍ट्रेस जैसी फ‍िटनेस और स्‍मार्टनेस

क्या हैं बैटल रोप्स

रस्सियों के सहारे किया जाने वाला यह वर्कआउट एरोबिक ऐक्टिविटी की श्रेणी में आता है। इससे जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है। इसे हाई इंटेंसिटी ट्रेनिंग की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि इसमें प्रति मिनट के हिसाब से 10 कैलरीज बर्न की जा सकती हैं। इस व्यायाम में मांसपेशियों को अलग-अलग तरीकों से ट्रेन किया जाता है। 50-100 फीट लंबी व 2.5 इंच चौड़ी ये रस्सियां व्यक्ति के हृदय की कार्य क्षमता को भी बढ़ाती हैं।

जानें इसकी खासियत

हर व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य व क्षमता के आधार पर विभिन्न व्यायामों के फायदे भी अलग होते हैं। उसी तरह से बैटल रोप एक्सरसाइज के भी कई फायदे हैं।

समय की बचत

व्यस्त दिनचर्या वालों के लिए यह व्यायाम सर्वश्रेष्ठ है। इसमें कम समय में काफी कैलरी बर्न की जा सकती है। जो लोग अपने शरीर का फैट कम करने के लिए घंटों तक कठिन वर्कआउट करते हैं, उनके लिए यह व्यायाम बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

कई फायदे

इस व्यायाम से फैट बर्न होने के साथ ही मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। कंधों व बाइसेप्स के आसपास का फैट हटाते हुए यह शरीर के इन हिस्सों को अधिक फिट बनाता है।

कहीं भी, कभी भी

वेट लिफ्टिंग व ट्रेडमिल के लिए व्यक्ति का जिम जाना या घर में ही एक्सरसाइज करना जरूरी होता है। कहीं बाहर जाना हो तो उतने दिनों की प्रैक्टिस छूट भी जाती है, जबकि इसमें ऐसा नहीं है। इसे जिम में प्रोफेशनल तरीके से करने के अलावा रस्सी को आप अपने साथ कहीं भी आसानी से लेकर जा सकते हैं।

ट्रेनिंग टिप्स    

हर व्यायाम की तरह इसके साथ भी दिशा-निर्देश जुड़े हुए हैं।

इस व्यायाम को करते समय पीछे की ओर न झुकें। इसे बैठ कर भी किया जा सकता है।

रस्सी को बहुत मजबूती से न खींचें। लचीली वेव्स बनाने के लिए जरूरी है कि पकड़ थोड़ी ढीली हो।

जब इस व्यायाम को खड़े होकर कर रहे हों तो हलका सा आगे की ओर झुकें और घुटनों को इस तरह से मोड़ें कि भार एडिय़ों पर न पड़े। 

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