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अभिनव बिंद्रा, गगन और जीतू राय जैसे स्‍टार, रियो ओलिंपिक्‍स में शूटरों से सर्वाधिक उम्‍मीदें

abhinav-bindra_650x488_61443418320दस्तक टाइम्स एजेंसी/ नई दिल्ली: शिलांग और गुवाहाटी में ख़त्म हुए दक्षिण एशियाई खेलों में भारतीय शूटर्स ने 26 में से 25 स्वर्ण पदक जीते। इस बार रियो ओलिंपिक्स के लिए रिकॉर्ड नंबर में दर्जनभर शूटर्स ने क्वालिफ़ाई किया है, लेकिन क्या ये शूटर्स रियो से रिकॉर्ड मेडल जीतकर वापस लौटेंगे?

एथेंस में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने इतिहास रचा था। बीजिंग में पहली बार अभिनव बिंद्रा ने भारत के लिए निजी प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक जीता जबकि लंदन में विजय कुमार ने रजत और गगन नारंग ने कांस्य पदक जीतकर इस परंपरा को और मजबूत किया। ओलिंपिक्स में मेडल्स की हैट्रिक लगाने वाली शूटिंग टीम से इस बार भी रियो में बड़ी उम्मीद की जा रही है।

रियो ओलिंपिक्स से पहले भी भारतीय शूटर्स की बंदूकें गरजने लगी हैं। 2004 में ओलिंपिक्स में मिली पहली कामयाबी के बाद से लेकर अब तक सिर्फ़ 12 साल में शूटिंग में बहुत फ़र्क आ गया है। पूर्व वर्ल्ड चैंपियन (2006 ज़ागरेब वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले) मानवजीत सिंह संधू कहते हैं, ” पहले इस खेल को एमेच्योर तरीके से हैंडल किया जाता था। खिलाड़ी और अधिकारी दोनों ही एमेच्योर थे। अब चेंज आया है तो नतीजा भी दिख रहा है।”

ऐसे में कारतूस और इक्विपमेंट की कमी जैसे जुमले अब बीते ज़माने की बात लगते हैं। भारतीय ओलिंपिक संघ के पूर्व महासचिव और पूर्व ओलिंपियन ट्रैप शूटर रणधीर सिंह कहते हैं, “हमारे ज़माने में कोई फ़ैसिलिटी नहीं थी। एक तरह से बहुत थोड़ी सुविधाएं थीं। अब सरकार भी मदद करती है। आप चाहें तो बाहर जाकर ट्रेनिंग कर सकते हैं। भारत में भी कई वर्ल्ड क्लास रेंजेज़ हैं।” भारतीय शूटर्स के सामने अब टॉप पर टिके रहने की चुनौती है। कई शूटर्स मानते हैं कि टॉप के देशों और भारत के बीच फ़ासला है लेकिन अधिकारी कुछ और राय रखते हैं।मानवजीत सिंह संधू कहते हैं, ” हम टॉप के देशों से आगे तो नहीं हैं, उनके साथ भी नहीं हैं, लेकिन चीन जैसे देशों से बस एक कदम पीछे हैं। चीन से कंपीट करना अब भी इंडिविज़ुअल ब्रिलिएंस पर निर्भर करता है। भारतीय शूटिंग संघ के अध्यक्ष रानेंद्र सिंह कहते हैं, “जहां तक चीन का सवाल है तो अभी हाल ही में कुवैत में एशियन चैंपियनशिप हुई थी, वहां उन्होंने 48 मेडल जीते तो हमने भी 48 मेडल जीते। उनका एक गोल्ड हमसे ज़्यादा था। जूनियर्स में हम उनसे कहीं आगे थे। अगली पीढ़ी हमें आगे ले जा सकती है।”

इस बार सबसे ज़्यादा भारतीय शूटर्स ओलिंपिक खेलों में हिस्‍सा लेंगे। लेकिन क्या शूटर इस बार पहले से ज़्यादा और बेहतर मेडल ला सकेंगे ये बड़ा सवाल है? रियो के लिए क्वालिफ़ाई करने वाले शूटर्स पर एक नज़र-

1. अभिनव बिंद्रा
निजी स्पर्धाओं में 120 साल के ओलिंपिक के इतिहास में भारत के इकलौते स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव का ओलिंपिक के साल में फ़ॉर्म में लौटना भारत के लिए बहुत अच्छी ख़बर है। बिंद्रा लंदन की अपनी नाकामी का बदला लेने की कोशिश रियो में ज़रूर करेंगे।

 

गगन नारंग से इस बार भी ओलिंपिक में पदक जीतने की उम्‍मीद होगी।

2. गगन नारंग

गगन नारंग इकलौते भारतीय शूटर हैं जिन्होंने लंदन में पदक जीतने के साथ रियो ओलिंपिक्स में जगह बनाई है। गगन फ़ॉर्म में हैं और दबाव में खेलना जानते हैं। गगन से एक बार फिर बड़ी उम्मीदें रहेंगी।


3. किनान चेनाई
रियो ओलिंपिक्स का टिकट हासिल करने के बाद अपनी मां से गले मिल रहे हैदराबाद के किनान चेनाई भावुक हैं। दिलचस्प है कि 22 साल के किनान पिछले साल शूटिंग नेशनल्स में अपने पिता से हार गए थे। अभिनव बिंद्रा से लेकर मानवजीत सिंह और मनशेर सिंह जैसे ट्रैप शूटर किनान को बेहद प्रतिभाशाली ट्रैप शूटर मानते हैं।

4. हीना सिद्धू
पूर्व वर्ल्ड नंबर 1 पिस्टल शूटर हीना सिद्धू ने ओलिंपिक से छह महीने पहले अंतर्राष्ट्रीय पदकों की हैट्रिक लगाकर क्वालिफ़ाई किया है और राहत महसूस कर रही हैं। हीना लंदन ओलिंपिक्स के क्वालिफ़िकेशन में 12वें नंबर पर रहीं। लेकिन इस बार ख़ास तैयारी के साथ मैदान में उतरेंगी और उनके फ़ैन्स दुआएं करेंगे कि उनका निशाना टारगेट पर लगे।

5. प्रकाश नाजप्पा
बेंगलुरू के 39 साल के प्रकाश नानजप्पा कमाल की प्रतिभा के शख़्सियत हैं। इंजीनियर, शूटर, बैडमिंटन खिलाड़ी, मोटरबाइक रेसर रह चुके प्रकश का अब एक ओलिंपियन बनना उनके बेशुमार टैलेंट की कहानी कहता है। कमाल की बात ये है कि एक पैरालिटिक अटैक के बाद उन्होंने फिर से मैदान पर जीतना हासिल किया है। वे ओलिंपिक में भी कोई पदक जीत जाएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।

 

जीतू राय ने सबसे पहले रियो के लिए टिकट हासिल किया

6. जीतू राय
26 साल के पिस्टल किंग जीतू राय ने 50 मीटर पिस्टल में ओलिंपिक्स से क़रीब दो साल पहले भारत की ओर से सबसे पहले रियो का टिकट हासिल किया। वर्ल्ड कप, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले जीतू राय में ओलिंपिक्स के पोडियम के लिए ज़बरदस्त भूख नज़र आती है। यही भूख उनकी कामयाबी का मंत्र साबित हो सकती है

7. गुरप्रीत
म्यूनिख़ वर्ल्ड कप में 10 मीटर एयर पिस्टल के ज़रिये रियो का टिकट हासिल करने वाले गुरप्रीत सिंह लगातार खुद को मांजते रहे हैं। रियो में कुछ कर दिखाने के इरादे के साथ गुरप्रीत को लगता है कि उनकी मेहनत ज़रूर रंग लाएगी।

8. चैन सिंह
जीतू और गुरप्रीत की तरह आर्मी के राइफ़ल शूटर चैन सिंह ने ओलिंपिक्स से क़रीब साल भर पहले अज़रबैज़ान के गबाला में रियो का टिकट हासिल किया और पदकों की दावेदारी में उनके प्रतिद्वन्द्वी शूटर उन्हें गंभीरता से लेते हैं।

9. अयोनिका पॉल
एक तैराक से शूटर बनीं मुंबई की अयोनिका पॉल को शूटिंग के खेल में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा। मशहूर शूटर सुमा शिरूर की अगुआई में तैयारी कर रहीं आयोनिका ने ओलिंपिक के लिए क्वालिफ़ाई कर बड़ा मुकाम हासिल किया है। लेकिन उनका सफ़र अब और बड़ा हो गया है।

10. अपूर्वी चंदेला
ग्लास्‍गो कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली जयपुर की अपूर्व चंदेला पिछले कुछ समय से ज़बरदस्त फ़ॉर्म में नज़र आ रही हैं। अभिनव बिंद्रा से जानकार शूटर भी उन्हें बेहद हुनरमंद शूटर मानते हैं और उनसे बड़ी उम्मीदें रखते हैं।

11. मैराज़ अहमद ख़ान
39 साल की उम्र में स्कीट के ज़रिये पहली बार ओलिंपिक्स का टिकट हासिल करने वाले उत्तर प्रदेश के के मैराज़ अहमद ख़ान में इस खेल का जुनून पहले से ज़्यादा बढ़ गया है और अब वो मेडल से कम की नहीं सोचते। मैराज़ कहते हैं, ” निजी तौर पर ओलिंपिक्स का गोल्ड जीतना मेरा सपना रहा है. मैं उसके लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं।”

12. संजीव राजपूत-
2011 वर्ल्ड कप गोल्ड मेडलिस्ट राइफ़ल शूटर संजीव राजपूत को लगता है कि उन्हें मौक़ा मिला तो वो अपने तीसरे ओलिंपिक में पदक ज़रूर जीतेंगे। कमाल की बात है कि अर्जुन पुरस्कार जीतने औरदो बार ओलिंपिक्स में भारत की नुमाइंदगी करने के बावजूद संजीव के पास आज कोई नौकरी नहीं है। इस बारे में वे कहते हैं, “जॉब तो सबको मिलनी चाहिए. कोई हाई प्रोफ़ाइल, अर्जुन अवार्डी  दो-दो ओलिंपिक खेल चुका शूटर्स जॉब की तलाश में हो, डेढ़ साल से जॉब नहीं मिल रहा हो तो ये सिस्टम पर कमेंट है।”

फ़ेल हो गए ये सितारे
इन सबके बीच ओलिंपिक पदक विजेता विजय, वेटरन शूटर मानवीजत और प्रतिभाशाली रोंजन सोढी का फ़्लॉप होना भी भारतीय शूटिंग तंत्र पर भी टिप्पणी है। एशियन ओलिंपिक क्वालिफ़ाइंग शूटिंग में मायूस होने के बाद विजय कहते हैं, “हार्डलक रहा। एक शॉट की वजह से मैं 5वें नंबर पर रहा। मेरे पास और टाइम है।2020 का ओलिंपिक्स है वह मेरा अगला टारगेट है।” मानवजीत कहते हैं, “हमारा टारगेट 2 कोटा हासिल करना था. मैं एक शॉट से चूक गया। ये कहानी मेरे साथ पूरे साल ही चली है।”

सिस्टम की कमियों की ओर कई एक्सपर्ट्स इशारा करते हैं, लेकिन अधिकारी इससे इत्तिफ़ाक नहीं रखते। indianshooting.com के सीईओ और राष्ट्रीय राइफ़ल शूटर शिमोन शरीफ़ कहते हैं, ” ये बेस्ट टीम है या नहीं ये कहना मुश्किल है लेकिन ये स्टार टीम नहीं है। विजय, मानवजीत, रोंजन जैसे शूटर्स क्वालिफ़ाई नहीं कर सक। इनमें ओलिंपिक और वर्ल्ड लेवल पर जीतने का माद्दा है।”

एक फ़िक्र तैयारी के स्टाइल को लेकर भी है। शूटिंग अब बदले नियमों के तहत होती है जहां फ़ाइनल में खिलाड़ियों को क्लीन रिकॉर्ड के साथ शुरुआत करनी होती है। पूर्व ओलिंपियन शूटर मनशेर सिंह कहते हैं, ” भारतीय टीम से उम्मीद बहुत है। फ़ाइनल में बेइंतहा दबाव होता है, इसे लेकर ही चिंता है।” जबकि शिमोन शरीफ़ कहते हैं, “फ़िज़िकल फ़िटनेस से ज़्यादा ये मेंटल स्पोर्टस है। बिंद्रा जैसे शूटर लैनी बैशम जैसे मेंटल ट्रेनर के साथ काम कर चुके हैं। बाक़ी शूटर्स को उसी लेवल पर तैयारी की ज़रूरत है।”

 

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