उत्तर प्रदेशलखनऊ

गबन के दोषी मिलने पर बैंक के प्रबन्ध निदेशक का निलम्बन तय

  • समाजवादी पार्टी की प्रदेश में सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पकड़ रखने वाले उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक रविकांत सिंह ने वर्ष 2015 में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 50 सहायक प्रबंधकों की भर्ती करायी और उसमें बड़ा भ्रष्टाचार किया।

लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में सक्रिय भूमिका में दिखने वाले उत्तर प्रदेश को.आपरेटिव बैंक लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक रविकांत सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप तय हो गये हैं। इसके बाद मुख्य सचिव ने रविकांत सिंह की भ्रष्टाचार से जुड़ी जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को भेज दिया है। ऐसे में प्रबन्ध निदेशक रविकांत का निलम्बन तय माना जा रहा है। समाजवादी पार्टी की प्रदेश में सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पकड़ रखने वाले उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक रविकांत सिंह ने वर्ष 2015 में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 50 सहायक प्रबंधकों की भर्ती करायी और उसमें बड़ा भ्रष्टाचार किया। इसकी जांच में सामने आया है कि उन्होंने पहले विज्ञापन में परिवर्तन कराया एवं बाद में न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए सभी सहायक प्रबंधकों को नियुक्ति दिलवाई। उसी दौरान दो चीनी मिलों केसर इंटरप्राइजेज बरेली और सिम्भावली शुगर मिल को लाभ पहुंचाने के लिए नियम में परिवर्तन कर उन्हें ऋ ण उपलब्ध कराया। लखनऊ निवासी जय सिंह के आरोप लगाये जाने के बाद प्रबन्ध निदेशक रविकांत के खिलाफ जांच बैठायी गयी और इसको देख रहे पीसीएफ के प्रबन्ध निदेशक प्रमोद कुमार उपाध्याय ने जांच के बाद रविकांत पर भ्रष्टाचार के आरोप तय किये हैं। प्रमोद कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट को कृषि उत्पादन आयुक्त को सौंपा जो बाद में मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचायी गयी है। बता दें कि वर्ष 2017 में मई माह के अंत में उप्र सहकारिता विभाग में सात अधिकारियों का तबादला किया गया था। इसी में रविकांत सिंह को उत्तर प्रदेश को.आपरेटिव बैंक लिमिटेड का प्रबन्ध निदेशक बनाया गया। इसे भी तब मनचाही नियुक्ति ही कहा जा रहा था।

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