27 नवंबर 2014 इस तारीख को समूचा क्रिकेट जगत हिल गया था। इस मनहूस दिन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज ने अपनी जान गंवाई थी। बचपन से एक महान क्रिकेटर का सपना देखकर बड़ा होने वाला युवा जब महज 26 साल की उम्र में उसी खेल की वजह से मौत के गाल में समां जाए तो कौन अपनी आंखों को बरसने से रोक पाएगा?
सिडनी में 26 नवंबर के दिन दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच मैच खेला जा रहा था। उस मुकाबले में बल्लेबाजी के दौरान तेज गेंदबाज सीन एबॉट की एक शॉर्ट पिच गेंद ह्यूज के सिर पर लगी। चोट लगने के बाद ह्यूज मैदान में गिर पड़े। तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
चोट इतनी गंभीर थी कि फिलिप ह्यूज कोमा में चले गए थे और अगले ही दिन 27 तारीख को उनकी मौत हो गई थी। इस हादसे ने पूरे खेल जगत को हिलाकर रख दिया था। अंतिम संस्कार में ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटरों सहित तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबोट तक ने शिरकत की थी।
हर साल इस दिन पर आज भी ऑस्ट्रेलिया में शिद्दत से शोक मनाया जाता है। ह्यूज के दोस्त और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क भी अपने दोस्त की मौत से गहरे सदमें में थे। उनका कहना था, ‘मुझे अगला मैच नहीं खेलना चाहिए था। मेरा करियर वहीं पर थम जाना चाहिए था। मैं तब टूट चुका था। मैं लंबे समय तक उसकी मौत के गम में डूबा रहा। मैंने तब शोक नहीं जताया क्योंकि मुझे उसके परिवार को देखना था और इसके अलावा मैं ऑस्ट्रेलियाई टीम का कप्तान भी था।’
क्लार्क ने अपने 2015 के वेस्टइंडीज के दौरे के बारे में कहा था, ‘वेस्टइंडीज का दौरा मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दौरा था। मैं तब काफी भावुक था। मैं छह महीने वेस्टइंडीज में रहा। दिन में एक टीम के रूप में हम जो कुछ भी करते लेकिन रात को जब मैं अपने कमरे में जाता तो रो पड़ता था. आज भी मुझे उसकी कमी खलती है।’
इस हादसे का असर ऑस्ट्रेलिया सहित दुनियाभर के क्रिकेट में दिखा। विकेटकीपर, फॉरवर्ड शॉर्ट लेग के खिलाड़ियों समेत अंपायर भी मैदान पर हेलमेट पहने नजर आने लगे हैं।