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कासगंज हिंसा: यूपी पुलिस से हुई बड़ी चूक, 13 आरोपियों के खिलाफ मामला हुआ दर्ज

यूपी के कासगंज जिले में 26 जनवरी को हुई सांप्रदायिक झड़प में दर्ज हुई एफआईआर में गड़बड़ियों का मामला सामने आया है। इनमें से एक मामले में यूपी पुलिस ने 13 लोगों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून यानी सेक्शन 7 के तहत गैरकानूनी क्रियाएं ऐक्ट (यूएपीए), 1967 के आधार पर एफआईआर दर्ज की है।कासगंज हिंसा: यूपी पुलिस से हुई बड़ी चूक, 13 आरोपियों के खिलाफ मामला हुआ दर्ज

हमारे सहयोगी समाचार पत्र के संवाददाता की आरोपियों के परिवारवालों से मुलाकात के बाद यह बात सामने आई। उन्होंने माना कि वे किसी ‘गैरकानूनी संगठन’ का हिस्सा नहीं थे, इसके बाद यूपी डीजीपी कार्यालय में यह मामला उठाया गया। जहां इसे देखने के बाद जल्द ही यह पुष्टि हो गई कि यह स्थानीय पुलिस की ‘क्लेरिकल गलती’ है। 

क्या है यह कानून? 
बता दें कि यूएपीए कानून, जांचकर्ताओं को किसी संगठन या व्यक्ति के गैरकानूनी होने पर उसकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार देता है, साथ ही यह गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आता है। साथ ही इसे आरोपी से पूछताछ के बाद केंद्र सरकार की मंजूरी पर ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। 

यूपी के डीजीपी के पीआरओ ने बताया, ‘इसमें आपराधिक संशोधन अधिनियम (जमानती अपराध) के तहत मामला दर्ज होना चाहिए था। पुलिस जल्द ही चार्जशीट और जनरल डायरी से यूएपीए हटा देगी।’ 

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