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आज उस जगह जाएंगे PM मोदी जहां भारतीय सैनिकों की तलवारें दुश्मनों की बंदूकों पर भारी पड़ी थीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय इजरायल यात्रा के तीसरे दिन हायफा जाकर शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इजरायल दौरे के दौरान अक्सर वर्ल्ड लीडर या तो इजरायल म्यूजियम जाते हैं या किसी बड़ी कंपनी में जाने को तवज्जों देते हैं, लेकिन इन सबसे इतर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी आज हायफा जाएंगे। हायफा का भारत के लिए विशेष महत्व है।
कुछ दिन पूर्व अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायल दौरे पर वेस्टर्न वॉल गए थे, लेकिन बुधवार को पीएम मोदी वर्ल्ड लीडर्स के पदचिन्हों पर न चलते हुए हायफा जाकर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यह वह जगह है जहां भारतीय सपूतों ने अपनी गौरवगाथा और बहादुरी को पूरी दुनिया के सामने रखा था। ये लड़ाई 23 सितंबर 1918 को हुई थी। 

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99 साल प्रथम विश्वयुद्ध में हिंदुस्तान के वीर योद्धाओं ने हायफा को तुर्कों से मुक्त कराया था। 402 साल पहले वहां पर तुर्कों का आधिपत्य था।

एक तरफ तुर्कों और जर्मन सेना थी तो दूसरी तरफ भारतीय सैनिक

भारतीय सैनिकों में जोधपुर, मैसूर तथा हैदराबाद की कैवेलरी रेजिमेंट सम्मिलित थी। हैदराबाद के सैनिकों को इस युद्ध में शामिल नहीं किया गया था क्योंकि वह मुस्लिम थे।

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हाइफा समुंद्र किनारे बसा इजरायल का छोटा शहर है। हायफा के युद्द में एक तरफ तुर्क और जर्मन सेना थी तो दूसरी तरफ अंग्रेजों ने भारतीय सैनिकों को मोर्चे पर खड़ा कर दिया था।

इस युद्ध को भारतीय सैनिकों ने सिर्फ भाला, घुड़सवारी और तलवार के दम पर जीत लिया था जबकि दुश्मन के पास बंदूक से लेकर मशीनगन तक थीं। इस युद्ध में 44 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे जिनकी समाधियां यहां पर बनाई गईं। भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए जर्मन सेना के 1350 सैनिकों को कब्जे में ले लिया था। 

बता दें कि भारतीय सेनाओं के शौर्य, वीरता और बलिदान का सम्मान करते हुए इजरायल ने भिन्न भिन्न स्थानों पर उनकी स्मृति में मेमोरियल बनाए हैं। हर साल 23 सितंबर को भारतीय सेना द्वारा हायफा दिवस मनाया जाता है।

 
 

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