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अगर आप भी खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो ज़रूर पढ़ें ये खबर

अगर आप अपना पहला घर खरीदने की सोच रहे हैं और आप भी उन लोगों  में शामिल हैं जिनको बिल्कुल भी पता नही है कि शुरूआत कहां से की जाये तो ये जानकारी आपके लिये जरूर मददगार साबित होगी ।

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प्रथम चरण- घर कहां खरीदा जाये ?
आजकल युवा प्रोफेशनल्स पहले से बहुत ज्यादा गतिशील हो गये हैं , उन्हें अक्सर वहां रहना होता है जहां उन्हें नौकरी मिलती है। इसका ये मतलब नही है कि उन्हें वहीं घर खरीदना चाहिये जहां वे काम करते हैं इसके बजाय उन्हें अपनी पसंद के शहर में घर लेना चाहिये। ऐसे लोगों के लिये देवांग शाह MBA (IIM Ahmadabad)C.F.P.R(India & USA) Right Return Financial Planning सुझाते हैं कि घर खऱीदने के लिये सबसे ज़रुरी मानक यही होना चाहिये कि आप निश्चित करें कि “क्या ये वही शहर है जहां मैं रहना चाहता हूं”।

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अपना लोन.कॉम के सीइओ हर्ष रूंगटा कहते हैं कि घऱ तब तक नही खरीदना चाहिये जब तक उसमें रहना ना हो क्योकि एक युवा जब अपना घर किराये पर देना चाहे तो उसे बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पङता है और साथ ही उनके पास निवेश प्रयोजन के लिये घर के अतिरिक्त अन्य बहुत से आकर्षक विकल्प भी हैं ।

दूसरा चरण—कितना धन लगाया जाये ?
एक बार आपने निर्णय कर लिया कि आपको घर खरीदना है तो दूसरी ध्यान रखने वाली बात ये है कि आप घर पर कितना पैसा लगाना चाहते हैं। इसके लिये कुछ बातें याद रखनी चाहिये।

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(आप कितने घर खरीद सकते हैं? )
क्योंकि आप युवा हैं तो ये माना जा सकता है कि आपके पास बहुत अधिक बचत व जमापूंजी नहीं होगी , अगर आपके सपनों का घर इसमें नही आ सकता तो और कौनसा घर मिल सकता है, ये देखना चाहिये।
पंकज देसाई जो कोटक महिंद्रा बैंक के रिटेल एसेट्स के प्रमुख हैं,
कहते हैं कि ऐसे लोगों को 11 से 15 लाख तक की प्राँपर्टी जिसमें 10 लाख तक का लोन मिल सके के बारे में सोचना चाहिये।

घर चुनने के लिये सबसे महत्वपूर्ण कारक-

ये आप पर निर्भर करता है कि आप एक नये, आलीशान घर को पसंद करते हैं जिससे आपके ऑफिस की दूरी काफी ज्यादा है या कोई छोटा घर भी चलेगा जो ऑफिस से बिलकुल दूर नहीं ।

आर्थिक सलाहकार गौरव मशरूवाला कहते हैं कि घर एक दीर्घ अवधि का निवेश होता है जो आपके अगले 7-8 वर्षों तक की जरूरतों को पूरा कर सके, इसलिये कुछ पैसों के लिये आवश्यकताओं से समझौता ना करें ।

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किराये का घर लें या घर खरीदना बेहतर इस बहस से बचें क्योंकि ये गलत आवधारणाओं पर टिकी है और दोनों के अलग अलग फायदे या नुक्सान हैं जैसे-अगर आप किराये के घर में रहते हैं तो छोटे घर में भी रह सकते हैं, आप को फर्नीचर पर खर्च नही करना पङता साथ ही स्टाम्प डयूटी भी नही देनी होती। अगर आप घर लेते हैं तो आप चाहेंगे कि आगे आने वाले सालों तक वो घर आपकी जरूरतों को पूरा करे, लेकिन एक बार घर खरीदने पर आपकी इच्छा व आवश्यकतानुसार लोकेशन बदलने की सुविधा समाप्त हो जाती है।

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तीसरा चरण- कितना लोन लिया जा सकता है ?
बेशक आपने कई सर्वे के आधार पर घर खरीदने के इंतजाम किये होंगे लेकिन विशेषज्ञों की राय के अनुसार

खरीदने से पूर्व बजट बनायें—
घर खरीदने से पूर्व घरेलू बजट को जांच लेना चाहिये क्य़ोंकि इससे आप लोन पेमेंट चुकाने तथा अपने कुल खर्चों पर पङने वाले प्रभाव को जान सकते हैं ।
लोन लेने के बाद भी आपको आगे होने वाले बाकि खर्चों को उठाने लायक होना चाहिये जैसे आर्थिक संगठन द्वारा ली जाने वाली फीस,ब्रोकर फीस, नया फर्नीचर आदि इन सबका हिसाब कर लेना चाहिये ।

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राजीव सबरवाल(सीओओ आईसीआईसीआई होम फायनेंस) बताते हैं कि अधिकतर फायनेंसर प्राँपर्टी वैल्यू का 85% तक का ऋण दे सकते हैं,शेष आपको स्वयं वहन करना पङता है ।
घर खरीदने का बजट आपके घरेलू बजट पर निर्भर होना चाहिये जिससे पता चले कि आप लोन को कितने EMI में सकते हैं ।
मशरूवाला सुझाव देते हैं कि अविवाहित व्यक्ति के लिये EMI उसकी आय के 60-65% से अधिक ना हो तथा विवाहितों के लिये उनकी संयुक्त आमदनी के 35% से 40 % के बीच में होना चाहिये।

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( अधिकतम लोन पाने के लिये अपनी योग्यता बढायें जिससे आप विस्तृत रेंज में से घर चुन सकें।)
लोन की मात्रा बढाने के लिये संयुक्त रूप से लोन लीजिये जिससे लोन चुकाने की क्षमता बढ जाये। सामान्यतया HFC मासिक आमदनी का 30% से 55% लोन रिपेमेंट के लिये देने की आज्ञा दे सकता है ।
दूसरा विकल्प—लंबी अवधि में लोन चुकाने का विकल्प जिससे EMI घट जाये ।

चरणबद्ध लोन
इसमें शरूआती दिनों में कम EMI देनी होती है तथा जैसे जैसे आपकी आय बढती जाती है आप अधिक मात्रा में लोन चुकता कर सकते हैं लेकिन ये सुविधा सिर्फ प्रशिक्षित रूप से दक्ष लोगों के लिये ही उपलब्ध है ।

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एक अच्छी खबर ये है कि आजकल बैंक घर खरीदने पर होने वाले अतिरिक्त खर्चों जैसे स्टाम्प डयूटी, ट्रांसफर,पार्किंग चार्जेज,क्लब हाउस मेंबरशिप,इंटीरीयर आद को भी वहन करने को भी तैयार है तो आपको पहले ये जांच लेना चाहिये कि आपका बैंक ये खर्चे उठायेगा या नहीं

लोन की तुलना—
आपके मित्र ने किसी बैंक से लोन लिया सिर्फ इसलिये वहां मत जाइये, अनेक बैंको से पता करिये, अपनी गणना करके दो बेहतरीन बैंकों की होम लोन स्कीम के अंतर्गत मंजूरी लीजिये। इस तरह आपके पास एक बैक-अप प्लान होगा ,जिससे अगर आपका फायनेंसर कुछ अतिरिक्त लागत दिखा कर आपका हिसाब बिगाङना चाहे तो उससे बचा जा सकेगा ।

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यदि आपके होम लोन का प्रमुख घटक 1 लाख रूपये है और आप कोई अन्य निवेश नहीं करते तो आपको इसका पूरा लाभ मिलेगा,और अंत में दोहरा लाभ मिल सकता है जैसे-मुख्य राशि पर 1 लाख रूपये तक की रियायत और ब्याज राशि पर 1.5 लाख तक की कटौती का फायदा हो सकता है ।

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