उत्तराखंड

उत्तराखंडः क्या है दिल दहलाने वाले ट्रीपल मर्डर का सच?

police-566662810776f_exlstदेहरादून के प्रेमनगर थाना क्षेत्र के श्यामपुर निवासी राजेंद्र जोशी और उनकी मां कमला जोशी का शव मिलने के बाद अब पुलिस की निगाहें फरार ड्राइवर पर हैं।

जिस तरह से मासूम और उसके पिता से लेकर दादी की हत्या कर शव फेंके गए हैं, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि राजेंद्र जोशी जिस कार से जा रहे थे, उनका ड्राइवर सुपारी किलर हो सकता है। पुलिस की जांच अब तेजी से इस ओर बढ़ रही है। हत्या में एक नहीं करीब दो से तीन लोग शामिल माने जा रहे हैं।

तीनों हत्याएं किसी पिस्टल, रिवाल्वर या तमंचे से नहीं की गई हैं, बल्कि धारदार हथियारों का उपयोग किया गया है। हालांकि राजेंद्र जोशी और कमला जोशी के शव सड़-गल चुके हैं, लेकिन शवों पर जगह-जगह घाव के निशान बताते हैं कि तीनों को धारदार हथियारों से मारा गया है।

उधर, पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि आजकल टैक्सी स्टैंड पर कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोग भी शामिल हो गए हैं, जो ड्राइवर के रूप में सुपारी किलर होते हैं। ऐसे लोगों का काम सिर्फ आपराधिक घटनाओं को अंजाम देना होता है। ये लोग एक ग्रुप बनाकर कई जगहों पर रहते हैं।

इन लोगों का कई प्रदेशों में नेटवर्क फैला रहता है। वहीं, पुलिस की शंका इस ओर भी है कि हत्यारों आखिर सितारगंज को ही क्यों चुना। देहरादून से लेकर काशीपुर तक कई सुनसान इलाके थे, जहां वारदात को अंजाम देने के बाद शवों को ठिकाने लगाया जा सकता था। लेकिन सितारगंज और सिडकुल क्षेत्र को ही हत्यारों ने क्यों चुना, यह भी पुलिस की जांच का अहम पहलू है।

माना जा रहा है कि हत्यारे सितारगंज से भलीभांति परिचित हों, इसलिए संदेह जताया जा रहा है कि हत्यारों का सितारगंज से भी कोई न कोई लिंक है।

पुलिस हर पहलू से जांच कर रही है। राजेंद्र जोशी और उनकी मां कमला जोशी के शव मिलने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि इस मामले में ड्राइवर का भी कहीं न कहीं हाथ हो सकता है। पुलिस इस दिशा में तेजी से जांच में जुटी है। उम्मीद है जल्द ही जोशी परिवार हत्याकांड का खुलासा कर दिया जाएगा।

औद्योगिक नगरी से कुमाऊं के द्वार को निकलने वाले जंगल के सुनसान रास्ते को अपराधियों ने क्राइम का रास्ता बना दिया।
घटना को शातिराना अंदाज में अंजाम देने वाले हत्यारों के दिमाग के आगे पुलिस भी चकरा गई है। नौ दिन बाद पुलिस को लापता मां-बेटे के शव मिल सके। साथ ही कुछ महत्वपूर्ण सुराग भी हाथ लगे हैं।

सितारगंज से काठगोदाम तक 55 किमी के बीच तराई-पूर्वी वन प्रभाग में साल और सागौन का घना जंगल है। काठगोदाम के बाद 28 किमी (चोरगलिया तक) पुलिस की एक भी चौकी नहीं है। चोरगलिया से सितारगंज के बीच में सिडकुल में पुलिस की चौकी स्थापित है, लेकिन इन दोनों जगहों पर अपराधी पुलिस को चकमा देकर निकल आए और थाने-चौकी की पुलिस को भनक तक नहीं लगी।

माना जा रहा है कि 27 नवंबर को रात 10 बजे काशीपुर एक्सिस बैंक के एटीएम से निकलने के बाद राजेंद्र जोशी, उसकी मां कमला जोशी और आठ साल के बेटे भाष्कर को अपहृत कर लिया गया। 29 नवंबर को भाष्कर का शव मिलने से यह तो तय हो गया था कि लापता परिवार अब जिंदा नहीं है। हत्यारों ने काशीपुर से कालाढूंगी होते हुए चोरगलिया के जंगली रास्ते से सिडकुल पहुंचते-पहुंचते तीनों को मौत के घाट उतार दिया और शव फेंक गए।

सोमवार सुबह 10 बजे तीनों के लापता होने के नौ दिन बाद राजेंद्र जोशी और कमला जोशी का शव सिडकुल फेज टू से मिला। लेकिन इन शवों के बारे में जानने या उन्हें लेने के लिए परिवार या अन्य कोई भी रिश्तेदार देर रात तक नहीं पहुंचा।

अब मृतक की संपत्ति का वारिस उसका छोटा भाई दीपक जोशी के होने से पुलिस की जांच में हत्याकांड में परिवार के शामिल होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पुलिस भी संपत्ति और प्रेम प्रसंग के कारण हत्या होने का अंदेशा जता रही है। सभी बिंदुओं पर गौर करें तो हत्याकांड को अंजाम देने के लिए पहले ही साजिश रच ली गई थी।

72 घंटे में हो सकता है खुलासा
तिहरे हत्याकांड में सोमवार को लापता राजेंद्र जोशी और उसकी मां कमला जोशी का शव मिलने से जल्द ही खुलासे की उम्मीद बढ़ गई है।

मामले में एसएसपी केवल खुराना की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 29 नवंबर को आठ साल के भाष्कर जोशी का शव मिलने के बाद शिनाख्त होते ही बिना किसी सीमा विवाद में पड़े एसएसपी ने सितारगंज कोतवाली में तत्काल मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे।

बताया जा रहा है कि पुलिस ने घटना के पर्दाफाश के लिए परिवार के कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया है। जिससे लगता है कि पुलिस के हाथ हत्यारों तक पहुंच गए हैं और 72 घंटे के भीतर खुलासा भी हो सकता है।

माना जा रहा है कि हल्द्वानी मुख्य मार्ग पर सितारगंज से दस किमी आगे सिडकुल फेज टू के लिंक मार्ग नंबर दस पर करीब एक किमी आगे गाड़ी खड़ी की गई। रोड नंबर चार से पहले उत्तरी दिशा में खाली प्लाट की झाड़ियों के बीच सड़क से 30 मीटर की दूरी पर भाष्कर की लाश फेंकी गई।

इसके बाद हत्यारे गाड़ी लेकर पांच सौ मीटर आगे बढ़े। यहां राजेंद्र जोशी और कमला के शव गाड़ी से बाहर निकालकर उत्तरी दिशा में ही सड़क नंबर चार से आगे करीब 20 मीटर अंदर झाड़ियों में डाल दिए गए।

तिहरे हत्याकांड में मिले अहम सुराग : खुराना
एसएसपी केवल खुराना ने कहा कि ड्राइवर की सुरागकशी में कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। जल्द ही वह भी सामने आ जाएगा। तिहरा हत्याकांड पूर्व नियोजित है। इसमें ड्राइवर भी शामिल हो सकता है। कई लोगों ने मिलकर घटना को अंजाम दिया है। ऊधमसिंह नगर और देहरादून पुलिस तालमेल बनाकर काम कर रही है।

जल्द ही मामले का पटाक्षेप किया जाएगा। सोमवार को सिडकुल फेज टू में मिले राजेंद्र जोशी और कमला जोशी के शव का मुआयना करने पहुंचे एसएसपी केवल खुराना ने कोतवाली में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि पुलिस तीन-चार एंगल पर काम कर रही है। हत्या की घटना रैंडम नहीं है। देहरादून से ही वारदात को अंजाम देने की साजिश रची गई थी। इसके बाद एसएसपी ने इस प्रकरण के संबंध में कोतवाली में पुलिस अफसरों की बैठक भी ली।

सच साबित हुई अमर उजाला की आशंका
नौ दिन पहले 29 नवंबर की दोपहर में सिडकुल फेज टू के प्लाट से जब बच्चे भाष्कर जोशी का शव बरामद हुआ था, तभी अमर उजाला ने उसकी हत्या की आशंका जता दी थी। जबकि, पुलिस ने बच्चे पर जानवर के हमले की घटना में मौत होना बताया था।

पड़ताल के बाद अमर उजाला ने लिखा था कि हत्या के मामले में लूट नहीं, घटना की वजह संपत्ति या फिर कोई रंजिश हो सकती है। इसके अलावा जब भाष्कर जोशी के चाचा आर्मी के नायक दीपक जोशी ने शिनाख्त की थी, तब भी अमर उजाला ने परिवार की हत्या को सुनियोजित बताया था। सोमवार को एसएसपी केवल खुराना ने भी इन आशंकाओं को मीडिया के सामने व्यक्त किया।

खुलासे में लगी हैं दस टीमें
एसएसपी केवल खुराना ने बताया कि देहरादून और ऊधमसिंह नगर जिले की 10 पुलिस टीमें तिहरे हत्याकांड के खुलासे में लगी हैं। एसओजी के साथ ही काशीपुर इंस्पेक्टर और गदरपुर थानाध्यक्ष भी जुटे हैं।

किस जुनून में किया तिहरा हत्याकांड
श्यामपुर के मां, बेटे और पोते की हत्या किस जुनून में की गई। मोटिव साफ नहीं होने से पूरी कहानी उलझकर रह गई है। पुलिस मान रही है कि संपत्ति के अलावा भी ऐसा कुछ हो सकता है, जो खून-खराबा करा सकता है। इसी कड़ी में सोमवार को दून पुलिस ने कुछ लोगों से पूछताछ की।

प्रेमनगर के श्यामपुर के गार्ड राजेन्द्र जोशी, उसकी मां कमला और बेटे भास्कर की हत्या के मामले में पुलिस तीन दिन से फौजी दीपक जोशी और उसके दोस्त संजीव पंत से पूछताछ कर रही है, लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। फौजी दीपक जोशी तो इस मामले में खुद को बेकसूर बता रहा है, जबकि संजीव पंत पहले दिन से ही फौजी दीपक जोशी को आरोपित कर कहानी को उलझाएं है।

सोमवार को राजेन्द्र और कमला के शव भी मिल गए, लेकिन गुत्थी सुलझी। पुलिस का मानना है कि कोई ऐसी वजह जरूर है कि जिसके जुनून में आकर यह तिहरा हत्याकांड अंजाम दिया गया। इस नजरिए से कई रिश्तों को खंगाला जा रहा है। पुलिस ने सोमवार को इस लाइन पर काम करते हुए पूछताछ की, लेकिन नतीजा साफ नहीं हो सका है।

 

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