राष्ट्रीय

करुणा की मूर्ति मदर टेरसा

नई दिल्ली: 1997 में आज ही के दिन यानी 6  सितम्बर एक ऐसी महिला का निधन हुआ था. जिसने लाखो करोड़ो लोगो को जीवन जीने का सबक सिखाया था, यह महिला कोई और नहीं बल्कि मदर टेरेसा है, उनका यह मानना था कि जख़्म भरने वाले हाथ, प्रार्थना करने वाले होंठ से कहीं ज्यादा पवित्र हैं’. करुणा की मूर्ति मदर टेरसाउनके ज़रिये स्थापित संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी आज 123 मुल्कों में सक्रिय है. इसमें कुल 4,500 सिस्टर हैं, इन्हे नोबेल शांति पुरस्कार भारत रत्न, टेम्पटन प्राइज, ऑर्डर ऑफ मेरिट और पद्मश्री से नवाजा जा चूका है. मदर टेरेसा का बचपन का नाम Aneze Gonxhe Bojaxhiu था. इसका मतलब छोटा फूल होता है.

उनके पास 5 देशों की नागरिकता अलग-अलग वक्त पर रही. इनमें ऑटोमन, सर्बिया, बुल्गेरिया, युगोस्लाविया और भारत शामिल रहे. 1948 में उन्होंने कलकत्ता में काम शुरू किया और नन के परिधान के बजाए नीले बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहननी शुरू की. वेटिकन सिटी में एक समारोह के दौरान रोमन कैथोलिक चर्च के पोप फ्रांसिस मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी और दुनियाभर से आए लाखों लोग इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने.

 

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