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कांग्रेस की काली संस्कृति और राहुल गांधी का अमर्यादित बयान

  • मातृशक्ति का अपमान : राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दे रहे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

बृजनन्दन राजू

स्तम्भ : महिलाओं के बारे में जब हम विचार करते हैं तो देखते हैं अभी भी उनके प्रति जिस प्रकार की टिप्पणी का स्खलन विचार व व्यवहार के माध्यम से हो रहा है वह चिंता का विषय है। आज समाज में जिस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग होता है वह महिलाओं को अपमानित करने वाला है। शब्दावली भी संंस्कार से उत्पन्न होती है। जिसका जैसा संस्कार रहेगा उसकी वाणी और आचरण से परिलक्षित होगा। जिन जीवनमूल्यों के कारण भारत जाना जाता है जो इस राष्ट्र की विशेषता है, जिसके कारण संपूर्ण विश्व उसके सामने नतमस्तक होता है। वह है भारतीय स्त्री का पवित्र शील, चारित्र्यसम्पन्न, त्यागी निष्ठावान स्त्री भारत माँ का सबसे विशेष आभूषण ही नहीं अपितु राष्ट्र का मानबिंदु है। परंतु पश्चिम सभ्यता संस्कार में पले बढ़े राहुल गांधी सरीखे लोग महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी कर मातृशक्ति को ठेस पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने झारखण्ड में एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मेक इन इण्डिया कहते थे आज रेप इन इण्डिया हो गया है। उनके इस बयान के बाद जहां शुक्रवार को संसद में सत्तापक्ष ने जमकर हंगामा किया वहीं पूरे देश में राहुल गांधी के इस बयान की निन्दा हो रही है। वहीं राहुल गांधी अपने बयान पर अडिग हैं। वह कह रहे हैं कि माफी मांगने का सवाल ही पैदा नहीं होता। यह तो चोरी के बाद सीनाजोरी वाली बात हुई। इसका मतलब उन्हें इस बात का अभी भी जरा भी कोई प्रायश्चित नहीं है। राहुल गांधी के बयान पर संसद के अंदर मामला इतना भड़का कि शोर शराबे के बीच ही कार्यवाही अनिश्चतकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। भाजपा की ओर से जहां राहुल गांधी से माफी की मांग की गयी वहीं कांग्रेसी इतने उग्र थे कि स्पीकर के बयान के समय भी शांत नहीं हुए। वैसे राहुल गांधी ने इस बयान के बाद फिर से एक बार राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दे दिया है। इसके पहले भी वह कई बार अपने बयानों को लेकर किरकिरी करा चुके हैं। राहुल गांधी के इस बयान का खामियाजा कांग्रेस पार्टी को झारखण्ड चुनाव में उठाना पड़ सकता है। झारखण्ड में अभी दो चरणों की 31 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। इन सीटों पर राहुल गांधी के इस बयान को भाजपा जोर—शोर से उठायेगी। इसका उत्तर कांग्रेस पार्टी को नहीं मिलेगा लिहाजा कांग्रेस का नुकसान होना तय है। वहीं चौथे चरणे की 15 विधानसभा सीटों पर चुनाव 16 दिसम्बर को होना है। आज स्त्रियों कई प्रकार की वर्जनाओं को लांघते हुए पुरूषों के मुकाबले खड़ी हैं। वहीं उनके प्रति अभद्र टिप्पणियां की जा रही हैं। यह सभ्य समाज को शोभा नहीं देती है।
हिन्दू चिंतन में महिलाओं को मां का दर्जा दिया गया है। मातृवत परदारेषु पर द्रव्येषु लोश्ठवत हमारी संस्कृति है। हमारे यहां सांस्कृतिक मूल्यों को मातृशक्ति के रूप में जोड़ा गया है। महिला से ही परिवार की संकल्पना साकार होती हैं। परिवार में महिलाओं का स्थान सर्वोच्च होता है। जिस घर में गृहणी न हो उसे घर नहीं कहते हैं। महिलाओं के प्रति आदर सम्मान का भाव सदा से रहा है। जब जीवन व्यवहार में परिवर्तन जीवन दर्शन व मूल्यों के विपरीत होने लगता है तो समस्या खड़ी होती है। आज यही हो रहा है। महिलाओं की समस्या सारे समाज की समस्या है। इसलिए महिलाओं की सुरक्षा का दायित्व भी सारे समाज का है। आज भी महिलाओं की स्थिति मेें बहुत बड़ा सुधार आया है ऐसा हम दावा नहीं कर सकतें। कामकाजी महिलाओं को प्रतिदिन तरह—तरह के उलाहने सुनने पड़ते हैं। संचार माध्यमों ने जो महिलाओं की छवि एक भोग्य वस्तु के रूप में उत्पन्न् की है वह भी एक समस्या है। शायद इसी कारण से छोटी—छोटी बच्चियों के साथ घृणित कृत्य हो रहे हैं। क्योंकि परिवार में जिस प्रकार के संस्कार बच्चों को मिलेंगे उसी प्रकार उसका परिणाम आयेगा।

माता के बारे में भारतीय संस्कृति में कहा गया है ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। यहां तक कहा गया कि ‘माता भूमि: पुत्रोह्म पृथिव्या:’। मातृ देवो भव। यह सब बातें केवल कहने के लिए नहीं बल्कि जीवन में आचरण करने योग्य हैं। जीवन में राष्ट्रनिष्ठा, नैतिकता तथा संस्कृति के उत्कर्ष में नारी शक्ति का योगदान किसी से छिपा नहीं है। सभी युगोें में स्थितियों का स्थान सर्वोच्च था। मैत्रेयी गार्गी जैसी विदुषी महिलाएं हमारे देश में हुई हैं। जिन्होंने अपनी योग्यता के बल पर कई विषयों पर व्याख्यान दिए। इन विदूषी महिलाओं के व्याख्यानों से उनकी विद्वत्ता का दर्शन तो हुआ ही साथ ही समाज को इस बात भी का पता चला कि महिलाएं भी ज्ञान में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। आधुनिक काल में भी जीजाबाई,मीराबाई लक्ष्मीबाई, अवंतीबाई से लेकर बेगम हजरत महल, दुर्गावती,मां शारदा, साध्वी ऋतम्बरा और माता अमृतानन्दमयी मां जैसी आध्यात्मिक व क्रान्तिकारी दिव्यविभूतियां हुई हैं। आज राजनीतिक क्षेत्र में भी कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, बसपा अध्यक्ष मायावती,उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मीरा कुमार, साध्वी उमा भारती, साध्वी निरंजन ज्योति, वसुंधरा राजे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी व निर्मला सीतारमण जैसी तमाम महिलाएं राजनीतिक क्षितिज पर हैं।
वनवास में पति का साथ देनेवाली मां सीता, पति के हृदय का, तेजस्विता का स्फुल्लिंग सतत प्रज्ज्वलित रखने वाली द्रौपदी, मृत्यु के विकराल मुख से अपने पति को जीवित निकालनेवाली सावित्री हमारा आदर्श है। जिस सतीत्व ने इस राष्ट्र को श्रेष्ठ बनाया जिसके सामने समग्र विश्व नम्र होता है, उस आदर्श, पवित्र सतीत्व को कलंकित करने का प्रयास राहुल गांधी सरीखे राजनेता कर रहे हैं। क्योंकि महर्षियों की जन्मभूमि हो, योगियों की तपोभूमि हो या सीता सावित्री जैसी महिलाओं का उदाहरण हमारे समाने हो लेकिन यदि इस राष्ट्र के निवासियों के मन में स्त्रियों के प्रति सम्मान का भाव नहीं है तो वह राष्ट्र वंदनीय नहीं हो सकता है। इसलिए मातृशक्ति का सम्मान किये बिना भारत सम्मान नहीं पा सकता।
महिला भोग की वस्तु राहुल गांधी के विचारों और कांग्रेस की संस्कृति में हो सकती है। किन्तु हमारे देश में प्राचीन समय से महिलाओं का अत्यंत श्रेष्ठ स्थान है। कन्या पूजन भी हमारे यहां होता है। उन्हें हम शक्तिस्वरूपा जगदंबा का रूप मानते हैं लेकिन व्यवहार में ऐसा आज होता नहीं है। रेप व बलात्कारी की घटनाएं देश में बढ़ रही हैं। अपराधियों में कानून का डर नहीं है।
आज विश्व स्तर पर उद्योग, व्यवसाय, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कार, सहकार, इन सभी क्षेत्रों के साथ-साथ राजनीति क्षेत्र में भी महिलाओं की सहभागिता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है और महिलाओं के इसी बढ़ते क्षीतिज को ध्यान में रखकर भविष्य में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए सामूहिक प्रयत्न करना जरूरी है। वर्तमान में भारत में स्त्रियों के अत्याचार,आतंकवाद, जीवन को असुरक्षित करने वाले अनेक दृश्य दिखाई दे रहे हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए सभी को आगे आना होगा। अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अगर महिलाएं सामूहिक रूप से आवाज उठाएंगी तो परिणाम असरकारी होगा। आज देश में बचपन से वृद्धावस्था तक स्त्री का जीवन असुरक्षित तथा खतरनाक हो गया है।
अब महिलाएँ भी पुरुषों की बराबरी कर रही हैं। कई मामलों में वह पुरूषों से ज्यादा समर्थ हैं पुरुषों की तुलना में वे उसी काम को अधिक कुशलता और निपुणता से करती हैं तो जरूरी है कि उनको अपनी सुरक्षा लिए भी स्वयं सजग और सक्षम बनाना पड़ेगा । इसलिए किशोर उम्र के लड़के और लड़की दोनों को प्रशिक्षण होना चाहिए। इसलिए किशोर और किशोरी विकास के उपक्रम चलें और महिलाओं को आत्मसंरक्षण की कला सिखाने वाले उपक्रम भी चलने चाहिए। स्कूल, कॉलेज की छात्राओं को इसका प्रशिक्षण देना चाहिए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मिशन साहसी नाम से इस अभियान की शुरूआत देशभर के महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चाहिए कि वह जल्द से जल्द देश के समक्ष माफी मांगें अन्यथा मातृशक्ति का अपमान हिन्दुस्तान सहन नहीं कर सकता। क्योंकि जब—जब इस देश में चाहे त्रेत्रायुग रहा हो या द्वापर जब—जब मातृशकि्त का अपमान हुआ है तो चाहे राम—रावण युद्ध के रूप में या फिर महाभारत के रूप में महासंग्राम ही हुआ है।

(लेखक प्रेरणा शोध संस्थान नोएडा से जुड़े हैं)

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