राजनीति

अब सिर्फ ये लोग तय करेंगे, यूपी में आयेगी किसकी सरकार

untitled-1-copy-5लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने एक दूसरे के वोटबैंक में सेंध लगना शुरू कर दिया है। खासतौर पर सभी दलों की नजर पिछडा़ और अतिपिछड़ों वर्ग पर है। बीते चुनावों के रेकॉर्ड पर गौर किया जाए तो पिछड़ा और अति पिछड़ा जिस ओर गया, उसी पार्टी की ही यूपी में सरकार बनी। यूपी में अति पिछड़ों की आबादी 33 प्रतिशत से ज्यादा है। ये आबादी प्रदेश की करीब 80 सीटों पर किसी भी प्रत्याशी को जिताने का दम रखती है।  इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए केवल बसपा ही नहीं भाजपा भी पिछड़ा सम्मेलन कर रही है। बसपा ने तो अतिपिछड़ों को एकजुट करने की मुहिम में पूरी ताकत झोंक दी है।

यूपी की 110 सीटों पर अति पिछड़ों का 15 फीसदी मत

बसपा ने हाल में ही अति पिछड़ी जातियों को पार्टी के पक्ष में एकजुट करने के लिए हर जिला मुख्यालय पर पिछड़ा वर्ग सम्मेलन आयोजित करने का निर्देश नेताओं को दिया। बसपा के इन सम्मेलनों को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव राजभर, पार्टी के पूर्व सांसद आरके सिंह पटेल, पूर्व एमएलसी आरएस कुशवाला समेत दूसरे नेता संबोधित कर रहे हैं। अति पिछड़ी जातियां लंबे समय से बसपा का प्रमुख वोटबैंक रही हैं। बसपा नेताओं का दावा है कि पार्टी संस्थापक कांशीराम के समय से ही दलितों, अल्पसंख्यकों के साथ अति पिछड़ी जातियां बसपा के पक्ष में एकजुट हो रही हैं। इनको मिलाकर 85 फीसदी बहुजन समाज बना था। यूपी के विधानसभा चुनावों में इस वोटबैंक की बहुत अहमियत है। प्रदेश की करीब 110 सीटें ऐसी हैं जहां अति पिछड़ों का वोट बैंक आठ से 15 फीसदी के बीच है।

लोकसभा में सभी सीटों पर भाजपा जीती

2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर के चलते बसपा का ये वोटबैंक छिटक कर भाजपा में जुड़ गया। लोकसभा में भाजपा ने 15 अति पिछड़ों को टिकट दिया था, इसमें से सभी चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे। जबकि बसपा एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी थी। लोकसभा के इस परिणाम ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को बसपा में सेंधमारी करने का रास्ता दिखाया।

 यूपी में भाजपा करेगी 200 सम्मेलन

अमित शाह ने बसपा में पिछड़े वर्ग के मजबूत नेता माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को भाजपा में शामिल कर लिया। फिर स्वामी प्रसाद मौर्य की सलाह पर ही बसपा के अति पिछड़ा वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए भाजपा अति पिछड़ों में पार्टी का आधार बढ़ाने के लिए पिछड़ा वर्ग सम्मेलन का आयोजित करने लगी। जिसके तहत भाजपा ने हर दो विधानसभा क्षेत्र में होने वाले ऐसे सम्मेलनों में पिछड़े वर्ग से संबंधित नेताओं, पार्टी पदाधिकारियों के साथ इस वर्ग के केंद्रीय मंत्रियों तक के कार्यक्रम तय कर रही हैं। भाजपा ने यूपी में करीब 200 सम्मेलन करने का लक्ष्य रखा है। भाजपा के पिछड़ा वर्ग सम्मेलनों में पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी बढने से भाजपा नेता गदगद हैं।

भाजपा ने बढ़ाई बसपा की चिंता

भाजपा और अन्य दलों की पिछड़ा और अतिपिछड़ा मतों में सेंध लगाने के प्रयासों ने बसपा प्रमुख मायावती की चिंता बढ़ा दी है। बसपा नेताओं की मानें तो बीते दिनों दिल्ली में मायावती के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की हुई बैठक में अति पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में एकजुट करने के लिए यूपी में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन आयोजित करने का निर्देश दिया गया।

10 जनवरी से पहले सभी जिलों में बसपा करेगी पिछड़ा सम्मेलन

बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि 10 जनवरी के पहले प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में यह सम्मेलन हो जाने हैं। इन सम्मेलनों में रामअचल राजभर सहित बसपा के प्रमुख नेता भाजपा को पिछड़ा वर्ग विरोधी साबित करेंगे। साथ ही पार्टी प्रमुख मायावती को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर से काबिज करने और भाजपा से दूर रहने की अपील समाज के लोगों से करेंगे। इस दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य के बसपा के मूवमेंट से दगा करने की बात भी सम्मेलन में आए लोगों से कही जाएगी। साथ ही यह भी कहा जाएगा कि यूपी का पहले भी पिछड़ा वर्ग बसपा के साथ था और आगे भी रहेगा। बसपा नेता राज अचल राजभर कहते हैं कि बसपा के ऐसे सम्मेलनों से पार्टी को लाभ होगा और जहां अति पिछड़े वर्ग में भाजपा के प्रति बढ़ने वाला रुझान पर रोक लगेगी, वहीं पहले की तरह अति पिछड़ा वर्ग बसपा के मूवमेंट से जुड़ेगा।

 

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