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एक-चौथाई तपेदिक के मामले भारत में

ta(विश्व तपेदिक दिवस पर विशेष)

नई दिल्ली । देश में तपेदिक के निदान पर व्यापक कार्यक्रम होने के बाद भी तपेदिक देश में एक बड़ी चिंता बनी हुई है और इस रोग के दुनिया भर में जितने मामले हैं  उसमें से एक चौथाई मामले भारत में पाए जाते हैं। यह बात स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कही। विशेषज्ञों के मुताबिक तपेदिक के विरुद्ध अभियान में निजी क्षेत्र की सहभागिता सुनि>ित की जानी चाहिए  जागरूकता फैलाने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए और कुपोषण जैसे मामलों से निपटा जाना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय तपेदिक शोध संस्थान की निदेशक सौम्या स्वामीनाथन ने आईएएनएस से कहा  ‘‘तपेदिक अब भी चिंता का विषय बना हुआ है।’विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक देश में तपेदिक के 22 लाख रोगी हैं। 2०12 में दुनिया भर में इसके कारण 13 लाख लोगों की मौत हुई  इन मौतों में 26 फीसदी मौतें भारत में हुई।स्वामीनाथन के मुताबिक  ‘‘आठ साल में तपेदिक नियंत्रण में भारत ने उल्लेखनीय विकास दर्ज किया है। लेकिन और अधिक किए जाने की जरूरत है।’स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में उप महानिदेशक (तपेदिक) आर.एस. गुप्ता ने कहा  ‘‘देश में कई साल से इलाज की सफलता की दर 85 फीसदी से अधिक है।गुप्ता ने कहा  ‘‘2०17 तक तपेदिक के सभी मरीजों के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधा के राष्ट्रीय तपेदिक कार्यक्रम (एनटीपी) महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों सहित सभी संबंधित पक्षों को वित्तीय प्रतिबद्धता कायम रखनी चाहिए।एनटीपी के तहत देश भर में मुफ्त दवा दी जाती है। 15 लाख से अधिक लोग 13 हजार से अधिक केंद्रों पर सेवा ले रहे हैं।देश में 2०12 में तपेदिक को अधिसूचना योग्य रोग घोषित किया गया है। इसका मतलब है कि तपेदिक के सभी मामले के बारे में सरकार को सूचित किया जाना चाहिए।अनुमान के मुताबिक देश में 4० फीसदी आबादी तपेदिक बैक्टीरिया से संक्रमित है। अधिकतर लोगों में यह बैक्टीरिया सुप्तावस्था में होती है।तपेदिक मिटाने के लिए भारत को कुपोषण से भी लड़ना होगा  जिसके कारण लोग सक्रिय तपेदिक की चपेट में आ जाते हैं।

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