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किसान के बीच अपनी सियासी जमीन तलाश रहे राहुल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत के नारे के साथ देश की राजनीति में ऐसी लकीर खींची है, जिसमें केंद्र से लेकर देश के राज्यों तक बीजेपी ही बीजेपी नजर आ रही है. ऐसे कठिन दौर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी देश की सियासत में अपनी जगह बनाने को बेताब है. राहुल पिछले कुछ सालों से किसानों के सहारे अपनी सियासी जमीन तलाश रहे हैं.

दरअसल देश की राजनीति की हवा जिस तरह बह रही है ऐसे में माना जा रहा है कि राहुल के पास सिर्फ किसान वोटबैंक एक ऐसा सेफ पॉकेट है, जिसके जरिए राहुल मोदी के सामने खड़े हो सकते हैं. राहुल मोदी सरकार को सूटबूट वाली सरकार बताते रहते हैं और कॉरपोरेट के हितैशी का तमगा भी दे चुके हैं.

बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार के दौरान किसानों की कर्जमाफी हुई थी. राहुल इसी आधार पर समय-समय पर मोदी सरकार से सामूहिक किसानों की कर्जमाफी की बात उठाते रहते हैं. वह कहते रहते हैं कि जब सरकार उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर सकती है तो किसानों की कर्ज क्यों नहीं?

राहुल शुक्रवार को महाराष्ट्र के नांदेड़ किसानों के बीच पहुंचे और कहा कि आज देश का किसान आत्महत्या करने को मजबूर है. पिछले तीन साल में महाराष्ट्र के 9 हजार किसानों ने आत्महत्या की है. राहुल गांधी ने कहा कि देश को किसानों की भी जरूरत है. राहुल ने कहा कि देश को उद्योगपतियों की जरूरत है, लेकिन देश को किसानों की भी जरूरत है. सिर्फ उद्योपतियों के सहारे देश नहीं चल सकता है.

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दरअसल राहुल किसानों के बीच पहली बार नहीं उतरे हैं. उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के दौरान भट्टा परसौल का मुद्दा उठा था. जहां जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसानों का आंदोलन चल रहा था. वहां राहुल गांधी मोटरसाइकिल पर सवार होकर पहुंचे थे. जबकि पुलिस ने भट्टा परसौल गांव को चारों तरफ नाकाबंदी कर रखी थी. इसके बाद भी राहुल किसानों के बीच पहुंचने में कामयाब हो गए थे.

राहुल गांधी ने पिछले साल जोश और उमंग के साथ किसानों की लड़ाई को ताकत के साथ लड़ने के लिए कई राज्यों का दौरा किया था. उन्होंने देश भर में उत्तर से लेकर दक्षिण के राज्यों में पदयात्राएं चिलचिलाती धूप में की थी. राहुल ने पंजाब से पैदल यात्रा शुरु की और फिर महाराष्ट्र के विदर्भ और तेलंगाना में, केरल में मछुआरों की समस्या को लेकर पदयात्रा की थी.

राहुल बेमौसम बारिश, अतिवृष्टि और ओलाप्रभावित उन किसानों के घर गए, जिन्होंने प्राकृतिक आपदा आने के बाद किसी न किसी वजह से खुदकुशी कर ली थी. जंतर-मंतर पर बैठे तमिलनाडु के किसानों के बीच भी राहुल गांधी पहुंचे थे.

मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण बिल में जब संशोधन करने जा रही थी, तो राहुल सड़क पर उतर आए थे. राहुल उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के टप्पल गांव में भी गए थे, जहां किसान जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. इसके बाद मोदी सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे. राहुल ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले 2500 किमी की किसान यात्रा किया था. किसानों के बीच जाकर वह खाट सभा करते थे. देश भर के किसानों पर एक रिपोर्ट भी राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी था और कहा था कि किसानों के कर्ज माफ करें.

राहुल अपनी अभिजात छवि को तोड़ते हुए आम आदमी से सीधा रिश्ता बनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. राहुल गांधी किसानों और मजदूरों की लड़ाई के जरिए कांग्रेस पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने में जुटे हैं.

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