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कमर्शियल वाहनों पर लगेगा अतिरिक्त पर्यावरण हर्जाना शुल्क: SC

sc-12-10-2015-1444661595_storyimageस्तक टाइम्स/एजेंसी नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली में प्रदूषण पर कड़ा रूख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर अंकुश लगाने के इरादे से कहा कि एक नवंबर से चार महीने के लिये राजधानी में प्रवेश करने वाले कमर्शियल वाहनों से टोल टैक्स के अतिरिक्त पर्यावरण हर्जाना शुल्क वसूला जाए।

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि यह हर्जाना शुल्क हल्के वाहनों और दो एक्सेल वाले वाहनों को सात सौ रूपए की दर से वसूला जायेगा जबकि तीन एक्सेल और इससे ज्यादा वाहनों को 1300 रूपए की दर से शुल्क देना होगा।

न्यायालय ने दिल्ली सरकार को इस बारे में अधिसूचना जारी करने का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि शुरू में यह शुल्क प्रयोग के आधार पर एक नवंबर, 2015 से चार महीने के लिए 29 फरवरी, 2016 तक लागू होगा।

न्यायालय ने इसी मसले पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सात अक्तूबर को आदेश को निष्प्रभावी बताते हुए स्पष्ट किया, यह आदेश किसी भी अन्य अधिकरण द्वारा इससे इतर दिए गए किसी भी आदेश पर भी लागू होगा। इस व्यवस्था की समीक्षा और इस पर आगे विचार के लिये न्यायालय ने मामले को फरवरी के तीसरे सप्ताह के लिये सूचीबद्ध किया है।

प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि न्याय मित्र हरीश साल्वे, सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार और दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने संयुक्त रूप से सुझाव दिया है कि दिल्ली सरकार को पर्यावरण हर्जाना शुल्क लगाना चाहिए। पीठ ने कहा, इस पर गहन विचार करने पर हमें इस सुझाव को स्वीकार नहीं करने की कोई वजह नजर नहीं आती। तदनुसार हम इस सुझाव को मंजूरी देते हैं।

यात्री वाहन मुक्त रहेंगे: अदालत ने साफ किया कि इस टैक्स से यात्री वाहन, एंबुलेंस और खाद्य पदार्थ ढोने वाले वाहन मुक्त रहेंगे। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने कहा, दिल्ली सरकार को निर्देशों के अनुरूप अधिसूचना भी देनी होगी।
 
चार महीने ट्रायल होगा: पीठ ने कहा कि उसका फैसला अगले चार महीने तक ट्रायल के रूप में प्रभावी रहेगा। सरकार और दूसरे निकाय यदि प्रभावित हों तो वे सुधार के लिए बाद में कोर्ट आ सकते हैं। दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा, वसूला गया पैसा दिल्ली में सड़कों के रखरखाव व प्रदूषण रोकने के उपायों पर खर्च किया जाएगा। इसका हिसाब दिल्ली सरकार हर तिमाही पर सुप्रीम कोर्ट को देगी।

 
 

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