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कालेधन पर मनमोहन और मोदी सरकार की ये है सच्चाई, आंकणों पर डाले नजर

800x480_image60257453नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा कालेधन को लेकर किए जा रहे दावो और नोटबंदी पर मची हायतौबा के राजनीति अपने उफान पर है, तो मोदी सरकार भी दावा कर रही है कि उसने काले धन के ख़िलाफ़ देश व्यापी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्ध छेड़ दिया है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र घूम-घूम कर घोषणा कर रहे हैं कि उनकी सरकार ने बहुत बड़े पैमाने पर देश और विदेशो से काला धन निकलवाया है.लेकिन अलग-अलग सरकारों के दौर में कालेधन की वसूली की सच्चाई पर गौर करें तो नोटबंदी के फ़ैसले से पहले और पिछली सरकार के समय भी काले धन की वसूली का काम चलता रहा है,लेकिन मुहिम इतना तेज नहीं थी कि मोदी सरकार के ढाई साल की बराबरी की जा सके. पिछली सरकारों के समय से ये सिलसिला चल रहा है.

आइये देखते है पिछली सरकारों की कालेधन को लेकर की गई कोशिशें कितनी रही कामयाब

मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार
वित्त मंत्रालय की ही रिपोर्ट के मुताबिक मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए-2 के समय अप्रैल 2009 से दिसंबर 2012 तक यूपीए-2 की सरकार ने 39,500 करोड़ से ज़्यादा की अघोषित आय सामने आई. इस दौरान करीब 4 साल में 25,500 करोड़ से ज़्यादा की अघोषित आय पकड़ी गई. क़रीब 3,000 करोड़ रुपये के बराबर की संपत्ति ज़ब्त की गई. यानी कुल क़रीब 68,000 करोड़ की रकम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए-2 के समय सामने आई.

एसआईटी की जांच पर रुख
सरकारी स्तर पर चल रहे इस काम को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कुछ और रफ़्तार दी. 1 मई 2014 को काले धन पर एसआईटी का फिर से गठन किया. अदालत के आदेश पर सरकार ने इस एसआइटी की अधिसूचना जारी की.

मोदी के नेतृत्व में वर्तमान एनडीए सरकार का रुख
आने वाले 2 साल में मोदी के नेतृत्व में वर्तमान एनडीए सरकार ने काले धन को जुर्माने के साथ सफ़ेद बनाने की वीडीआईएस स्कीम शुरू की जिसके तहत अब तक केन्द्र के खजाने में 65,250 करोड़ की रकम सामने आई. इसके अलावा वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने 12 अगस्त 2016 को लोकसभा को जानकारी दी कि 2014 से 2016 के बीच 21,354 करोड़ रुपये की अघोषित आय सामने आई. इस दौरान 22,475 करोड़ की रक़म पकड़ी भी गई. साथ ही 1474 करोड़ रुपये ज़ब्त किए गए. यानी 2014 से 2016 के बीच 1.1 लाख करोड़ से ऊपर का काला धन सामने आया.

नोटबंदी के बाद से पहले 4 दिनों में 3 लाख करोड़ रुपया बैंकों में जमा हुआ है. 30 दिसंबर तक पुराने नोट बदलने और जमा करने की मियाद है. तब बड़ी तस्वीर सामने आएगी कि कितना पैसा निकला और उसमें कितना काला धन है. उसके पहले इस मामले पर राजनीतिक जुमलेबाज़ी मुहिम को कमज़ोर कर सकती है.

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