उत्तराखंडराज्य

‘उत्तराखंड सरकार की गुलामी कर रहा यूपीसीएल’

विद्युत दरों में बढ़ोतरी के ऊर्जा के तीनों निगमों के प्रस्ताव पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने जन सुनवाई की। आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने ऊर्जा निगमों के प्रस्ताव पर विद्युत उपभोक्ताओं के सुझाव और शिकायतें सुनीं। सुनवाई में उपभोक्ताओं ने अपनी सारी पीड़ा सामने रखी। वे उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) से सबसे ज्यादा नाराज नजर आए। साथ ही उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) और पावर ट्रांसमिशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) के टैरिफ दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर भी तर्कों के साथ सवाल उठाए। 

उपभोक्ताओं ने कहा कि ऊर्जा निगम सुविधाएं बढ़ाते नहीं हैं, बस अनापशनाप खर्च बढ़ाकर उसे टैरिफ में जोड़ दिया जाता है। प्रस्तुत है चकराता रोड स्थित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सभागार में आयोजित जन सुनवाई में कुछ उपभोक्ताओं की शिकायतें और सुझाव…
यूपीसीएल विद्युत दरों को बढ़ाने के पीछे घाटे में होने का तर्क दे रहा है। निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अनियमित तरीके से फ्री बिजली क्यों दी जा रही है? मीटर नहीं होने की बात कर कनेक्शन जारी नहीं किए जाते। उपभोक्ताओं को बाजार से मीटर क्यों नहीं खरीदने देते?
– जीडी मधू

आम उपभोक्ताओं के लिए सिर्फ बिजली दरें बढ़ाने की बात होती है। वीवीआईपी के यहां बिजली नहीं जाती और आम उपभोक्ता बिजली कटौती से परेशान रहते हैं। कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत ऐसे कई वीवीआईपी हैं, जिन पर लाखों का बिजली बिल बकाया है। यूपीसीएल अधिकारियों की तरफ इशारा करते हुए, आप अगर उन पर कार्रवाई नहीं कर सकते तो आप गुलामी कर रहे हैं। आठ दिन में अगर डिफॉल्टर की सूची सार्वजनिक नहीं की तो सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाऊंगा। कनेक्शन लगाने के नाम पर आम उपभोक्ताओं से पहले चार्ज लेकर निगम उसका ब्याज खाता है। ये हमारा खून चूस रहे हैं, इस विभाग को ही बंद कर देना चाहिए।
– अवधेश कौशल, रुलक संस्था के अध्यक्ष 

जनता की अपनी-अपनी राय

कोई उपभोक्ता अस्थायी संयोजन लेकर निर्माण कार्य करा रहा है और कार्य पूरा हो जाने के बाद आयोग के एक नियम की आड़ में उसे पूर्व में जमा पूरी धनराशि ब्याज के साथ वापस की जा रही है। जबकि, वहां स्थायी संयोजन भी किया जाना है। इसमें लाखों का गोलमाल किया जा रहा है, जिसका भार उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है।
– उमेश शर्मा काऊ, पूर्व विधायक रायपुर

इंडस्ट्री को सुविधाएं नहीं मिल रहीं। टैरिफ बढ़ाओ पर सुविधाएं भी तो दो। रात नौ बजे फाल्ट आ जाए तो शिकायत के बावजूद अगले दिन नौ बजे बाद फाल्ट ठीक किया जाता है। इंडस्ट्री को इससे बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। घाटे की बात करते हैं तो पिटकुल में बेहतर काम करने के नाम पर इंक्रीमेंट क्यों दिया जाता है? इसका बोझ भी उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाता है।
– महेश शर्मा, उद्योगपति

हाईटेंशन लाइनें आबादी वाले स्थानों से होकर गुजर रही हैं। कई जगह वह भवनों के बिल्कुल नजदीक हैं, जो लोगों के जीवन-मरण से जुड़ा बड़ा इश्यू है। ऊर्जा के संबंधित निगम अधिकारी इसे नजरअंदाज क्यों करते हैं?
– अनूप नौटियाल, राजनीतिज्ञ

ऊर्जा निगम शादी समारोह के लिए महज 1600 रुपये में अस्थायी कनेक्शन दे देता है। एक गरीब आदमी जो शादी समारोह के दौरान कुछ ही यूनिट बिजली की खपता करता है और एक अमीर जो सैकड़ों यूनिट बिजली फूंक देता है दोनों से बराबर शुल्क क्यों? दूरदराज के लोगों की सुझाव शिकायतों को भी जन सुनवाई में शामिल करने के लिए आयोग दस दिन पहले सभी बिलिंग सेंटर पर सुझाव बॉक्स लगाकर उन्हें मंगा सकता है।
– बीरूबिष्ट

दरें बढ़ने के लिए बिजली चोरी भी एक कारण है। बिजली चोरी रोकने में नाकाम रहने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती है? यूपीसीएल विजिलेंस भी आशा के अनुरूप काम नहीं कर रही है। 
– सुशील त्यागी

डिफाल्टरों की सूची सार्वजनिक करे यूपीसीएल 

आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने यूपीसीएल अधिकारियों को सुनवाई के दौरान ही निर्देश दिए कि डिफाल्टरों की सूची विभिन्न माध्यमों से सार्वजनिक करे। इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। ऐसे लोगों के बिजली कनेक्शन काटने में कोई ढिलाई न बरती जाए। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं से मिले सुझाव और शिकायतों पर मंथन कर बिजली दरों में बदलाव की कार्रवाई होगी।

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