राष्ट्रीय

अभी भी खतरे से बेपरवाह फडनवीस

तीन बार मौत के चंगुल से बाल-बाल बचे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

संजय रोकड़े

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस अभी तक तीन हवाई दुर्घटनाओं का शिकार होकर जिंदगी और मौत के इस खेल में बाल-बाल बचे है, बावजूद इसके राज्य के विमानन अधिकारी इस बात को लेकर बेफ्रिक है उनकी जान माल की सुरक्षा को लेकर कहीं चुक हुई है। आज के दौर में एक नेता ऐसा भी है जिसने एक-दो बार नहीं, बल्कि 3 महीने में तीन बार हवाई घटनाओं में मौत को मात दी है। सीएम के साथ होने वाली तीन हवार्ई दुर्घटनाओं पर भृकुटियां तन जानी चाहिए थी, लेकिन लचीलेपन का आलम ये है कि राज्य सरकार का नागरिक उड्डयन विभाग इस बात को लेकर विशेष चिंतित नही है कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा के साथ समझौता हुआ है। आइए जानते  है उनके साथ होने वाली घटनाओं की सिलसिलेवार जानकारी। उनके साथ कब और कैसे घटनाएं घटी और वे कैसे इन घटनाओं को मात देकर बाल-बाल बचे है उसकी कहानी में सबसे पहले हम 7 जुलाई को होने वाली अनहोनी के बारे में जानते है। इस ताजा घटना में हुआ यूं कि सीएम के बैठने के दैरान हेलीकॉप्टर अचानक टेकऑफ करने लगा। सीएम फडणवीस इस हेलीकाप्टर से महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के अलीबाग कस्बे से एक कार्यक्रम जल्दी खत्म करके मुंबई लौटना थे। चुंकि जल्द से जल्द मुंबई पहुंचना था इसलिए सीएम के हेलीकॉप्टर में बैठने के पहले ही पायलट ने हेलीकॉप्टर स्टार्ट कर दिया था। फडणवीस ने बैठने के लिए जैसे ही हेलीकॉप्टर का दरवाजा खोला तभी वो अचानक टेकऑफ होने लगा और हेलीकॉप्टर करीब-करीब 2 से 3 फीट ऊपर उठ गया जबकि सीएम उस वक्त जमीन पर ही थे। इसके साथ ही हेलिकॉप्टर का पंखा तेजी से चलने लगा। हेलीकॉप्टर के पंखे का ब्लेड फडणवीस के सिर के काफी करीब से तेज रफ्तार में घूम रहा था। सीएम की जान खतरे में देख वहां मौजूद सुरक्षा अधिकारी ने उन्हें हेलीकॉप्टर से बाहर खींचा और किसी तरह से उनकी जान बचाई। फडऩवीस विमान पर सवार होने से पहले विमान के पिछले हिस्से से टकराने से भी बाल-बाल बचे।

अलीबाग वाली घटना के तकरीबन एक महीना पहले 25 मई को भी फडऩवीस विमान हादसे का शिकार हो चुके है। जब विमान सीएम फडनवीस को महाराष्ट्र के लातूर जिले के निलांगा से ले जा रहा था तभी हेलीकाप्टर बिजली के तारों में फस गया और एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। हालाकि मामले को रफा-दफा करने के चक्कर में बताया यह गया कि पायलट को तकनीकी गड़बड़ी की वजह से इमरजेंसी लैंडिग के लिए प्लेन उतारने का फैसला करना पड़ा। इस दुर्घटना को लेकर केन्द्र सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो ने इसके लिए पायलट को दोषी ठहराते हुए कहा था कि वह निलांगा में टेक-ऑफ करने का प्रयास करने के पहले उस समय के उच्च तापमान के प्रभाव का आकलन करने में असफल रहा। मालूम हो कि हेलीकॉप्टर जैसे ही नीचे उतरने लगा, तभी तेज हवाओं की वजह से संतुलन भी खो दिया था। इसके कारण पंखे तारों में फंस गए। पंखों के तारों पर लगते ही एक भयानक चिंगारी भी निकली थी। कभी भी हेलीकॉप्टर क्रैश हो सकता था, लेकिन सेफ लैंडिग की वजह से सीएम की जान बाल-बाल बच गई। बता दे कि उस समय प्लेन करीब 60 से 80 फीट आसमान में था। इस हादसे की पलपल की तस्वीरे कैमरे में कैद हो गई थी। इस हादसे में सबसे बड़ी बात उभर कर जो सामने वह यह थी कि विमान का परिचालन जीवन बहुत पहले ही खत्म हो चुका था। निलांगा में दुर्घटना ग्रस्त विमान यूपी सरकार से सेकंड़ हैंड खरीदा गया था। यह हादसा इतना खतरनाक था कि इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी तक को फडणवीस को फोन कर उनका हालचाल पुछना पडा था।

सनद रहे कि देवेंद्र फडणवीस के साथ इस तरह का पहला हादसा 10 मई 2017 को हुआ था। महाराष्ट्र के गडचिरोली के अहेरी तालुका में स्थानीय पुलिस मुख्यालय के एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद सीएम को नागपूर जाना था। सीएम हेलीकॉप्टर में बैठ गए। हेलीकॉप्टर टेकऑफ के लिए तैयार था लेकिन जैसे ही ग्रीन सिग्नल मिला उसी वक्त पायलट को इंजिन में कुछ खराबी महसूस हुई। इसी के चलते फौरन सीएम को नीचे उतारा गया। घटना के बाद मिली जानकारी में पता लगा कि अगर उस वक्त सही मसय पर इंजन में खराबी का पता नहीं चलता तो बड़ा हादसा हो सकता था। खैर। इस समय चिंताजनक मामला तो ये है कि अविश्वनीय तौर पर, राज्य नागरिक उड्डयन विभाग ने अलीबाग की घटना की जांच कराने में किसी प्रकार की दिलचस्पी तक नही दिखाई है। मतलब साफ है कि इस घटना पर पर्दा ड़ालने या उसे रफा- दफा करने की साजिश हो रही है। ऐसी खतरनाक घटनाओं के बाद फडणवीस  परिवार के लोग थोड़े डरे हुए हैं। लेकिन, महाराष्ट्र की कमान संभाल रहे देवेंद्र फडणवीस आज भी निडर होकर हेलीकॉप्टर में सफर कर रहे हैं। इन घटनाओं में भले ही पहली दफा गलती पायलट या राज्य विमानन विभाग की सामने आ रही हो लेकिन इन घटनाओं की जिम्मेदार राज्य सरकार भी है।

काबिलेगौर हो कि राज्य सरकार के पास एक छोटे फिक्स्ड विंग विमान को छोड़कर कोई राजकीय विमान नही है। इस विमान का उपयोग केवल उन स्थानों की यात्रा के लिए किया जा सकता है,जहां हवाई पट्टियांहो। फडनवीस सरकार वीआईपी आवाजाही के लिए जिनमें मुख्यमंत्री भी है, निजी हेलीकॉप्टरों को पट्टे पर लेने पर निर्भर है। इस पर राज्य सरकार सालाना 40 करोड़ खर्च करती है जो निजी विमानों को किराए के रूप में देती है। इसमें भी कोई दो राय नही है कि प्रशासन राज्य के स्वामित्व वाला हेलीकॉप्टर रख सकता है लेकिन सच तो ये है कि इस समय स्वंय फडनवीस विमान खरीदी पर बड़ी राशि खर्च करना नही चाहते है। विमान खरीदे के मामले में देवेन्द्र का मानना है कि जब जून में घोषित कृषि ऋण छूट के लिए सरकारी खजाने में धन के लिए खींच-तान चल रही है तब विमान पर 80 करोड़ रूपये खर्च करना कितना उचित होगा। अपनी जानमाल को जोखिम में ड़ाल कर निजी हेलीकॉप्टर में फडनवीस कभी तक भी उड़ते रहने की सोचे लेकिन फिलहाल अलीबाग की घटना के बाद से तो नागरिक उड्डयन विभाग के महानिदेशक ने वीआइपी आवाजाही के लिए निजी हेलीकॉप्टरों के उपयोग पर प्रतिबंध का प्रस्ताव रखा है। भला हो नागरिक उड्डयन विभाग के महानिदेशक का जो उनने इस तरह का प्रस्ताव रखा नही तो फडनवीस को इस बात की याद भी दिलाना पडज़ी कि भारत के दो बड़े नेताओं की मौत प्लेन क्रैश में हो चुकी है। ये नेता थे संजय गांधी और माधवराव सिंधीया। जिनके साथ हुए हादसों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था

मंत्रियों को हेलीकॉप्टर में बैठने से लग रहा है डर

हेलीकॉप्टर में सवारी इन दिनों महाराष्ट्र के मंत्रियों के लिए एक डरावना सपना बन कर रह गई है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के साथ हुए तीन अलग-अलग हेलीकॉप्टर हादसे में सीएम भले ही सलामत बच गए हों, लेकिन मंत्रीगण इन दुर्घटनाओं को लेकर खासे डरे हुए है। अब सरकार के मंत्री हेलीकॉप्टर से कतराने लगे हैं। हालकि सरकार ने दोनों हादसों पर जांच के आदेश दे दिए हैं लेकिन मंत्री हेलीकॉप्टर में बैठने से इसलिए कतरान व डरने लगे है कि विमान की परिचालन उम्र खत्म हो गई है और वह पुराना भी हो चुका है। निजी हेलीकॉप्टर का भी कोई भरोसा नही है कि वह कितना अच्छा है। हालाकि कुछ मंत्री ये भी मानते है कि काम करना है तो विमान में बैठना मजबूरी है। पूरे महाराष्ट्र को अगर कवर करना है तो सबको हेलीकॉप्टर का उपयोग करना अनिवार्य हो जाता है लेकिन जिस तरीके के हादसे सामने आए हैं उसके बाद कई गंभीर सवाल भी खड़े हो गए हैं। अब चर्चाएं तो ये भी सामने आ रही है कि मंत्री हेलीकॉप्टर के बजाय रोड या ट्रेन के रास्ते जाना पसंद करने लगे है।

(लेखक मीडिय़ा रिलेशन पत्रिका का संपादन करने के साथ ही सम-सामयिक विषयों पर कलम चलाते है।)

 

Related Articles

Back to top button