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अगले माह शुरू हो जाएगा चाबहार पोर्ट, खुलेगा कई देशों का रास्ता

नई दिल्ली : ईरान के चाबहार पोर्ट के पहले चरण के शुरु होने में पहले ही कुछ विलंब हो गया हो, लेकिन अगले चरण का काम बहुत तेजी से पूरा किया जाएगा। भारत अपनी ओर से चाबहार पोर्ट के विकास के लिए जरुरी सभी तरह की सहायता उपलब्ध कराने में कोई लापरवाही नहीं करेगा। यह पोर्ट भारत की आर्थिक रणनीतियों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से भारत की पूर्व सोवियत गणराज्य के सदस्य देशों और अफगानिस्तान के बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी। इसके साथ ही अफगानिस्तान से भी भारत का संबंध सीधे जुड़ जाएगा। अब तक बीच में पाकिस्तान होने की वजह से भारत अफगानिस्तान में सीधे माल नहीं भेज पाता था। अगर सब कुछ ठीक रहा है, तो अगले महीने से चाबहार पोर्ट से भारत रूस को निर्यात करना शुरु कर देगा। इस बारे में सोमवार को भारत आ रहे रूस के विदेश मंत्री सेर्गी लावरोव और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच बात होगी। रूस के विदेश मंत्री भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आ रहे हैं। उनकी स्वराज के साथ द्विपक्षीय बैठक भी होगी जिसमें हर तरह के मुद्दे पर चर्चा होगी।

जानकारों का कहना है कि भारत और रूस के बीच पहले भी चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाने के लिए करने पर बात हुई है। भारत और रूस का द्विपक्षीय कारोबार सिर्फ 10 अरब डॉलर का है लेकिन दोनों देश इसे पांच वर्षो के भीतर बढ़ा कर 30 अरब डॉलर करना चाहते हैं और इसमें चाबहार पोर्ट एक अहम भूमिका निभा सकता है। इस पोर्ट के खुल जाने से भारतीय उत्पादों को कम समय व कम लागत में रूस भेजा जा सकता है। मोटे तौर पर अभी भारतीय सामान को रूस के बाजार में भेजने में जितना समय लगता है उससे आधे समय में अब इसे चाबहार के जरिए भेजा सकेगा। इससे दोनों देशों की कंपनियों की तरफ से एक दूसरे देश में होने वाले निवेश में भी भारी बढ़ोतरी की बात कही जा रही है। एक जून, 2017 को रूस में राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात में भौगोलिक दूरी को आपसी कारोबार की राह का सबसे बड़ा रोड़ा माना गया था।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि चाबहार पोर्ट की प्रगति को देखते हुए इंटरनेशनल नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कारीडोर (आईएनएसटीसी) को लेकर भी अब उत्सुकता बढ़ी है। यह कारीडोर आने वाले दिनों में चीन की बेल्ट व रोड इनिसिएटिव (बीआरआइ) से मुकाबला कर सकता है। वर्ष 2010 में भारत, ईरान और रुस की अगुवाई में आइएनएसटीसी पर समझौता किया गया था। इन तीन देशों के अलावा इसमें अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरेबजान समेत कुछ और देश भी हैं। यह 7200 किलोमीटर एक लंबा सड़क, समुद्री व रेल नेटवर्क का जाल होगा जो मुंबई को केंद्रीय एशिया से होते हुए बाकू व मास्को को जोड़ेगा। पिछले कुछ वर्षो से इसकी प्रगति धीमी थी लेकिन चाबहार के शुरु हो जाने के बाद भारत इसको लेकर अब ज्यादा सक्रिय होगा।

 

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