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आर्थिक चुनौतियों का सामना डटकर करें : पीएम

man2ब्रुनेई (एजेंसी )। आठवे आर्थिक पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मौजूदा वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए एशियाई प्रशांत देशों के बीच सहयोग की अपील करते हुए आज कहा कि भारत और इन देशों में आर्थिक वृद्धि की विशाल संभावनाओं का लाभ पारस्परिक सहयोग की भावना से ही हासिल किया जा सकता हैं। उनका कहना था कि यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जबकि, एशिया प्रशांत क्षेत्र में सामूहिक प्रयास, सहयोग और गठबंधन की इतनी अधिक जरूरत पहले कभी महसूस नहीं की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और दुनिया के अन्य हिस्सों में राजनीतिक उथल पुथल का हमारे क्षेत्र के देशों में  बराबर का प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा यह विशाल क्षेत्र न केवल अपनी विविधता, बल्कि मतभेदों के चलते चुनौतियों का सामना कर रहा है। स्पष्ट तौर पर, हमारे लोगों के लिए अभूतपूर्व खुशहाली की संभावनाओं को सामूहिक प्रयासों से ही मूर्त रूप दिया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे विचार से आपसी सहयोग की व्यवस्था के साथ सुरक्षा तथा समृद्धि के साक्षा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एक ऐसा आदर्श मंच है। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) के 10 सदस्य देशों और आसियान के सहयोगी देशों, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, रूस तथा अमेरिका के बीच सहयोग का मंच है। आसियान में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, लाओ पीडीआर, फिलिपीन, सिंगापुर, थाईलैंड तथा वियतनाम शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में कहा कि पूर्व में आसियान संपर्क के लिये जतायी गयी प्रतिबद्धता के लिये तत्कालिक आवश्यकता को समझने तथा भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण साथ-साथ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत इन बुनियादी ढांचों की जरूरतों को पूरा करने के लिये नये तौर-तरीकों से वित्त पोषण के लिये साझा विचार वाले देशों के साथ बातचीत और सहयोग का स्वागत करता है। हम ब्रुनेई दारूस्सलाम की आसियान कनेक्टिविटी कोआर्डीनेटिंग कमेटी तथा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के बीच इस साल के अंत में बैठक के लिये की गयी पहल का स्वागत करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक सहयोग (आरसीईपी) समझौते ने क्षेत्रीय आर्थिक समन्वय का एक व्रहद मानचित्र प्रस्तुत किया है। आरसीईपी पिछले साल नोमपेन्ह में घोषित किया गया। सिंह ने कहा कि यह पहल पूरे क्षेत्र में आर्थिक व्रद्धि तथा विकास को को गति दे सकती है, साथ ही इससे क्षेत्रीय स्थिरता तथा सुरक्षा में पारस्परिक हित और अधिक जुड़ जकता है। सिंह ने कहा कि भारत आरसीईपी प्रक्रिया में पूरी तरह शामिल है और इसको लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमें उर्जा, खाद्य, स्वास्थ्य तथा मानव संसाधन विकास की चुनौतियों से निपटने के मामले में सहयोग के साथ इस प्रयास को आगे बढ़ाना चाहिए। इसीलिए हम आठवें पूर्वी एशिया शिखर समेलन में खादय सुरक्षा पर स्वीकार किये गये घोषणापत्र का स्वागत करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम को मलेरिया रोग के विरूद्ध एशिया प्रशांत के नेताओं का सह-अध्यक्षता के लिये समर्थन करते हैं। हमें मलेरिया से निपटने के लिये बेहतर दवाओं की पहुंच पर कार्यबल में आस्ट्रेलिया के साथ सह-अध्यक्षता में खुशी है। हमने ट्रामा केयर तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के सदस्य देशों के बीच सहयोग के लिये नई पहल का प्रस्ताव किया है।

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