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उत्‍तराखंड चुनाव: 24 X 7 की सेवा, दिन 30 और शिकायत 14

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में घोषणाओं को लेकर कांग्रेस ने इस बार अधिक दरियादिली दिखाई। सभी तबकों पर डोरे डालने के लिए तकरीबन 400 नई घोषणाओं पर दांव आजमाना पड़ा।

देहरादून: पहले से ही घोषणाओं में लबालब डूबी सत्तारूढ़ कांग्रेस ने एक बार फिर वायदों की झड़ी लगा दी। उत्तराखंड की चुनावी जंग ‘करो या मरो’ की तर्ज पर लड़े जाने का ही नतीजा है कि मतदाताओं के छोटे-बड़े समेत सभी तबकों पर डोरे डालने के लिए तकरीबन 400 नई घोषणाओं पर दांव आजमाना पड़ा। पिछले विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचारमुक्त जवाबदेह प्रशासन और फिजूलखर्ची रोकने की घोषणा पर अमल करने में उलझन में फंसी रही पार्टी इस बार ऐसी घोषणाओं से बचती दिखी है।उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में घोषणाओं को लेकर कांग्रेस ने इस बार अधिक दरियादिली दिखाई। वर्ष 2012 में पार्टी के 32 पेज के घोषणापत्र में तकरीबन 300 घोषणाएं की गईं। लुभावने घोषणापत्र के साथ सत्ता में आई कांग्रेस ने दूसरी बार सत्ता पर दावा करते हुए घोषणापत्र का बोझ बढ़ाया है।

इस दफा 47 पेज पर तकरीबन 400 घोषणाएं हैं। कांग्रेस सरकार ने पिछले ढाई साल के वक्फे में जितनी नई योजनाओं को शुरू किया या उनके लिए जमीन तैयार की, उन्हें नई पहल और घोषणाओं के तौर पर संकल्पपत्र में जगह दी गई है।समाज कल्याण, स्वास्थ्य, खेल, शिक्षा, अल्पसंख्यक, संस्कृति व लोककला के जरिए कल्याण योजनाएं तो उद्योग, पंचायतीराज, पर्यटन, कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन के जरिये विकास के एजेंडे पर घोषणाएं की गई हैं। सत्ताधारी दल पिछले घोषणापत्र के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अमल नहीं कर पाया।ऐसे में सत्तारूढ दल के नाते कांग्रेस के सामने घोषणाओं के नए पहाड़ से पार पाने की चुनौती है। स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर बनाने के वायदे में दूरदराज व दुर्गम क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी, चिकित्सकों और शिक्षकों में सुगम में तैनाती की होड़ और दुर्गम में तैनाती से कन्नी काटने पर रोक लगाने में सरकार की इच्छाशक्ति की कमी खुद चुनौती बनी हुई है।

भ्रष्टाचार, पारदर्शिता संकल्प का हिस्सा नहीं

बीते वर्ष कांग्रेस ने घोषणापत्र में शुरुआत ही भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी तंत्र विकसित करने के वायदे से की थी। कुमाऊं व गढ़वाल में एक-एक शिकायत निवारण प्रणाली की स्थापना, दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए जिला मुख्यालय पर आर्मी की तर्ज पर फेमिली क्वार्टर्स बड़े पैमाने पर बनाने, ई-गवर्नेंस को ग्राम स्तर तक शुरू करने के लोक-लुभावन वायदे किए गए, लेकिन ये जमीन पर उतर नहीं पाए।

मौजूदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी इन पिछली घोषणाओं को संकल्पपत्र में स्थान तक नहीं दिया। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने को लोकायुक्त के गठन की सरकार की कवायद विवादों में घिरकर रह गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को अपने घोषणापत्र में प्रमुखता देने की बात कही थी, लेकिन इसे कांग्रेस के संकल्पपत्र में जगह नहीं मिल पाई। कमोबेश इसी तरह वित्तीय प्रबंधन दुरुस्त करने के वायदे को भी तरजीह नहीं दी गई।

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केंद्र और मोदी पर प्रहार

कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र के शुरुआती चार पृष्ठ केंद्र सरकार और भाजपा को निशाने पर लेने में ही झोंके हैं। केंद्र सरकार पर योजना आयोग को खत्म कर नीति आयोग का गठन व राज्य को केंद्रीय मदद में हुई कटौती के लिए निशाना साधा गया है।

मार्च, 2016 में कांग्रेस सरकार में हुई बगावत के लिए भाजपा को दोषी करार दिया गया तो नोटबंदी पर भी मोदी सरकार की घेराबंदी की गई है। बगावत को मुद्दा बनाकर कांग्रेस इसे उत्तराखंडियत से जोड़कर चुनावी हथियार के तौर पर पेश करने में जुटी है।

ठोस दिशा पर लुभावन को तरजीह

सत्तारूढ़ कांग्रेस ने चुस्त-दुरुस्त प्रशासनिक व्यवस्था पर लुभावनी घोषणाओं को ही तरजीह दी है। हालांकि, सत्ता पर रहते हुए कांग्रेस से पिछली लुभावन घोषणाओं पर किए गए अमल को लेकर सवाल उठने लाजिमी हैं। नई घोषणाओं पर किसतरह अमल होगा, यह प्रश्न मतदाताओं के जेहन में है।

गैरसैंण पर इशारे से की बात

गैरसैंण को स्थायी या अस्थायी राजधानी बनाने पर कांग्रेस ने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन राज्य आंदोलनकारियों की भावना के अनुरूप इसका विकास राजधानी क्षेत्र की तर्ज पर किए जाने का वायदा किया गया है। गैरसैंण में नियमित विधानसभा सत्र, मुख्यमंत्री कार्यालय की स्थापना और मुख्यमंत्री के कम से कम एक हफ्ते तक गैरसैंण से राजकीय कार्य करने की बात की गई है।

ग्रामीण आर्थिकी

हर न्याय पंचायत क्षेत्र में न्यूनतम एक गांव को मुख्यमंत्री मॉडल गांव की तर्ज पर विकसित करने, पर्वतीय क्षेत्रों में तीन वर्ष में चार उच्चस्तरीय आधुनिक उत्पादन केंद्र स्थापित करने, पर्वतीय क्षेत्र में उद्योगों को उत्पादन शुल्क और आयकर में 10 वर्ष तक छूट देने, राशन की दुकानों में एक किलो नमक, दो स्थानीय दालें व खाने का एक लीटर तेज बाजार भाव से आधे मूल्य पर उपलब्ध कराने का वायदे किए गए हैं।

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